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गुजरात : एबीजी शिपयार्ड ने 28 बैंकों को लगाया 22,842 करोड़ का चूना, एसबीआई बोला - शिकायत में नहीं की देरी

हाल ही में सीबीआई ने भारत के सबसे बड़े बैंक फ्रॉड का खुलासा किया है।
गुजरात

नई दिल्ली: पिछले 75 सालों में देश का सबसे बड़ा बैंक घोटाला हुआ है। 22,842 करोड़ रुपए के इस घोटाले में गुजरात स्थित कंपनी एबीजी शिपयार्ड के खिलाफ़ सीबीआई में शिकायत दर्ज करने में एसबीआई ने किसी भी तरह की देरी किए जाने से इंकार किया है।

 सीबीआई ने एबीजी समूह की प्रमुख कंपनी एबीजी शिपयार्ड के खिलाफ़ केस दर्ज किया है। एबीजी समूह दहेज और सूरत में जहाज बनाता है और उनकी मरम्मत करता है। इसके निदेशक ऋषि अग्रवाल, संथानम मुथुस्वामी और अश्विनी कुमार के खिलाफ़ 28 बैंकों के साथ 22,842 करोड़ के घोटाले के मामले में यह केस दर्ज किया गया है।

एसबीआई शिकायत के मुताबिक एबीजी शिपयार्ड पर उसका 2,925 करोड़ रुपए, आईसीआईसीआई बैंक का 7,089 करोड़, आईडीबीआई का 3,634 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा का 1,614 करोड़, पीएनबी का 1,244 करोड़ रुपए और आईओबी का 1,228 करोड़ रुपया बकाया है। यह जानकारी सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के हिसाब से है। एफआईआर में आगे कहा गया, "जिस उद्देश्य के तहत बैंक से पैसे लिए गए थे, उससे इतर कामों के लिए इन पैसों का उपयोग किया गया।"

18 जनवरी 2019 को एमएस अर्नेस्ट एंड यंग एलपी द्वारा दर्ज की गई फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट, जो अप्रैल 2012 से जुलाई 2012 के लिए बनाई गई थी, उससे पता चलता है कि आरोपियों ने आपस में मिलकर अवैधानिक गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें पैसे को कहीं और भेजा गया, गलत खर्च बताया गया और भरोसे का आपराधिक उल्लंघन किया किया गया, जो पैसे को उस उद्देश्य से इतर इस्तेमाल के लिए किया गया, जिसके लिए बैंक से इसे उधार लिया गया था।

रविवार को दर्ज वक्तव्य में एसबीआई ने कहा कि उसने 8 नवंबर, 2019 को सीबीआई में शिकायत दर्ज करा दी थी। इसके बाद 12 मार्च 2020 को सीबीआई ने कुछ स्पष्टीकरण मांगे थे। बैंक ने उसी साल अगस्त में दूसरी शिकायत भी दर्ज करवा दी थी। सीबीआई के मुताबिक़, संस्थान ने डेढ़ साल तक शिकायत की "जांच" करने के बाद इस पर कार्रवाई करते हुए 7 फरवरी को एफआईआर दर्ज की।

एसबीआई ने यह वक्तव्य कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला के वक्तव्य के बाद जारी किया है। रणदीप ने आरोप लगाते हुए कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार बैंक फर्जीवाड़ा करने वालों के लिए "लूटो और भागो" की योजना चला रही है। रविवार को चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि 1 फरवरी, 2017 को एबीजी शिपयार्ड का लिक्वडेशन शुरू होने के बाद भी हाल तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस ने 15 फरवरी 2018 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए घोटाले की चेतावनी दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

सुरेजावला ने पूछा "15 फरवरी 2018 को कांग्रेस ने जो आरोप लगाए थे, उन पर मोदी सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की, क्यों 19 जून, 2019 को उनके खातों के फर्जी घोषित हो जाने के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं की गई।"

एसबीआई ने बताया कि कंपनी को "2 दर्जन से ज्यादा बैंकों वाले कंसोर्टियम ने कर्ज दिया था, जिनका नेतृत्व आईसीआईसीआई कर रहा था" और नवंबर, 2013 में खराब प्रदर्शन के चलते अकाउंट एनपीए बन गया था।"

बैंक ने कहा, "कंपनी के क्रियान्वयन को शुरू करने की कुछ कोशिशें की गईं, लेकिन सफल नहीं हुईं। मार्च 2014 सभी देनदारों ने सीडीआर व्यवस्था के तहत खातों का पुनर्गठन कर दिया। लेकिन शिप इंडस्ट्री बुरे दौर से गुजर रही थी, इसलिए कंपनी वापस अपने रास्ते पर नहीं आ पाई।

एसबीआई के मुताबिक़ ,"चूंकि पुनर्गठन सफल नहीं हो पाया, इसलिए कंपनी के एनपीए की तारीख़ नवंबर, 2013 से जुलाई, 2016 कर दी गई।" अर्नेस्ट एंड यंग को अप्रैल, 2018 में फॉरेंसिक ऑडिटर नियुक्त किया गया। यहां पैसे को तय लक्ष्य से अलग विभाजित करने, गलत खाता जानकारी देने और विश्वास का अपराधिक उल्लंघन का फर्जीवाड़ा हुआ है।"

एसबीआई ने कहा, "सीबीआई के पास पहली शिकायत नवंबर, 2019 में दाखिल की गई थी। सीबीआई और बैंकों के बीच सतत व्यवहार हो रहा था। कुछ मामलों में जहां अगले कुछ हफ्तों में पर्याप्त जानकारी इकट्ठा कर ली गई, उन्हें लेकर एक दूसरी शिकायत दर्ज की गई।"

एसबीआई ने आगे कहा, "किसी भी वक़्त पर पूरी प्रतिक्रिया में देरी की कोशिश नहीं की गई। एनसीएलटी प्रक्रिया के मुताबिक इस खाते का फिलहाल विमुद्रिकरण चल रहा है।" एसबीआई के प्रबंध निदेशक स्वामीनाथन जे ने कहा, "हम जितना हो सके उतना हासिल करने की कोशिश करेंगे। इस तरह के मामलों के लिए पूरी व्यवस्था है। इसलिए किसी भी बैंक के खातों पर असर नहीं पड़ेगा।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

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