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पंजाब: शपथ के बाद की वे चुनौतियाँ जिनसे लड़ना नए मुख्यमंत्री के लिए मुश्किल भी और ज़रूरी भी

आप के नए मुख्यमंत्री भगवंत मान के सामने बढ़ते क़र्ज़ से लेकर राजस्व-रिसाव को रोकने, रेत खनन माफ़िया पर लगाम कसने और मादक पदार्थो के ख़तरे से निबटने जैसी कई विकट चुनौतियां हैं।
Bhagwant
पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेते आप नेता भगवंत मान। 

मुंशी प्रेमचंद ने अपने उपन्यास 'कर्मभूमि' में गांव के पास ब्रिटिश अधिकारी के डेरा डालने के दौरान स्थानीय अधिकारियों द्वारा उत्पीड़ित किए जाने वाले आम नागरिकों के दुख-तकलीफ़ों के बारे में लिखा है। तब इन गोरे साहबों के लजीज पकवान की फरमाइश पूरी करने के लिए जरूरी चीजों की आपूर्ति के लिए स्थानीय निवासियों को बाध्य किया जाता और न देने पर उन्हें यातना दी जाती थी। उपन्यास के पात्रों की तरह, खातखात कलां के ग्रामीणों को उस समय गहरा सदमा लगा जब उन्होंने पाया कि पंजाब के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भगवंत मान के शपथ ग्रहण समारोह के लिए उनकी खड़ी गेहूं की फसल नष्ट की जानी है।

खातखात कलां महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का पुश्तैनी घर है। काफी हंगामे के बाद प्रशासन ने कहा कि ग्रामीणों को फसल के नुकसान की भरपाई के लिए प्रति एकड़ 45,000 रुपये का भुगतान किया जाएगा।

इसके इतर बात नए मुख्यमंत्री और नई सरकार की। अगर कोई राज्य के इतिहास में एक "नए युग" की शुरुआत के बारे में पंजाब के नए मुख्यमंत्री के शब्द को फेस वैल्यू पर लेता है, तो भगवंत मान के पास पंजाब में निपटने के लिए बहुत सारे मुद्दे पहले से मौजूद हैं। इसकी शुरुआत में आम आदमी पार्टी (आप) की नई सरकार को अपने राजस्व के रिसाव को ठीक करना होगा। 

पंजाब सरकार की तरफ से दिए गए वित्तीय वक्तव्यों पर एक नजर डालने से पता चलता है कि वर्तमान में सरकार के ऊपर 2.82 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, और उसने चालू वित्त वर्ष के दौरान सिर्फ ब्याज के रूप में ही 20,315 करोड़ रुपये का सधान किया है। इसने 2021-22 में कुल 38,828 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।

पंजाब की चिंताजनक वित्तीय स्थिति का अंदाजा पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल के बजट भाषण से भी लगाया जा सकता है, जिन्होंने कहा कि राज्य की कुल राजस्व प्राप्ति 95,258 करोड़ रुपये (बजट अनुमान या बीई) है, जबकि इस पर 16,8015 करोड़ रुपये (बजट अनुमान) का खर्च आएगा।

ऋण की स्थिति पर, बादल ने कहा था कि राज्य का कुल बकाया ऋण 31.03.2021 तक, 2,52.880 करोड़ रुपये अनुमानित था जो 2020-21 (संशोधित अनुमान या आरई) के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 42 फीसदी है और बकाया ऋण 2021-22 बजट अनुमान में 2,73.703 करोड़ रुपये यानी जीएसडीपी के 45 फीसदी होने की संभावना है।

अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि पंजाब का कुल कर्ज अब लगभग 2.82 लाख करोड़ रुपये है। राज्य के खजाने को बड़ा नुकसान अवैध रेत और बजरी खनन, अवैध शराब की बिक्री और राज्य के स्वामित्व वाली पंजाब रोडवेज और पनबस की कीमत पर राजनेताओं के स्वामित्व वाली निजी परिवहन कंपनियों को अनुचित तरजीह देने के कारण हुआ है।

चंडीगढ़ के सेंटर फॉर रिसर्च इन रूरल एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट (सीआरआरआईडी) के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रंजीत सिंह घुम्मन और अमृतसर के गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एमेरिटस का मानना है कि मौजूदा संकट से उबरने के लिए प्रदेश में मजबूत राजनीतिक और नौकरशाही इच्छाशक्ति की जरूरत है।

