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अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी आक्रमण के बाद से क़रीब 33,000 बच्चे मारे गए या विकलांग हुए

पिछले दो दशकों में अफ़ग़ानिस्तान में मारे गए बच्चों की वास्तविक संख्या बहुत अधिक होगी क्योंकि इन आंकड़ों में उन बच्चों को शामिल नहीं किया गया है जिनकी मौत युद्ध के कारण भुखमरी, बीमारी और ग़रीबी के कारण हुई।
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चूंकि दो दशक लंबा चला अमेरिका के नेतृत्व में अफगानिस्तान पर नाटो का आक्रमण 31 अगस्त को समाप्त हो गया ऐसे में सेव द चिल्ड्रेन ने एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया कि इस युद्ध में 2005 से देश में करीब 32,945 बच्चे मारे गए या विकलांग हो गए।

इसने यह भी दावा किया कि पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में मारे गए बच्चों की वास्तविक संख्या इस आंकड़े से काफी अधिक होगी क्योंकि इसमें उन अफगानी बच्चों को शामिल नहीं किया गया है जो भूखगरीबी और युद्ध के कारण हुई बीमारियों और शासन की विफलता के कारण मारे गए थे।

सेव द चिल्ड्रेन के अनुसारदेश में हर घंटे में एक बच्चा मारा जाता है या विकलांग हो जाता है और देश में हर 16 में से बच्चा पांच साल की उम्र से पहले ही मर जाता है।

देश में तथाकथित आतंकवादियों के खिलाफ लड़ने के लिए अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना ने अंधाधुंध हवाई शक्ति का इस्तेमाल किया है। अक्सर इन हवाई हमलों और बम विस्फोटों में निर्दोष नागरिक मारे गए हैं क्योंकि उनके घरों और नागरिक क्षेत्रों और बुनियादी ढांचे पर हमला किया गया है। नागरिक क्षेत्रों में आतंकवादी समूहों द्वारा किए गए अंधाधुंध हमलों में भी हजारों मौतें हुई हैं। विभिन्न अनुमानों के अनुसार 2001 और 2021 के बीच 50,000 से 100,000 अफगानी नागरिक मारे गए हैं।

सेव द चिल्ड्रेन के अनुसार केवल पिछले डेढ़ साल में अर्थात 2020 की शुरुआत और 2021 के मध्य के बीच 4,301 से अधिक अफगानी बच्चों की मौत हुई है जिनमें से 806 बच्चों की सीधी हिंसक घटनाओं में मौत हुई है।

29 अगस्त को काबुल हवाई अड्डे से विदेशियों की अव्यवस्थित निकासी के दौरान अमेरिकी सेना ने कुछ दिन पहले बमबारी की प्रतिक्रिया में एक आवासीय भवन के पास एक कथित आईएसआईएस-के आतंकवादी पर ड्रोन हमला किया जिसमें सात बच्चों सहित कम से कम 10 लोग मारे गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्धसूखे और कोरोनावायरस महामारी के कारण करीब आधे अफगानी लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है। देश में लगभग 10 मिलियन बच्चों को किसी न किसी प्रकार की मानवीय सहायता की आवश्यकता है और पांच वर्ष से कम आयु के आधे बच्चे इस वर्ष घोर कुपोषण का सामना कर रहे हैं।

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