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रक्षा कर्मचारी संघों का केंद्र सरकार पर वादे से मुकरने का आरोप, आंदोलन की चेतावनी 

कर्मचारी महासंघों ने ने केंद्र को उनकी सेवा शर्तों के साथ हेराफेरी नहीं करने के अपने वादे से मुकरने का दोषी ठहराया है।जिसे देखते हुए श्रमिक संघों ने अपनी 11 मांगों को सूचीबद्ध करते हुए “आंदोलन का नोटिस” जारी किया है।
Defence Unions
चित्र साभार: नेशनल हेराल्ड 

ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) के मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघों ने, जिसे करीब एक महीने पहले निगमित और सात रक्षा क्षेत्रों के सार्वजनिक उपक्रमों में विभक्त कर दिया गया था, ने केंद्र को उनकी सेवा शर्तों के साथ हेराफेरी नहीं करने के अपने वादे से मुकरने का दोषी ठहराया है। महासंघों का कहना है कि इस वर्ष की शुरुआत में उनके द्वारा, इस डर से कि कहीं पूर्ववर्ती सरकारी विभागों को एक कॉर्पोरेट इकाई के तौर पर बदले जाने से रक्षा कर्मचारियों की सेवा शर्तों में कमी की जा सकती है, को देखते हुए ओएफबी के निगमीकरण के विरोध किया गया था,  तब केंद्र ने उन्हें आश्वस्त किया था कि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है। उनकी सेवा शर्तों में कोई कटौती नहीं होगी।

महासंघों का कहना है कि “सरकार ने हमें कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए आश्वस्त किया था।” उनका कहना है कि ये आश्वासन “सिर्फ कागजों पर हैं और व्यवहारिक रूप से सभी सेवा शर्तों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।” 

अभी एक महीने भी नहीं हुए हैं जब देश भर में मौजूद 41 आयुध कारखानों की देखरेख करने वाले ओएफबी को भंग कर सात रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में तब्दील कर दिया गया था। लेकिन हालिया आदेशों ने उन्हें सचिव (डीपी) रक्षा उत्पादन विभाग को एक पत्र लिखने के लिए प्रेरित कर दिया।

रविवार को लिखे इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि नवगठित निगमों के प्रबंधन द्वारा केंद्र के ओएफबी के निगमीकरण के फैसले का “जानबूझकर उल्लंघन” करके रक्षा क्षेत्र से सम्बद्ध नागरिक कर्मचारियों के सेवा मामलों पर “एकतरफा” फैसला लिया जा रहा है।

इस पत्र पर अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी संघ (एआईडीईएफ), आरएसएस समर्थित भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ (बीपीएमएस) और मान्यता प्राप्त रक्षा संघों के महासंघ (सीडीआरए) द्वारा हस्ताक्षर किये गए हैं।

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महासंघों के मुताबिक, इस महीने सात रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों में से कम से कम एक में सामान्य काम के घंटों में बदलाव कर दिया गया है। कर्मचारी यूनियनों ने यंत्रा इंडिया लिमिटेड द्वारा दिनांक 18 अक्टूबर को जारी एक “निर्देश” का हवाला दिया है, जिसमें “एक ही कारखाने के भीतर” विभिन्न स्तरों पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए “अलग-अलग” कार्यालय टाइमिंग की बात कही गई है।

महासंघों के मुताबिक यह फैसला सरकारी आदेशों का उल्लंघन करता है जिसमें ओएफबी में कार्यरत सभी श्रेणी के कर्मचारियों के लिए प्रति सप्ताह 44 घंटे 45 मिनट सामान्य काम के घंटे निर्दिष्ट हैं।

न्यूज़क्लिक की ओर से कर्मचारी संघों द्वारा बताये गए “निर्देश” को स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं किया जा सका है।

इसके अलावा, कर्मचारी संघों ने आरोप लगाया कि यंत्र इंडिया लिमिटेड द्वारा जारी एक अन्य आदेश में पीस वर्क पर लाभ की 75% की सीमा को “मनमानेपूर्ण” ढंग से वापस ले लिया गया है।

रक्षा संघों द्वारा उठाया गया एक अन्य मुद्दा आयुध निर्माणी अस्पताल के कर्मचारियों के ओवरटाइम वेतन से संबंधित था। यह आरोप लगाया जा रहा है कि अतिरिक्त घंटों तक तैनाती किये जाने के बावजूद, इन कर्मचारियों को ओवरटाइम का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

रविवार को लिखे अपने पत्र में कर्मचारी संघों का कहना है कि “यदि निगमों द्वारा इसी प्रकार का उत्पीड़न और गैर-क़ानूनी फैसला लिया जाता रहेगा तो हम सभी को 41 आयुध कारखानों में विभिन्न आंदोलनों में उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।”

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अपनी 11 मांगों को सूचीबद्ध करते हुए रक्षा संघों ने “आंदोलन का नोटिस” भी जारी किया है, जिसमें केंद्र को उनकी शिकायतों का निवारण करने के लिए 10 दिनों का समय दिया गया है। यदि केंद्र इसे हल करने में विफल रहा तो महासंघों को मजबूरन “विभिन्न कार्यवाही के कार्यक्रमों को शुरू करने” के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

उनकी मांगों में:- सभी रक्षा कर्मचारियों के लिए सामान्य काम के घंटों की बहाली, 75% पीस वर्क पर लाभ की सीमा को वापस लागू करने और रक्षा उपकरण निर्माण से संबद्ध सभी कर्मचारियों की चिकित्सा सुविधाओं से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न करना शामिल हैं।

ओएफबी 246 साल पुराना एक छतरी निकाय था जिसमें 76,000 रक्षा क्षेत्र से जुड़े नागरिक कर्मचारियों की कार्यशक्ति थी। ओएफबी के विघटन के बाद स्थापित की गई सात नई रक्षा कंपनियों का औपचारिक उद्घाटन 15 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा एक वीडियो कांफ्रेंस के जरिये किया गया था। आपको बता दें कि रक्षा कर्मचारियों द्वारा इस उद्घाटन समारोह के विरोध स्वरुप बहिष्कार किया गया था।

इससे पूर्व पिछले महीने ओएफबी के निगमीकरण के लिए एक आदेश जारी करते हुए केंद्र ने कहा था कि विभिन्न उत्पादन ईकाइयों में कार्यरत सभी ओएफबी कर्मचारियों को शुरूआती दो वर्षों के लिए डेपुटेशन पर विभिन्न कॉर्पोरेट सस्थाओं में स्थानांतरित किया जायेगा। इस अवधि के दौरान, फैसले के मुताबिक सभी रक्षा कर्मचारियों की सेवा शर्तों को, जैसा कि उन्हें पूर्व में सरकारी कर्मचारियों के बतौर माना जाता था, में कोई बदलाव नहीं किया जायेगा।

इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: 

Defence Unions Decry Centre for not Keeping Word on Service Norms for Erstwhile OFB Employees

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