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गोपनीय जांच में वन्यजीवों की क्रूर हत्या-प्रतियोगिताओं का पर्दाफाश

पारिवारिक समारोहों में वन्यजीवों के मारे जाने की प्रतियोगिताओं में आपका स्वागत है, जहां मारे गए जानवरों के शवों के बीच बच्चे खेलते हैं-और जो अमेरिका के 42 राज्यों में वैध हैं।
गोपनीय जांच में वन्यजीवों की क्रूर हत्या-प्रतियोगिताओं का पर्दाफाश

आपको अगर वन्यजीवों की हत्या प्रतियोगिताओं से अधिक विद्रूप-विकृत और घृणित किसी चीज की तलाश है तो इसके लिए वाकई कड़ी कोशिश करनी होगी। अमेरिका में छोटा भेड़िया (काइयोट), वनविलाब, गिलहरी, रैकून (सर्व आहार ग्रहण करने वाला निशाचरी जानवर), कौवे और यहां तक कि भेड़िये और बिलावों जैसे वन्यजीव आनंद लेने एवं चंद पुरस्कार पाने के लिए मार दिए जाते हैं। ये पुरस्कार थोड़े डॉलर से लेकर शिकार के सामान तक हो सकते हैं। ये प्रतियोगिताएं खेल की आड़ में कल्पनातीत संख्या में बेजुबान वन्यजीवों की विवेकहीन हत्याओं की दोषी हैं।

ऐसी प्रतियोगिताओं को अब जहां इतिहास की किताबों में दफन कर दिया जाना चाहिए; इसकी बजाए, ये आयोजन देश के लगभग सभी 42 राज्यों में किए जाते हैं, जहां वन्यजीवों की हत्या-प्रतियोगिताएं कानून वैध हैं, और जिनके नतीजतन प्रति वर्ष हजारों की तादाद में वन्यजीवों की जान ले ली जाती है।

इन आयोजनों में भाग लेने वाले परिवार या उनके पारिवारिक मित्र ही होते हैं। इनका प्रयोजक प्राय: बार, चर्च, अग्निशमन केंद्र और अन्य स्थानीय समूह होते हैं। प्रतिभागी अधिक से अधिक संख्या में या छोटे-बड़े आकार वाले वन्यजीवों को मार कर पुरस्कृत होने के लिए एक दूसरे से विवेकहीन होड़ करते हैं। ऐसी केवल एक प्रतियोगिता में ही सैकड़ों की तादाद में वन्यजीव मार दिए जाते हैं। खून से सने इन वन्यजीवों के शवों को तौलने के बाद, उसके आधार पर ही प्रतिभागियों में पुरस्कार बांटे जाते हैं और फिर समारोह समाप्त हो जाते हैं। वन्यजीवों के शवों को कचरे की तरह डाल दिया जाता है। प्रतिभागी इलेक्ट्रोनिक यंत्रों के जरिए आवाज निकाल कर इन वन्यजीवों को बहलाते-फुसलाते हैं और मारक क्षेत्र में उनके आते ही AR-15s समेत उच्च शक्ति वाले राइफलों से उन पर गोलियां दाग देते हैं।

डी लियोन फार्मेसी एवं स्पोर्टिंग गुड्स वारमिंट हंट में भाग लेने वाले एक व्यक्ति ने हमारे संगठन ह्यूमैन सोसाइटी ऑफ दि यूनाइटेड स्टेट्स (एचएसयूएस) के निरीक्षण के दौरान कस्टम निर्मित राइफल का उल्लेख करते हुए बताया कि ये राइफलें, “स्टेरॉयड पर .22-250 की तरह हैं।” इस प्रतिभागी ने जनवरी में टेक्सास के फार्मेसी पार्क में 21 घंटे तक चली प्रतियोगिता में वन्यजीवों की हत्या करने में इसी राइफल का इस्तेमाल किया था। खून से सनी उनकी लाशों की कतारों में खड़े होकर इस प्रतिभागी ने बताया कि ये राइफलें “बहुत फर-फ्रेंडली नहीं हैं, मैं इनकी जैसी राइफलों का उपयोग करना पसंद नहीं करता, अगर आप रोएं को बचाना चाहते हैं।” अपनी बात को स्पष्ट करने के प्रयास में, उसने एक काइयोट (उत्तरी अमेरिका में पाया जाने वाला) के शव को पलट दिया और फिर शेखी बघारते हुए कहा, “मैंने ऊंचाई से इसको यहां गले में गोली दागा और उसके सीने से नीचे के सारे हिस्से को उड़ा दिया।“

