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वज़ीरपुर के इस्पात मज़दूरों की ऐतिहासिक जीत

जैसा कि सबको पता है, वज़ीरपुर के इस्पात मज़दूर पिछली 6 जून से ‘गरम रोल्ला मज़दूर एकता समिति के नेतृत्व में हड़ताल पर हैं. आज उप श्रम आयुक्त के कार्यालय में मज़दूरों के साथ बातचीत में कारखाने के मालिक ने उनकी सभी मांगें जैसे 8 घंटे का कार्यदिवस घोषित करने, दुगनी कीमत पर ओवरटाइम, न्यूनतम वेतन, ई.एस.आई., भविष्यनिधि आदि पर मंज़ूरी दे दी. मज़दूरों के लिए यह बड़ी विजय है क्योंकि यह वेतन बढ़ाने के लिए कोई अनौपचारिक वार्ता नहीं थी; इस वार्ता के जरिये ज्यादातर मुख्य श्रम कानूनों को लागू कर दिया गया.

 

सनी, जोकि गरम रोल्ला मज़दूर एकता समिति का सदस्य है, ने कहा कि यह एक बहुत बड़ा कदम है, लेकिन यह केवल शुरुवात है. अब सबसे बड़ा काम इस समझौते को लागू करवाना और किसी भी मिल मालिक को श्रम कानूनों कि धज्जियाँ उड़ाने से रोकने का है. रघुराज, सदस्य गरम रोल्ला मज़दूर एकता समिति ने कहा कि उप श्रम आयुक्त ने कहा है कि वे कारखाने में पूरे महीने किसी भी वक्त दौरे पर आयेंगें यह सुनिश्चित करने के लिए कि 8 घंटे कार्यदिवस का पालन हो रहा है या नहीं और साथ ही वेतन वाले दिन भी उपस्थित रहेंगें ताकि यह देखा जा सके कि न्यूनतम वेतन दिया जा रहा है या नहीं. शिवानी, जोकि समिति की कानूनी सलाहकार है और ‘बिगुल मज़दूर दस्ता’ की कार्यकर्ता है ने कहा कि इस बेबसी और मज़दूर आन्दोलन में आई कमी के सन्दर्भ इस जीत बड़ा महत्तव है. कारखाने मालिकों और प्रबंधन के लोगों के बीच श्रम क़ानून मज़ाक का विषय बन कर रह गए हैं. मगर वज़ीरपुर के इस्पात मज़दूरों ने दिखा दिया है कि अगर हम राजीनीतिक पार्टियों की एजेंट यूनियनों, एन.जी.ओ. और धन प्रदान कराने वाली एजेंसियों को मज़दूर आन्दोलनों में घुसने से रोक पाते हैं, तो मज़दूर खुद अपनी लड़ाई को बेहतर ढंग से लड़, जीत हासिल कर सकते हैं, बशर्ते यह एक सही राजनितिक समझ से निर्देशित हो. गरम रोल्ला मज़दूर एकता समिति ने इस उद्देश्य को इस आन्दोलन के ज़रिये हासिल किया है. नवीन, सचिव, दिल्ली कामगार यूनियन कहते हैं कि इस्पात मज़दूरों का लचीलापन और उनको मिला सही राजनितिक नेतृत्व ही था जिसने उन्हें यह ऐतिहासिक जीत दिलाई. उन्होंने आगे कहा कि हड़ताली मज़दूरों द्वारा देश के अन्य हिस्सों के मज़दूरों के समर्थन से स्थापित की गयी सामुदायिक रसोई ने यह दिखा दिया है कि अगर मज़दूर आन्दोलन फैक्ट्री और व्यवसायों की गलियों से होकर गुज़रता है और विभिन्न व्यवसायों, धर्मों के मज़दूर आपस में एकता स्थापित करते हैं तो इसमें मज़दूर आन्दोलन की जीत निश्चय ही होगी. वज़ीरपुर के इस्पात मज़दूरों ने रास्ता दिखाया है, अब सभी क्षेत्रों के मज़दूरों, चाहे वे किसी भे व्यवसाय से जुड़े हों, को भी इसी रास्ते पर चलना चाहिए.

क्रांतिकारी अभिवादन सहीत,

रघुराज, सनी सिंह (सदस्य, नेतृत्व समिति, गरम रोल्ला मज़दूर एकता समिति)

शिवानी, (कानूनी सलाहकार, गरम रोल्ला मज़दूर एकता समिति)

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

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