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हरियाणा: महिला दिवस के अवसर पर सीएम खट्टर का ज़ोरदार विरोध, मंत्री संदीप सिंह को बर्ख़ास्त करने की मांग

सीएम खट्टर एक ओर महिलाओं के सम्मान में बड़ी-बड़ी बातें करते नज़र आएं तो वहीं दूसरी ओर उनकी पुलिस पर प्रदर्शनकारी महिलाओं के कपड़े फाड़ने के आरोप लगे।
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हरियाणा के करनाल में आज यानी शुक्रवार, 10 मार्च को एक राज्यस्तरीय कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने महिलाओं के सम्मान में बड़ी-बड़ी बातें कहीं। हालांकि जिस समय ये कार्यक्रम हो रहा था ठीक उसी समय उसी करनाल में यौन शोषण के आरोपी हरियाणा के मंत्री और बीजेपी नेता संदीप सिंह के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही महिलाओं और पुरूषों के साथ पुलिस का दुर्व्यवहार देखने को मिला। सीएम साहब एक ओर महिलाओं की समाज में महत्वपूर्ण भूमिका के कसीदे पढ़ रहे थे, तो वहीं दूसरी ओर उनकी पुलिस पर प्रदर्शनकारी महिलाओं के कपड़े फाड़ने और उनसे बदतमीजी के आरोप लग रहे थे।

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) समेत कई अन्य नागरिक और महिला संगठनों की न्यायिक संघर्ष समिति ने एक साझा बयान में कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री महिलाओं की जायज मांगों को अनसुना करके अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का ढोंग कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं। मुख्यमंत्री को महिला विरोधी रवैये के लिए सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए।

इस प्रदर्शन के माध्यम से वक्ताओं ने मांग की कि मंत्री संदीप सिंह को बचाना बंद करके सरकार उन्हें तुरंत मंत्रिमंडल और हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से हटाए। इसके साथ ही तुरंत उनकी गिरफ्तारी भी हो, ताकि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित हो सके। वक्ताओं ने यह भी मांग की कि पीड़िता को दोषी ठहराने वाले अपने आपत्तिजनक बयानों को मुख्यमंत्री वापस लें व सार्वजनिक तौर पर माफी मांगें।

इस प्रदर्शन की शुरुआत शुक्रवार सुबह 11 बजे करनाल के कर्ण पार्क से हुई, जहां महिला संगठन और नागरिक समाज के लोगों के साथ ही आम जन भी प्रदेश में बढ़ती महिलाओं के खिलाफ हिंसा के खिलाफ एकजुट हुए। सभा के आयोजन के बाद नारेबाजी करते हुए सभी प्रदर्शनकारी जुलूस की शक्ल में शहर की तरफ आगे बढ़े। जैसे ही जुलूस घंटाघर चौक पहुंचा, पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश करते हुए उन्हें जबरदस्ती हिरासत में लेने की कोशिश की।

एडवा के अनुसार, महिला पुलिसकर्मियों की अनुपस्थिति में पुरुष पुलिसकर्मियों ने महिलाओं के साथ धक्का मुक्की की, सड़क पर घसीटा और उनके कपड़े तक फाड़ दिए। एक घंटे की मशक्कत के बाद सभी प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और पुलिस लाइन ले गए। जहां मुख्यमंत्री के चंडीगढ़ वापस पंहुचने के बाद ही प्रदर्शनकारियों को छोड़ा गया। इन प्रदर्शनकारियों में जनवादी महिला समिति राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं भीम अवॉर्डी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी जगमति सांगवान, जिला अध्यक्ष सुमन, राज्य अध्यक्ष सविता, सीटू के जिला अध्यक्ष सतपाल सैनी समेत सर्व कर्मचारी संघ, किसान सभा, रिटायर्ड कर्मचारी संघ, ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन, आशा वर्कर्स यूनियन समेत कई अन्य संगठनों के लोग शामिल थे।

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बता दें कि संदीप सिंह मामले में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) समेत कई अन्य नागरिक और महिला संगठनों ने एकजुट होकर जूनियर महिला कोच के लिए न्याय को सुनिश्चित करने हेतु न्यायिक संघर्ष समिति बनाई है, जिसके बैनर तले आज करनाल में इस रोष प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। इस विशाल प्रदर्शन के साथ ही एडवा प्रदेश भर में संदीप सिंह के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चला रही है, जिसके बाद इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दिल्ली में सौंपा जाना है।