अन्य प्रतिभागियों ने मरे हुए वन्यजीवों को ट्रकों से उतार दिया, जो मुख्य रूप से उनकी हत्याओं के लिए उभरे डेस्कों, कुशन कुर्सियों और गन माउंट (जिस पर रख कर बंदूकें चलाई जाती हैं।) के साथ सज्जित किए गए थे। तीन लोगों की एक टीम जो खुद को “डेड वन” कहती थी, ने पांच काइयोट, दो वनबिलावों, एक लोमड़ी और एक रैकून की हत्या कर यह प्रतियोगिता जीत ली थी। उसे प्रतियोगिता के आयोजकों ने 3,000 हजार डॉलर्स से अधिक धनराशि पुरस्कारस्वरूप प्रदान किए।

इसी तरह, एक अन्य प्रतियोगिता दिसम्बर 2020 में टेक्सास से 1,000 मील उत्तर में हुई थी। वहां एचएसयूएस के निरीक्षकों ने अग्निशामक दल के कुछ सदस्यों को मरे हुए काइयोट को विलियम्सपोर्ट, इंडाना के फायर विभाग की पार्किंग क्षेत्र में बने तौल केंद्र पर लाने में मदद करते हुए देखा था। इसमें भारी-भरकम पांच काइयोट को मारने वालों को सबसे बड़ा पुरस्कार दिया गया। साइड पॉट सबसे अधिक संख्या में “बड़ा कुत्ता” और “छोटा कुत्ता” (काइयोट के आकार बताने के अर्थ में प्रयुक्त होता है।) काइयोट मारने वालों को दिया गया। विजेता टीम, जिसके सभी सदस्य मैचिंग जैकेट पहने थे, उन्होंने मोटे तौर पर 60 वन्यजीवों में से 16 मारे थे, जिनके शवों को प्रतियोगिता के अंत में एक कतार में प्रदर्शित किया गया था। एक प्रतिभागी ने हमारे एचएसयूएस के निरीक्षकों से कहा कि उसने वन्यजीवों को मारने के लिए नाइट विजन के साथ एआर-15 राइफल का इस्तेमाल किया था और इस काम में “मुझे आनंद आया।”

एचएसयूएस द्वारा-मैरीलैंड, न्यूजर्सी, न्यूयार्क (2018 और 2020 में), ओरेगांव एवं वर्जिनिया-में गुप्त रूप से किए गए अन्य निरीक्षणों में प्रतियोगिता की ऐसी ही सिहरा देने वाली छवियां देखने को मिली हैं, जिनमें बच्चों को जानवरों के शवों के बीच खेलते हुए देखा गया है।
इन कुछ प्रतियोगिताओं में बड़े दांव लगे होते हैं। जनवरी में पश्चिमी टेक्सास के बिग बॉबकैट प्रतियोगिता में, प्रतिभागियों ने $148,120 पुरस्कार राशि पाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। “सर्वाधिक भूरी लोमड़ी” को मारने के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार उन चार प्रतिभागियों की एक टीम को दिया गया, जिन्होंने 23 घंटों में 81 लोमड़ियां मारी थीं।

ताज्जुब की बात यह है कि प्रतिस्पर्द्धियों ने हजारों डॉलर्स की बड़ी धनराशि एक बेतुके लाभ के लिए उपकरणों पर खर्च कर दी थी। वन्यजीवों की बोली निकाने वाले इलेक्ट्रोनिक यंत्रों को लाउडस्पीकर के जरिए पूरे मैदान में लगाया गया था। इनसे निकली आवाजों को सुन कर बड़े जानवर भ्रमवश यह मान कर बाहर निकल आते थे कि उनका अपना दुधमुंहा, छोटा बच्चा शायद किसी गहरे संकट में फंस कर उनसे मदद की गुहार लगा रहा है। इस तरह, वे आसानी से प्रतिभागियों में झांसे में बाहर निकल आते और फिर उनकी गोलियों के शिकार हो जाते थे। ये वन्यजीव भला स्पॉटलाइट, एवं एआर-15 शैली के हथियारों, विशेष कर रात में देखे जा सकने वाले उपकरणों, जो उनके रिहाइश के इलाके या उनके रास्ते आने वाली किसी भी चीज को मिटा सकने में समर्थ थे, भला ऐसी सुविधाओं से लैस लोगों की टीम का मुकाबला कैसे कर सकते थे!

