बीएचयू: नर्सिंग छात्रों का धरना लगातार चौथे दिन भी जारी, मांगें पूरी न होने पर अनशन की चेतावनी

काशी हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू में एक बार फिर छात्र और प्रशासन आमने-सामने हैं। हॉस्टल, इंटर्नशिप स्टाईपेंड और अन्य कई मांगों को लेकर विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आईएमएस) के नर्सिंग छात्र बीते चार दिनों से धरने पर बैठे हैं। बीते दिन एक प्रदर्शनकारी छात्र की हालात गंभीर होने के बावजूद बीएचयू प्रशासन पठन-पाठन और अस्पताल का कामकाज छोड़ अपने हक़ की आवाज़ बुलंद कर रहे इन छात्रों की कोई सुध नहीं ले रहा।
प्रदर्शन कर रहे नर्सिंग के छात्रों का कहना है कि कई आश्वासनों के बाद भी अभी तक न तो उनकी छात्रावास की मांग पूरी हुई है और न ही प्रशासन समय से परीक्षा ही करवा पा रहा है। इन छात्रों की कई और मांगें भी हैं जैसे छात्र चाहते हैं कि उन्हें उनके इंटर्नशिप के तहत नियमानुसार छह महीने करीब 13,000 का मानदेय दिया जाए, साथ ही इस प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में 25 प्रतिशत आरक्षण कोटा के साथ पोस्ट ग्रेजुएट एमएससी नर्सिंग शुरू की जाए।
प्रदर्शन के ख़िलाफ़ छात्रों को नोटिस जारी
न्यूज़क्लिक से बातचीत में कई छात्रों ने बताया कि नर्सिंग कॉलेज के प्रोफेसर इंचार्ज की ओर से धरने को गलत बताते हुए प्रदर्शनकारी छात्रों को नोटिस जारी किया गया है। हालांकि छात्र इसके बावजूद पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और अपनी मांगें पूरी न होने पर अनशन की चेतावनी दे रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि प्रशासन उन पर दबाव बनाकर, नोटिस जारी कर, कार्रवाई की धमकी देकर इस प्रदर्शन को खत्म करवाना चाहता है, जैसा की हर बार किया जाता रहा है।
बता दें कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि ये साल 2020 से ही समय-समय पर प्रदर्शन और प्रशासन से गुहार लगाते रहे हैं लेकिन हर बार इन्हें प्रशासन ने अनदेखी किया है। बीते साल भी इन छात्रों ने हॉस्टल और अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन किया था। तब प्रशासन ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही प्राथमिक आधार पर इन छात्रों को छात्रावास दिया जाएगा, लेकिन साल बीत जाने और कई कमरे खाली होने के बाद भी अब तक कोई भी इस दिशा में कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया है। अब ये छात्र बीते सोमवार, 20 फरवरी से एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
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तकनीकी परेशानी का हवाला देकर ख़ाली कमरों में जड़े ताले
बीएससी थर्ड ईयर नर्सिंग के छात्र पीयूष न्यूज़क्लिक को बताते हैं कि छात्र यहां कई परेशानियों से जूझ रहे हैं। 2020 से हॉस्टल की मांग की जा रही है, लेकिन प्रशासन कभी कोई बहाना तो कभी कुछ नया बताकर टाल देता है। अब जब सीनियर पास आउट होकर चले गए हैं, उनके कमरे खाली हैं, तब भी प्रशासन कोई तकनीकी परेशानी का हवाला देकर उन कमरों में ताला जड़े है। इसके अलावा नियम के मुताबिक मेडिकल स्टूडेंट्स को 6 महीने इंटर्नशिप के लिए 13 हज़ार के करीब का मानदेय हर महीने दिया जाना अनिवार्य है, लेकिन यहां का प्रशासन न पैसे देता है, न सर्टिफिकेट, ऐसे में छात्र अपना अनुभव आगे नौकरी के लिए कैसे दिखाएंगे।
एक अन्य छात्र राहुल कहते हैं कि यहां छात्र पढ़ाई के साथ अस्पताल में भी काम करते हैं। कई बार बहुत रात हो जाती है, आने-जाने का ठीक से कोई साधन नहीं मिलता, नियम के अनुसार भी प्रशासन को एक किलोमीटर के भीतर छात्रावास मुहैया करवाना चाहिए, लेकिन यहां छात्रों की किसी को नहीं पड़ी। बीएससी नर्सिंग के छात्रों से काम करवा लिया जाता है, लेकिन उन्हें बदले में न सर्टिफिकेट और न ही पैसे दिए जाते, जबकि ये सब नियम के खिलाफ है। इसके अलावा राहुल बताते हैं कि यहां प्रशासन परीक्षाएं भी समय से नहीं करवाता, जिसके चलते छात्रों का सिलेबस अटक जाता है, उनका समय खराब होता है।
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ट्विटर पर #fightforhostel और # fightforstipend की आवाज़
