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कोविड-19: हालिया अध्ययन के मुताबिक वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा स्मृति आठ महीनों तक कायम रहती है

इस अध्ययन में पाया गया है कि पहले संक्रमण के बाद कुछ स्मृति घटक आठ महीनों तक खुद को जीवित रख पाने में कामयाब रहे।
कोरोना वायरस

हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली किसी भी वायरस, बैक्टीरिया या फंफूद के खिलाफ एक अनवरत संघर्षशील योद्धा के तौर पर कार्य करने में सक्षम है, जो हमारे लिए नुकसानदेह भी साबित हो सकती है। ऐसे हानिकारक रोगजनक एजेंटों से लड़ने के दौरान हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली भी कई तरीकों से खुद को प्रशिक्षित करती रहती है। ऐसा ही एक तरीका किसी खास रोगजनक के खिलाफ स्मृति को निर्मित करने का भी है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली का पहले भी एक बार मुकाबला हो चुका हो। इस प्रकार की प्रतिरक्षाविज्ञानी स्मृति द्वारा जब कभी भी विशिष्ट रोगजनक शरीर में दोबारा से प्रवेश करता है, तो यह प्रतिरक्षा प्रणाली को तत्काल प्रतिक्रिया करने में मदद पहुँचाने का काम करती है।

इस किस्म की प्रतिरक्षा स्मृति को विकसित करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली, विभिन्न घटकों को इस्तेमाल में लाती है। इनमें से जिन चार महत्वपूर्ण घटकों को इस्तेमाल में लाया जाता है, वे हैं एंटीबॉडी इम्युनोग्लोबुलिन जी(आईजीजी), मेमोरी बी सेल (प्राथमिक संक्रमण के बाद बनने वाली एक उप-कोशिका), मेमोरी टी सेल (एंटीजन-विशिष्ट टी कोशिकाएं, जो संक्रमण को नष्ट किये जाने के बाद भी लंबे समय तक जीवित रहती हैं) और सीडी4+ एवं सीडी8+ कोशिकाएं।  

विशिष्ट रोगजनक को नष्ट करने के लिए एंटीबाडीज खुद को आपस में जोड़कर इसके विरुद्ध कार्य करती हैं। रोगजनक के खिलाफ निर्मित होने वाली एंटीबाडीज इस रोगजनक के बारे में सूचना संग्रहित करके रखती हैं और जब कभी रोगजनक शरीर में दोबारा से प्रवेश करता है तो ये तत्काल से सक्रिय हो जाते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली के भीतर मौजूद इस प्रकार की कोशिकाएं मेमोरी बी सेल्स हैं जो दशकों तक किसी रोगजनक के बारे में जानकारियों को संग्रहित करके रख सकती हैं। रोगजनक के शरीर में दोबारा से प्रवेश की सूरत में ये उनके खिलाफ त्वरित कार्यवाई को अंजाम देने में सक्षम होती हैं।

जबकि मेमोरी टी कोशिकाएं दो प्रकार की होती हैं, जिन्हें सहायक मेमोरी टी कोशिकाएं या सीडी4+ मेमोरी टी कोशिकाएं और टी कोशिकाएं या सीडी8+ मेमोरी टी कोशिकाओं के नाम से जाना जाता है। ये टी कोशिकाएं रोगजनक विशिष्ट होती हैं और किस रोगजनक के खिलाफ ये कारगर साबित हुई थीं, इसे याद रखती हैं। जब कभी रोगजनक शरीर में दोबारा से प्रविष्ठ करता है, तो ये दोनों प्रकार की मेमोरी टी कोशिकाएं उसके खिलाफ तत्काल प्रभाव से सक्रिय हो जाती हैं।

 इस बारे में 8 जनवरी को साइंस  में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में एसएआरएस-सीओव-2 के मामले में मौजूद रोगजनक कोविड-19 से उपजी महामारी के पीछे के उन सभी स्मृति घटकों का विश्लेषण किया गया है। इस अध्ययन में पाया गया कि इनमें से कुछ स्मृति घटक संक्रमण के आठ महीने बाद तक जीवित बने हुए थे। 