हत्या प्रतियोगिता कबूतर मारने की पुराने जमाने की प्रथा की कजिन कही जा सकती है। यह वन्यजीवों के अंधाधुंध वध पर आधारित एक और प्रतियोगिता है। कबूतर मारने वाली प्रतियोगिता में, चिड़ियों को एक स्प्रिंग लगे बॉक्सों में रख दिया जाता है, शूटर के निर्देश पर उसे हवा में उछाला जाता है और फिर शूटर कम दूरी से उसे गोली मार देता है। यह सब कुछ उड़ती चिड़िया को मारने का आनंद पाने और पुरस्कार लेने के लिए किया जाता है। अब केवल पेन्सिलवानिया में ही कबूतर को गोलियों से उड़ाने का खेल जारी है।

कबूतर शूटर की तरह ही, वन्यजीवों का वध करने वाली प्रतियोगिताओं के प्रतिभागी यह झूठा दावा करते हैं कि वे "हिंस्र" और "कीट" समझे जाने वाले वन्यजीवों के परिवेश से छुटकारा दिला कर समाज की सेवा करते हैं। लेकिन सच्चाई है कि ये आयोजन महज आनंद और खेल के लिए किए जाते हैं और इनका मकसद वन्यजीवों का प्रबंधन तो कतई नहीं है। अब तक का उपलब्ध विज्ञान यह दिखाता है कि अंधाधुंध तरीके से वन्यजीवों को मारने, खास कर काइयोट की हत्या से, वहां भी समस्या पैदा हो जाती थी, जहां कभी एक भी समस्या नहीं थी।

यह सुनने में अजीबोगरीब लगता है पर काइयोट को मारने से उनके प्रजनन का विस्तार ही होता है। एक अप्रयुक्त काइयोट जोड़ी में, आमतौर पर केवल प्रमुख जोड़ी प्रजनन करती है। अपने कुछ सदस्यों के नष्ट होने के बाद युग्म से बचा हुआ काइयोट दूसरा साथी पाने के लिए अलग हो जाता है। अधिक प्रजनन करने वाले जोड़े का मतलब है, अधिक तादाद में काइयोट का पैदा होना। इससे एक अन्य असमता जा जाती है। अधिकतर काइयोट पशुओं से बचते हैं और कृंतकों को चबाना पसंद करते हैं, उनके अधिक बच्चे होने का मतलब, चबाने-खाने वाले मुंह भी अधिक होंगे। यह स्थिति वयस्क काइयोट को अपने एवं उनके भरण-पोषण तथा अस्तित्व के लिए भेड़ जैसे अपेक्षाकृत अधिक आसान वन्यजीव का शिकार करने पर दबाव डालती है।

यह एक “विरोधाभासी संबंध” है-यानी ज्यादा से ज्यादा काइयोट को मारने का मतलब पशुधन का अधिकाधिक नुकसान करना है। बिना सोचे विचारे उन काइयोट का हटाया जाना,जो कि इससे पहले पशुधन के लिए किसी भी लिहाज़ से ख़तरा साबित नहीं हुए हैं और अगर इनकी जगह कोई और जानवर लेता है,तो पशुधन के शिकार होने की आशंका ज़्यादा है। अधिकतर काइयोट मांसाहारी पशुओं का मुकाबला करने में “गार्ड काइयोट्स” के रूप में भी अपनी सेवा दे सकते हैं।

काइयोट एवं लोमड़ी जैसे घरेलू मांसाहारी जानवर हमारे समुदायों के लिए कई पारिस्थितिक सेवाएं मुफ्त में भी मुहैया कराते हैं। इन सेवाओं में कुतरने वाले जीवों एवं खरगोश की आबादियों पर नियंत्रण करने से लेकर, अप्रत्यक्ष रूप से पादप एवं पक्षीय जैवविविधता को बढ़ावा देने, और जानवरों के मृत शरीर के बने कचरों को साफ कर वातावरण को स्वच्छ रखने तक उनका योगदान शामिल है। इस लिहाजन, काइयोट को बड़ी तादाद में मार देने से हमारी पारिस्थितिकी-प्रणाली का प्राकृतिक संतुलन डगमग कर देगा।

हम वन्यजीवन प्रबंधन का निर्णय किस्सा-कहानी, अटकलों एवं गलत सूचनाओं के आधार पर नहीं कर सकते, जिसका इस्तेमाल प्रतिस्पर्द्धी अपने कामों को उचित ठहराने के लिए करते हैं। हमें अवश्य ही विज्ञान की उंगली पकड़े चलना चाहिए। राज्य की वन्यजीव एजेंसियां मानती हैं कि इसमें नैतिकता को भी अपनी भूमिका निभानी चाहिए। एरिजोना गेम एवं फिश कमीशन ने 2019 में इस मारक प्रतियोगिता को गैर कानूनी घोषित कर दिया था। आयोग जबकि इस पर अब भी प्रतिबंध लगाने की सोच रहा है, उसके अध्यक्ष जिम जिलेर, जो खुद भी एक शिकारी रहे हैं, उनको वाशिंगटन पोस्ट में यह उद्धृत करते हुए बताया गया है कि “इसे लेकर सामाजिक स्तर पर काफी हाहाकार है, और आप इसे समझने की दया कर सकते हैं कि यह हाहाकार किन वजहों से है। इसके पक्ष में खड़ा होने एवं इस तरह की प्रथा का समर्थन करना बहुत कठिन है।”