घुम्मन ने न्यूजक्लिक से फोन पर बात करते हुए कहा कि इस जनादेश ने पारंपरिक दलों-कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रति लोगों की निराशा को स्पष्ट रूप से दिखाया है।

“हमारे संशोधित विश्लेषण से पता चलता है कि राजस्व में रिसाव से राज्य को 28,500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, जिसके लिए अवैध खनन, केबल, अवैध शराब और परिवहन से जुड़े माफिया द्वारा की जाने वाली कर चोरी जिम्मेदार है। इस गहरे संकट से निपटने के लिए, सरकार को कर चोरी में शामिल लोगों को एक सख्त संदेश भेजने की आवश्यकता है कि अब इसे सहन नहीं किया जाएगा।”

प्रो. घुम्मन ने कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि राजस्व की कमी राज्य की रोजगार के अवसर पैदा करने की क्षमता को प्रभावित कर रही है।

उन्होंने आगे कहा- “कोई भी निजी इकाई उस राज्य में निवेश नहीं करेगी जिसकी वित्तीय साख कमजोर है। निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए, सरकार को अपने बुनियादी ढांचे में निवेश करने की आवश्यकता है। ऐसा नहीं हुआ। इसके अलावा, अकाली दल और कांग्रेस ने यह धारणा बनाई कि निजी निवेशकों को शेयर का भुगतान करना होगा अगर वे यहां व्यवसाय चलाना चाहते हैं। इससे राज्य के लिए एक विश्वसनीयता संकट पैदा हो गया है”

उन्होंने कहा कि इसके बाद की सरकारों ने 14.65 लाख सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) पर ध्यान नहीं दिया, जो पंजाब में 30 फीसदी रोजगार पैदा करते हैं, जिसके नतीजतन वे संस्थाएं वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रही हैं।“मैं इस तर्क को भी नहीं मानता कि बाहरी उद्योग इसलिए पंजाब नहीं आ सकते क्योंकि यह एक सीमावर्ती राज्य है। अगर ऐसा है तो हिमाचल प्रदेश में उद्योग क्यों फल-फूल रहे हैं। पंजाब के राजनीतिक नेतृत्व ने राज्य की पैरोकारी में कभी दिलचस्पी ही नहीं ली है, जिससे कि हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की तरह इसको इसका लाभ मिल सके।”

पिछले कुछ वर्षों में, विशेषज्ञों ने यह राय व्यक्त की है कि पंजाब का अधिकांश ऋण संकट चुनावों से पहले ऋण माफी के रूप में लोकलुभावन उपायों से उत्पन्न हुआ है। विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने किसानों पर 2 लाख रुपये तक की ऋण माफी की घोषणा की थी, जिसके लिए राज्य सरकार ने पिछले साल दिसंबर में 1,200 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। 

इस तरह की घोषणाओं के प्रभाव और राजस्व के नुकसान के बारे में पूछे जाने पर, प्रो.घुम्मन ने कहा, “अगर सरकार लक्षित सब्सिडी पर अधिक ध्यान केंद्रित करती है तो सरकार अपने पैसे बचा सकती है। अमीरों को कर्जमाफी क्यों मिलनी चाहिए? यह कदम पूरी तरह से विकास विरोधी है। पंजाब को समृद्ध बनाने के लिए इन लीकेज को ठीक करना जरूरी है। हमारे नौजवान पश्चिमी देशों की तरफ पलायन कर रहे हैं क्योंकि उन्हें राज्य में रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे।”

एक अध्ययन के अनुसार,1.5 लाख युवा पंजाब छोड़कर अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित पश्चिमी देशों के लिए निकलते हैं। उनके पलायन से राज्य को प्रति वर्ष लगभग 60,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है क्योंकि भारी ट्यूशन शुल्क, वीजा शुल्क और अन्य प्रमुखों के रूप में पैसा बाहर निकलता है।

पंजाबी विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के सेवानिवृत्त प्रोफेसर बलविंदर सिंह तिवाना का कहना है कि लीकेज को ठीक करने के लिए दीर्घकालिक प्रतिबद्धता जताने और एक योजना बनाने की आवश्यकता है, जहां समुदायों को विश्वास में लिया जाना चाहिए और उन्हें संलग्न किया जाना चाहिए। 

