यूपी के वो इलाके जहां नागरिकता कानून का हो रहा है जोरदार विरोध
उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन एक्ट यानी सीएए का जोरदार विरोध देखने को मिल रहा है। राजधानी लखनऊ समेत तमाम छोटे-बड़े जिलों, इलाकों में इस कानून के खिलाफत में आवाज गूंज रही है। एक ओर जहां पूरे प्रदेश में धारा 144 लागू है, वहीं कई जगहों पर मोबाइल इंटरनेट की सेवाएं भी ठप हैं। इसके बावजूद भारी संख्या में लोग सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में जहां सरकार तमाम दावे कर रही हैं, लगातार तर्क दे रही है कि इससे देश के मुस्लिमों को कोई खतरा नहीं है वहीं लोग इससे संतुष्ट नज़र नहीं आ रहे हैं।
प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना है कि ये कानूून संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और एक वर्ग विशेष को नागरिकता से वंचित करता है। इस कानून को लोग एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर से भी जोड़ कर देख रहे हैं।
बता दें कि चार दिन की शांति के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के परिसर में 21 दिसंबर, शनिवार को फिर विरोध प्रदर्शन हुए। एएमयू के गैर शैक्षणिक स्टाफ के सैकड़ों लोगों ने एएमयू शिक्षक संघ के साथ मिलकर प्रदर्शन किया।
ताजा जानकारी के मुताबिक शुक्रवार 20 दिसंबर को हुए विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रदेश में 11 लोगों की मौत की खबर सामने आई है। इस गिनती में एक आठ साल का मासूम बच्चा भी शामिल है। एक ओर खबरों के मुताबिक मरने वालों में से कई की मौत गोली लगने से हुई है तो वहीं पुलिस महानिदेशक ने पुलिस की गोली से किसी की भी मौत होने से इनकार किया है।
अकेले लखनऊ में क़रीब 150 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है जबकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस से काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों समेत पुलिस ने लगभग 70 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की छात्रा आकांक्षा ने न्यू़ज़क्लिक को बताया, ‘19 दिसंबर को हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, पुलिस ने इसके बावजूद हमारे कई साथियों को हिरासत में ले लिया, लगभग 13 साथियों को जेल भेज दिया है। छात्रों पर गंभीर धाराएं लगाई गई हैं, कई ऐसे भी छात्र हैं जिनका कुछ अता-पता ही नहीं है कि वो कहां हैं। पुलिस ने जिनको गिरफ्तार किया है, उन पर NSA यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाए जाने की बाते भी कही जा रही हैं।'
लखनऊ और बनारस के अलावा यूपी के उन इलाकों पर एक नजर जहां सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं।
फिरोजाबाद
शुक्रवार, 20 नवंबर को फिरोजाबाद में भी नागरिकता संशोधन कानून का जोरदार विरोध देखने को मिला। जुमे की नमाज के बाद छोटे-छोटे गुटों में भारी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे। इस दौरान आगजनी, पथराव, तोड़फोड़ और पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की खबरें भी सामने आई है।
स्थानिय निवासियों ने बताया, ‘हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, नालबंद पुलिस चौकी को किसने आग लगाई हमें नहीं पता, जिन्होंने पथराव और अगजनी की वो भी कौन लोग थे हमें नहीं पता। लेकिन पुलिस ने बिना सोचे समझे सभी प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज की, आंसू गैस के गोले दागे और कई लोगों को हिरासत में भी लिया।'
बहराइच
नागरिकता कानून का विरोध बहराइच के घंटाघर इलाके में भी देखने को मिला। जुमे की नमाज के बाद लोग सड़क पर उतरे। पुलिस की ओर से उन्हें रोकने की कोशिश भी गई और इस दौरान कुछ झड़प की खबरें भी सामने आईं।
बहराइच में फैले तनाव के दृष्टिगत पुलिस ने 2067 उपद्रवियों व प्रदर्शनकारियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में छह मुकदमे दर्ज किए हैं तथा 38 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है। संवेदनशील माहौल व सोशल मीडिया के नाजायज इस्तेमाल की संभावना के मद्देनजर शहर में अगले आदेश तक इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है।
पुलिस अधीक्षक गौरव ग्रोवर ने बताया कि शुक्रवार की नमाज के बाद प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए पथराव के बाद शहर में तनाव फैल गया था। धारा 144 तोड़कर प्रदर्शन, उग्र नारेबाजी व पथराव कर रहे हजारों प्रदर्शनकारियों को काबू में लाने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल कर बल प्रयोग करना पड़ा था। उपद्रवियों के पथराव से 10 पुलिस कर्मियों को चोटें आई हैं जिनका इलाज स्थानीय मेडिकल कालेज में कराया जा रहा है।
गोरखपुर
गोरखपुर में लोगों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए जुमे की नमाज के बाद जुलूस निकाला। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई। जिसके बाद पुलिस द्वारा बल प्रयोग भी किया गया।
एक प्रदर्शनकारी ने न्यूज़क्लिक को बताया, ‘नमाज़ के बाद शांतिपूर्ण ढंग से हम आगे घंटाघर की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन तवाली इलाके के नखास चौक पर पुलिस ने हमें रोक दिया। इसके बाद भी जब भीड़ आगे बढ़ती रही तो पुलिस ने बल प्रयोग किया। कुछ लोगों ने शायद पुलिस पर पथराव किया, लेकिन वो कौन थे किसी को बता नहीं, इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को भगाया और आंसू गैस के गोले भी दागे। जिसके बाद सब लोगों को तीतर-बितर कर दिया गया।'