वायरस स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ निर्मित होने वाली आईजीजी एंटीबाडी, संक्रमण के छह माह बाद भी स्थिर पाई गई थी। वहीं मेमोरी बी कोशिकाएं संक्रमण के एक महीने बाद जितनी तादाद में मौजूद थीं, उसके छह महीने बाद उससे भी अधिक प्रचुर मात्रा में पाई गईं थीं।

इस अध्ययन में कहा गया है कि सीडी4+ टी सेल्स जो स्मृति को संरक्षित करने में सक्षम हैं, वे जब कभी दूसरी बार संक्रमण होता है तो त्वरित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्पन्न करने में सक्षम हैं। इसी प्रकार से अन्य प्रकार की टी कोशिका जिसमें हत्यारी टी कोशिकाएं या सीडी8+ टी कोशिकाएं भी स्मृति को बरक़रार रखने में सक्षम हैं, और किसी भी कोशिका को नष्ट कर सकती हैं जो वायरस से दोबारा संक्रमित हो गया हो।

इस अध्ययन के सह-लेखक एवं अमेरिका के ला जोला इंस्टीट्यूट फॉर इम्युनोलॉजी के जाने-माने प्रतिरक्षाविज्ञानी प्रोफेसर अलेसांद्रो सेट्टे ने अपने बयान में कहा: “हमारे आँकड़े इस बात का इशारा करते हैं कि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है और यह बनी रहने वाली है। यह सच है कि समय के साथ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कुछ हद तक घटने लगती है, लेकिन यह एक सामान्य लक्षण है। प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से यही अपेक्षित है। पहले चरण में वे खुद को जुटाती हैं, और उस शानदार विस्तार के बाद प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कुछ हद तक सिकुड़ जाती हैं और अंततः एक स्थिर अवस्था में पहुँच जाती हैं।”

अध्ययन के एक हिस्से के तौर पर शोधकर्ताओं ने 188 कोविड-19 मामलों के नमूने लिए थे और उनसे इकट्ठा किये गए 254 खून के नमूनों पर विश्लेषण का काम किया था। इनमें से 43 से अधिक की संख्या में नमूने संक्रमण होने के छह महीने बाद लिए गए थे। जिन 188 लोगों के नमूने इकट्ठा किये गए थे, उनमें 80 पुरुष और 108 महिलाएं शामिल थीं। उनमें स्पर्शोन्मुख, मामूली, सामान्य एवं गंभीर कोविड-19 मामलों सहित सभी प्रकार के लक्षणों का प्रतिनिधित्व हो रहा था।

अध्ययन के लिए शामिल किए गए लोगों में से 93% लोग इलाज के लिए एक बार भी अस्पताल में भर्ती नहीं किए गए थे, सिर्फ सात प्रतिशत को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी थी, जिनमें से कुछ को ही आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा था। यह एक उल्लेखनीय पहलू है क्योंकि मामूली लक्षणों वाले मरीजों में भी यदि प्रतिरक्षात्मक स्मृति कई महीनों तक बरकारर रह सकती है तो गंभीर तौर पर प्रभावित मरीजों में इन स्मृतियों के और भी अधिक समय तक बने रहने की संभावना है।

वायरल प्रोटीन के खिलाफ आईजीजी एंटीबाडी, छह से आठ महीनों के पश्चात कुछ गिरावट के साथ स्थिर अवस्था में पाई गई थी। इस अध्ययन में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ मेमोरी बी सेल्स, उन सभी 188 मामलों में पाए गए। महत्वपूर्ण तौर पर उन सभी मामलों में संक्रमण के पश्चात पाँच से आठ महीनों बाद स्पष्ट तौर पर अर्ध-जीवन (किसी मात्रा को अपने आरंभिक संख्या की आधी तादाद में कम पाए जाने के लिए आवश्यक समय) भी स्पष्ट तौर पर देखने को नहीं मिला था।

मेमोरी टी कोशिकाओं का अर्ध-जीवनकाल किलर टी कोशिकाओं में 125 से 225 दिनों के बीच में पाया गया, जबकि सीडी4+ टी कोशिकाओं या सहायक टी कोशिकाओं में इसे 94 से 153 दिनों तक का देखा गया है। इस अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 के मामलों में जिस प्रकार की प्रतिरक्षा देखने को मिली है वह येलो फीवर के टीकाकरण के समतुल्य है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

COVID-19: Latest Study Says Immune Memory Against Virus Could Last for Eight Months

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