स्पोर्ट्समैन एवं राज्य की वन्यजीव एजेंसी के पेशेवरों एवं पूरे देश के कमीश्नरों ने एक जैसी संवेदनाएं जताई हैं। कुछ लोगों ने यह भी गौर किया है कि ऐसी प्रतियोगिताएं शिकारियों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रही हैं और आखेट के भविष्य को पंगु बना रही है। उनका यह वास्तविक डर है-वन्यजीवों को लेकर समाज के मूल्य प्रकृति के साथ अपनी व्यापक सदाशयता दिखाने के पक्ष में बदल रहे हैं।

इस मामले को और बदतर करते हुए, कोरोना वैश्विक महामारी ने इसमें एक दूसरा ही अवयव जोड़ दिया है: इसके चलते आभासी प्रतिस्पर्द्धाएं आयोजित हो रही हैं, जहां वन्यजीवों की हत्याएं बदस्तूर हैं किंतु उनका निर्णय तथा भागीदारी ऑनलाइन हो रही है। प्रतिभागी संयुक्त राज्य अमेरिका में चाहे कहीं भी रह रहे हों, वे अपने आसपास के वन्यजीवों को मार कर इसका वीडियो बनाकर उसे सबमिट कर सकते हैं और इन वीडियो में उन्हें जानवरों के शवों को उलट-पलट कर दिखाना है, जिससे निर्णायकों को भरोसा हो जाए कि ये अभी हाल ही में मारे गए हैं। इन आभासी प्रतियोगिताओं ने पुरस्कार की एक नई श्रेणी भी बनाई है, जैसे “बेस्ट वीडियो ऑफ ए किल”। देश के 40 से अधिक राज्यों, जिनमें वे राज्य भी शामिल हैं, जहां ये प्रतियोगिताएं प्रतिबंधित कर दी गई हैं, वहां के लोग भी इन प्रतियोगी वेबसाइट्स में शामिल होते हैं। यह आभासी आयोजन लगभग हर सप्ताहांत होता है।

निश्चित ही हम बिना चुनौती दिए हुए इसे जारी रहने नहीं दे सकते। खास कर जबसे कई शिकारियों ने वन्यजीवों की हत्या करने वाली प्रतियोगिताओं को लेकर लोगों में बढ़ती घृणा का इजहार किया है। वे समझते हैं कि किसी वन्यजीवों का जीवन इस क्रूर तरीके से नहीं लिया जाना चाहिए और अन्य बेशुमार अमेरिकियों की तरह उनका भी भरोसा है कि वन्यजीवों के प्रति हमारे व्यवहार एवं उनके उपयोग को लेकर हमें क्या एवं कितनी अनुमति देनी चाहिए, इसकी भी सीमा तय कर दी जानी चाहिए।

यह अच्छी खबर है कि वन्यजीवों को मारने की प्रतियोगिताओं को प्रतिबंधित करने की गरज से संघीय एवं राज्य, दोनों ही स्तरों पर विधेयक एवं नियमन लाने की बात उठ रही है। इन आयोजनों को प्रतिबंधित करने के वाजिब कारणों को प्रचंड साक्ष्यों द्वारा समर्थन दिया जा रहा है, और जो इस आयोजन का विरोध करते हैं, उन्हें इन वन्यजीवों की हत्या के अविवेकपूर्ण प्रथा पर अपनी असहमति तथा प्रतिबद्धता दर्ज करानी होगी। कांग्रेस एवं राज्य विधानसभाओं एवं राज्य के वन्यजीव प्रबंधन एजेंसियों तथा स्थानीय सरकारों को इस बारे में पत्र लिखा गया है। इस संदर्भ में किस राज्य में क्या प्रगति हुई है, यह जानने के लिए एचएसयूएस के राज्य निदेशक से संपर्क करने की ताकीद भी की गई है। वन्यजीवन सबके लिए महत्वपूर्ण है, और यह बात हमारी सार्वजनिक नीतियों एवं आचरणों में परिलक्षित होनी चाहिए।

(कैटी स्टेन्नस ह्यूमैन सोसाइटी ऑफ दि यूनाइटेड स्टेट्स में वन्यजीवन संरक्षण की प्रोग्राम मैनेजर हैं। उन्होंने पशु संरक्षण क्षेत्र में लगभग आठ साल से अधिक समय तक योगदान दिया है।)

स्रोत : इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टिटयूट

सौजन्य: यह आलेख मूल रूप से इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टिटयूट की परियोजना पृथ्वी। भोजन। जीवन, के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया था।

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें ।

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