भदोही, सीतापुर और बिजनौर
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में भदोही के नगर कोतवाली इलाके में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जुमे की नमाज के बाद जुलूस निकाला। यहां प्रदर्शनकारियों और पुलिस की तीखी झड़प हुई है। जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया। हिंसक प्रदर्शन करने के सिलसिले में पुलिस ने शनिवार को 24 लोगों को गिरफ्तार किया।
पुलिस अधीक्षक राम बदन सिंह ने बताया कि शुक्रवार को मार्च निकाल रही भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया था और कई वाहन क्षतिग्रस्त कर दिये थे। इस संबंध में 27 नामजद और 200 अज्ञात उपद्रवियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पूरे जिले में सुरक्षा व्यवस्था के मददेनजर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। स्थिति तनावपूर्ण किन्तु नियंत्रण में है।
सीतापुर के लहरपुर में विरोध स्वरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर फाड़े गए। यहां हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे, पुलिस के लाठीचार्ज की खबर यहां भी सामने आई।
बिजनौर के नटहौर में भी कई विरोध में प्रदर्शन हुए। भारी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे, नागरिकता कानून और सरकार के खिलाफ जमकर नारे-बाजी भी हुई। यहां भी पथराव और लाठीचार्ज हुआ।
स्थानिय पत्रकार पवन सिन्हा ने न्यूज़क्लिक को बताया "लगभग सभी जगहों पर हिंसा और लाठीचार्ज की खबरें हैं। कई प्रदर्शनकारियों और पुलिसवालों को चोटें भी आई हैं। पूरे इलाके में इंटरनेट सेवाए बंद कर दी गई हैं और पुलिस लगातार गश्त कर रही है।'
मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर और हाथरस
मुजफ्फरनगर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के कच्ची सड़क पर विरोध प्रदर्शन हुआ। हाथरस के सिकंदराराऊ कोतवाली इलाके में जामा मस्जिद के पास प्रदर्शनकारियों की बड़ी तादाद देखने को मिली। दोनों इलाकों में पुलिस ने लाठीचार्ज किया और भीड़ को अलग-थलग किया।
बुलंदशहर में भी कई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी हुई। हालांकि यहां प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा।
मुरादाबाद, हापुड़ और अमरोहा
मुरादाबाद में जामा मस्जिद में नमाज के बाद कई हजार लोग जीआईसी चौक पर संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में उतरे। यहां काले गुब्बारे उड़ाए गए और सरकार विरोधी नारे लगे। नमाज के बाद हापुड़ में भी भारी विरोध देखने को मिला। प्रदर्शनकारी बुलंदशहर रोड से जुलूस के रूप में तहसील चौपला पहुंचे, इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने का प्रयास किया। जिसके बाद पथराव और लाठीचार्ज की खबरें सामने आई।
स्थानीय पत्रकार अतुल सिंह ने बताया, 'हापुड़ में कई वाहनों में तोड़फोड़ की गई। अमरोहा में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई। यहां तीन बाइकों को आग के हवाले कर दिया, हालांकि वो कौन थे जिन्होंन आगजनी की ये अभी पता नहीं लगा। फिलहाल स्थिति तनावपूर्ण है।'
उन्होंने आगे बताया कि पूरे प्रदेश में धारा 144 प्रभावी होने के बाद भी कई इलाकों में हिंसक प्रदर्शन हुए। पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, प्रदेश के विभिन्न जिलों में 3305 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
संभल में पथराव और आगजनी मामले में सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क समेत 17 पर केस दर्ज किया गया। वहीं, सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के मामले में 13 पर एफआईआर दर्ज की। इनमें 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया। जबकि, 1786 ट्वीटर पोस्ट और 3037 फेसबुक और 38 यूट्यूब पोस्ट को हटाने के लिए संबंधित कंपनियों से संपर्क किया गया।
बता दें कि बनारस, उन्नाव, सुल्तानपुर, आगरा, संभल, लखनऊ, मेरठ, सहारनपुर, मऊ, आजमगढ़, गाजियाबाद, बुलंदशहर, अलीगढ़, प्रयागराज, बागपत, हापुड़, मुजफ्फरनगर, शामली, मुरादाबाद, रामपुर, फिरोजाबाद समेत 20 जिलों में इंटरनेट ठप है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नागरिकता कानून पर फैलाये जा रहे बहकावे में नहीं आने की अपील करते हुए शनिवार को कहा कि उपद्रव और हिंसा की छूट किसी को भी नहीं दी जा सकती है।
मुख्यमंत्री योगी ने फिर दोहराया कि जहां भी सार्वजनिक संपत्ति को उपद्रवियों ने क्षति पहुंचायी है, उस संपत्ति की भरपाई, वीडियो फुटेज तथा अन्य पुष्ट प्रमाणों के आधार पर चिन्हित किए जा रहे उपद्रवियों की संपत्तियों को जब्त करके की जाएगी।
लेकिन सवाल यही है कि क्या वास्तव में हिंसा करने वालों की पहचान हो पाएगी? क्योंकि खुद पुलिस महकमें के ही कुछ लोगों ने मीडिया को बताया कि भीड़ में शामिल कुछ लोग मुंह में काले कपड़े बांधकर पत्थरबाज़ी कर रहे हैं और हिंसा को भड़का रहे हैं और इन लोगों की पहचान कर पाना भी आसान नहीं है।
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