प्रदर्शन पर बैठे छात्रों से फिलहाल प्रशासन की ओर से उनकी इंचार्ज मिलने आई हैं, जिन्होंने उनसे धरने को खत्म करने की बात कही, इसके अलावा कोई इन छात्रों से न मिलने आया और न ही इन्हें कोई आश्वासन मिला। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि ये लोग पहले पूरे प्रोपर चैनल से कई बार प्रशासन और कुलपति तक के सामने अपनी समस्याएं रख चुके हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई न होने के चलते उन्हें गेट रोक कर धरने पर बैठने को मजबूर होना पड़ा है। अब जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएगी, तब तक उनका धरना जारी रहेगा। इन छात्रों का विरोध सोशल मीडिया पर भी #fightforhostel और # fightforstipend के जरिए मजबूती से नज़र आ रहा है। वहीं प्रशासन की ओर से इस पूरे मामले पर चुप्पी कई सवाल भी खड़े कर रही है। न्यूज़क्लिक ने इस संबंध में बीएचयू प्रशासन और जनसंचार अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की है। फिलहाल खबर लिखे जाने तक हमें कोई जवाब नहीं मिला, जैसे ही जवाब आएगा खबर अपडेट की जाएगी।
गौरतलब है कि बीएचयू के छात्र समय-समय पर अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाते रहे हैं। कुछ ही दिन पहले कैंपस की छात्राओं ने यौन उत्पीड़न के खिलाफ चेनावनी मार्च निकाला था तो वहीं हॉस्टल में खाने और बदहाल व्यवस्था को लेकर भी छात्रों का गुस्सा कुछ दिनों पहले फूटा था। ऐसे में बीएचयू प्रशासन का छात्रों से संवाद न करना भी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिसे लेकर छात्रों में ज्यादा आक्रोश और भविष्य की चिंता भी नज़र आती है।
बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक कार्यालय द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार नर्सिंग कॉलेज में अध्ययनरत छात्राओं के लिए हॉस्टल सुविधा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और सभी छात्राएं छात्रावास में रह रही हैं। इसके अतिरिक्त 56 छात्रों को भी छात्रावास की सुविधा प्राप्त हैं मात्र 18 छात्रों को छात्रावास नहीं मिल पाया है और इस सम्बन्ध में विश्वविद्यालय प्रशासन निरंतर प्रयासरत है।
बीएचयू प्रशासन की ओर से मिले जवाब के मुताबिक प्रवेश के समय नर्सिंग के विद्यार्थियों को लिखित रूप से सूचित किया गया था कि यह सम्भव है सभी विद्यार्थियों को हास्टल की सुविधा न मिल पाये। पूर्व में नर्सिंग पाठ्यक्रम में अधिकतर छात्राएं प्रवेश लेती थी लेकिन पिछले तीन चार वर्षों में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है ऐसे में छात्रावास के कमरों की कमी को दूर करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन निरन्तर प्रयास कर रहा है।
इसके अलावा प्रशासन का कहना है कि बीएचयू का चिकित्सा विज्ञान संस्थान भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन संचालित होता है और ऐसे में बीएससी नर्सिंग के विद्यार्थियों हेतु इंटर्नशिप के दौरान स्टाइपेंड का कोई प्रावधान नहीं हैं। और इसलिए प्रशासन बार-बार विद्यार्थियों से अपील कर रहा है कि वह अपना विरोध प्रदर्शन वापस ले लें।
निदेशक कार्यालय के इस जवाब पर न्यूज़क्लिक ने धरने पर बैठे छात्रों से भी प्रतिक्रिया ली। छात्रों का कहना है कि प्रशासन सिर्फ गोलमोल बातें कर रहा है, छात्रों के हितों के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा। छात्रों के अनुसार एक ओर प्रशासन मीडिया में छात्रों के प्रदर्शन को खत्म करने के लिए अपील करने की बात कर रहा है वहीं दूसरी ओर छात्रों को कार्यवाही का नोटिस थमा कर डराने धमकाने की कोशिश की जा रही है।
धरने पर बैठे छात्रों ने एक नोटिस की कॉपी दिखाते हुए कहा कि प्रशासन उन पर धरना खत्म करने के लिए दवाब बना रहा है। उनसे नोटिस में कहा गया है कि यदि छात्र तत्काल प्रभाव से इस प्रदर्शन को खत्म नहीं करते तो इसे अनुशासनहीनता मानते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। और अगर छात्र प्रशासन की बात मान लेते हैं तो उनकी सुविधाओं के लिए आगे कदम उठाए जाने का आश्वासन दिया जाता है। हालांकि प्रदर्शनकारी छात्र सिर्फ आश्वासन के भरोसे अपने कदम पीछे नहीं लेना चाहते। उनका कहना है कि उन्हें लिखित में उनकी मांगे पूरी होने की गारंटी दी जाए क्योंकि बीते कई सालों से उन्हें सिर्फ आश्वासन के नाम पर ही गुमराह किया जा रहा है।
इन छात्रों का ये भी कहना है कि जब आईजीआईएमएस पटना समेत बाकी केंद्रीय संस्थानों में बीएससी नर्सिंग के छात्रों को इंटर्नशिप के बदले स्टाईपेंड मिलना शुरू हो गया है तो बीएचयू प्रशासन इससे मुंह कैसे मोड़ सकता है। ये सिर्फ इस विभाग से उस विभाग यूजीसी, शिक्षा मंत्रालय के बहाने जिम्मेदारी टालने का तरीका है। यहां बता दें कि छात्राएं भारी संख्या में इस प्रदर्शन में हिस्सा ले रही हैं और वो स्टाईपेंड की मांग को लेकर धरने पर बैठी हैँ।
ध्यान रहे कि ये छात्र हॉस्टल, इंटर्नशिप स्टाईपेंड और अन्य कई मांगों को लेकर सोमवार, 20 फरवरी से ही धरने पर बैठे हैं। आज इनके धरने का पांचवा दिन है और अब जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाएंगी, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
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