न्यूज क्लिक से फोन पर बात करते हुए, तिवाना ने कहा: “आप सरकार के पास एक बड़ा काम है अगर वह राज्य को कर्ज से बाहर लाना चाहती है और रोजगार के अवसर पैदा करना चाहती है। जहां तक अलग-अलग माफियाओं द्वारा राजस्व में कटौती का सवाल है, तो हमें वास्तव में यह सोचने की जरूरत है कि राजस्व कितना बचाया जा सकता है। मुझे संदेह है कि इन दुष्ट तत्वों का अस्तित्व समाप्त होगा।”

पूर्व मंत्री अमरिंदर राजा वारिंग ने सड़कों पर उनकी बसों पर छापा मारकर अनधिकृत परिवहन को रोकने की एक कोशिश की थी। उन्होंने अनुमान लगाया कि पंजाब को प्रतिदिन केवल बसों से ही 2 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है और चार वर्षों में उसे लगभग 5,200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

व्हिसल ब्लोअर भी एक गहरी सांठगांठ का आरोप लगा रहे हैं क्योंकि क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरणों ने निजी ट्रांसपोर्टरों के हितों के अनुसार बसों की समय-सारणी तय की है।” हम राजनीतिक नेतृत्व में बदलाव देख रहे हैं, लेकिन सवाल है कि वे भ्रष्टाचार में डूबी नौकरशाही के साथ क्या करने जा रहे हैं? अगर मान अलग-अलग विभागों में राजस्व के नुकसान के बारे में पूछते हैं, तो क्या ये नौकरशाह एक उनकी एक ईमानदार तस्वीर पेश करेंगे? पर मुझे ऐसा नहीं लगता,” उन्होंने कहा। 

वारिंग ने सुझाव दिया कि नई आप सरकार स्वतंत्र और ईमानदार विशेषज्ञों की समयबद्ध समितियां बना सकती है जो संकट के दौरान इसे संचालित कर सकती हैं। इसी तरह, राजस्व के नुकसान में अगर समुदाय शामिल हैं तो उसकी जांच की जा सकती है।

“ऐसी कई प्रकार की बैठकें हैं, जिन्हें ऑनलाइन की जा सकती हैं। काली अर्थव्यवस्था का दोहन एक और बात है जिसके लिए उपाय भी किए जा सकते हैं। सरकार तुरंत कुछ प्रशासनिक सुधार कर सकती है, लेकिन बढ़ती आय का सवाल पहले की परिस्थिति से भिन्न है,जिसके लिए दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता होती है। शुरुआती दिनों के लिए, आप भी कर्जे पर सरकार चलाएगी,” उन्होंने कहा।

पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर डॉ. परमजीत सिंह ने न्यूजक्लिक को बताया कि नई सरकार को मौजूदा संकट को हल करने के लिए वर्ग आधारित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। “कई राज्य सरकारें कर्ज के बोझ तले दबी हैं और इसके लिए आंशिक रूप से केंद्र के इनकार करने को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। सरकार को अब यह समझने की जरूरत है कि उसे गैर-विकासात्मक गतिविधियों के साथ-साथ कहां-कहां विकासात्मक गतिविधियों में अपने संसाधनों का नियोजन करना चाहिए?” यह कहते हुए उन्होंने जोड़ा कि “18 वर्ष से अधिक उम्र की हर महिला को 1,000 रुपये की मासिक आय, बिजली सब्सिडी और इसके जैसे अन्य लाभों का भुगतान करना गैर विकासात्मक गतिविधियां हैं।”

डॉ. परमजीत सिंह ने कहा कि सरकार को स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी विकासात्मक गतिविधियों पर अपना खर्च बंद नहीं करना चाहिए। आप ने अपने व्यय बजट की घोषणा की है लेकिन राजस्व बजट का खुलासा नहीं किया है। “उन्होंने घोषणा की है कि वे किसानों को 12घंटे तक मुफ्त बिजली देंगे। सरकार को यह समझना चाहिए कि ग्रामीण पंजाब अलग-अलग वर्गों में बंटा हुआ है। 2 एकड़ भूमि के स्वामित्व वाले हाशिए के किसान के पास नलकूप कनेक्शन नहीं होगा, जबकि 50 एकड़ वाले किसान के पास पांच नलकूप कनेक्शन हो सकते हैं। ऐसे किसान अमीर हैं। उन्हें मुफ्त बिजली क्यों मिलनी चाहिए? उन्होंने कहा कि सरकार को उपयोग के बारे में एक राइडर रखना चाहिए ताकि वह इसका कुशलतापूर्वक उपयोग कर सके।

राज्य का बिजली सब्सिडी बिल चालू वित्त वर्ष के दौरान 10,621 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।

मुख्यमंत्री मान को पंजाब की 3 फीसदी युवा आबादी को नशीली दवाओं की जकड़न में लेने वाले खतरे से भी निपटने की आवश्यकता होगी।

शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के नेता कहते रहे हैं कि पंजाब गोल्डन क्रिसेंट-ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत-के किनारे पर है, जो दुनिया के 90 फीसदी अफीम का उत्पादन करते हैं और इस मार्ग का उपयोग पश्चिमी देशों में अफीम और कोकीन की तस्करी के लिए किया जाता है।

1980 के दशक में, अफीम की तस्करी अफगानिस्तान से ईरान और बाल्कन देशों के माध्यम से की गई थी। तस्कर इसकी ढुलाई के लिए मध्य एशिया और यूगोस्लाविया मार्ग का भी इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, सोवियत संघ के विघटन ने इस मार्ग में परेशानियां खड़ी कर दीं। अफगानिस्तान में सत्ता में आए तालिबान ने अफीम के उत्पादन को बढ़ावा दिया और पाकिस्तान में इसकी तस्करी की। बाद में, यह पंजाब के रास्ते से भारत आया और मुंबई से पूरी दुनिया पहुंचा। 

जतिंदर सिंह और गुरिंदर कौर के साथ ‘डायनामिक्स ऑफ ड्रग एडिक्शन एंड एब्यूज इन नॉर्थ वेस्ट इंडिया: सोशल, इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल इम्प्लिमेंट्स' पर अध्ययन करने वाले घुम्मन ने तर्क दिया कि राजनेताओं, पुलिस अधिकारियों और मादक पदार्थों के तस्करों के गठजोड़ ने अपराधियों के खिलाफ किसी भी कार्रवाई को असंभव बना दिया था।

“हमने अपने अध्ययन में पाया कि कोकीन अमृतसर के बीचो-बीच बनाई गई थी और एक डीएसपी (पुलिस उपाधीक्षक) इसमें सहुलियतें देने के लिए रिश्वत ले रहा था। सवाल है कि इस कोकिन के स्थानीय उत्पादन और वितरण को रोकने के लिए उन्होंने (अधिकारियों) क्या किया?” घुम्मन ने पूछा।

अध्ययन में कहा गया है कि नशा करने वालों द्वारा उपभोग की जाने वाली सामान्य दवाओं में हेरोइन, अफीम, भुक्की, भांग और ट्रामडोल और बुप्रेनोर्फिन जैसी फार्मास्युटिकल दवाएं शामिल हैं। इन चार प्रकार की दवाएं में एक साथ ड़्रग्स का बड़ा हिस्सा खर्च होता है। इसमें हेरोइन का उपयोग काफी महत्त्वपूर्ण है।

गौरतलब है कि 10 प्रतिशत नशेड़ियों ने तो 14 साल की उम्र से पहले ही ड्रग्स लेना शुरू कर दिया था। एक अन्य 65 प्रतिशत ने 15 -20 वर्ष की आयु के बीच ड्रग्स लेना शुरू कर दिया था। इसके अलावा, 18 फीसद ने अपनी 21 -25 वर्ष की आयु के बीच ड्रग्स लेना शुरू कर दिया। कुल मिला मकर ड्रग्स का उपयोग 93 फीसद तक हो रहा है। अध्ययन में पाया गया कि पहला नशा मुख्य रूप से एक कड़वी दवा होता है। 

प्रो. घुम्मन ने कहा कि निवर्तमान सत्ताधारी पार्टी (कांग्रेस) और मौजूदा सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) को यह समझना चाहिए कि पंजाब की जनता कुप्रबंधन को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है, जिसकी वजह से हमें “बहुत नुकसान” हुआ है!

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:-

Punjab: After Taking Oath, Bhagwant Mann has too Much on His Plate

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