इससे पहले भी संदीप सिंह के खिलाफ हरियाणा के झज्जर में 4 मार्च को महिला संगठनों और खापों ने ज़बर्दस्त प्रदर्शन किया था। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) के नेतृत्व में करीब दर्जन भर संगठनों ने संदीप सिंह की बर्ख़ास्तगी और गिरफ़्तारी की मांग की थी। इस प्रदर्शन में भी करीब दो दर्जन संगठनों ने हिस्सा लिया था। इससे पहले भी मंत्री के खिलाफ हरियाणा में लगातार विरोध प्रदर्शन देखने को मिलते रहे हैं। महिला संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा, स्थानीय खाप और नागरिक समाज के लोग आए दिन सड़कों पर अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं।

महिला दिवस के अवसर पर आयोजित आज के प्रदर्शन के सभा की अध्यक्षता एडवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमति सांगवान, जिला अध्यक्ष सुमन, सीटू की जिला अध्यक्ष सतपाल सैनी ने संयुक्त रूप से की। इस सभा में वक्ताओं ने कहा कि हरियाणा में महिलाओं और बच्चियों पर अपराधों में निरंतर की बढ़ोतरी हो रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इन मामलों में बढ़ोतरी का एक प्रमुख कारण राज्य की मनोहर लाल खट्टर सरकार का इन अपराधों से निपटने का रवैया है जोकि बेहद संवेदनहीन और कानून के विपरीत होता है। कई मामलों में सरकार का रुख अपराध पीड़िताओं को न्याय सुनिश्चितता के लिए आश्वस्त करने की बजाए आरोपियों को बचाने वाला नज़र आता है।

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महिला कोच के यौन उत्पीड़न आरोपों पर वक्ताओं ने कहा कि संदीप सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप में एफआईआर दर्ज हुई है। ये गैर-जमानती धाराओं में मामला दर्ज है, बावजूद इसके मंत्री संदीप सिंह को ना तो मंत्रिमंडल और न ही हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से हटाया गया और उनकी गिरफ्तारी तो दूर की बात है। इस मामले में उल्टा पीड़िता का चरित्र हनन करने, प्रताड़ित करने और चंडीगढ़ पुलिस की जांच प्रभावित करने के लिए हरियाणा सरकार ने औचित्यहीन एसआईटी गठित कर दी। इसमें सबसे ज्यादा चिंताजनक बात ये है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बहुत ही निर्लज्जता से बिना किसी जांच-पड़ताल के पीड़िता के बयानों को अनर्गल कह दिया।

विधानसभा में भी इस मामले पर मुख्यमंत्री कानून के विपरीत जाकर जोर-जोर से नहीं हटाएंगे-नहीं हटाएंगे-नहीं हटाएंगे की रट लगाए रहे। यह हरियाणा की महिलाओं के लिए बेहद चिंताजनक स्थिति है। इससे अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं तथा पीड़ितों की न्याय पाने की न्यूनतम उम्मीद भी क्षीण होती है। समिति ने मांग की कि जूनियर कोच की सुरक्षा का समुचित प्रबंध किया जाए। उसके रहने के लिए सरकारी क्वार्टर में व्यवस्था की जाए। इसके साथ ही धमकी देने वाले और लांछित करने वालों पर कार्रवाई की जाए। कोच की सुरक्षा में तैनात कर्मियों की संदिग्ध भूमिका की भी जांच की जाए।

गौरतलब है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज हुए दो महीने से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन फिलहाल मामला सरकारी ठंडे बस्ते में ही पड़ा है। तमाम विरोधों के बाद भी संदीप सिंह ने सिर्फ खेल मंत्रालय का पद छोड़ा है, वो हरियाणा सरकार में अभी भी मंत्री पद पर कायम हैं, इसे लेकर आम लोगों में काफी रोष और असंतोष देखने को मिल रहा है। न्यायिक संघर्ष समिति ने इस मामले को लगातार जिंदा रखने और सरकार की आंखें खोलने की कोशिश कर रही है, जिसमें उन्हें स्थानीय लोगों के साथ ही खाप पंचायतों का भी साथ मिला है। अभी तक इस मामले में बड़े प्रदर्शन देखे गए हैं, साथ ही खाप पंचायतों ने भी कैथल समेत हरियाणा के अन्य जिलों में मंत्री संदीप सिंह की एंट्री बैन कर रखी है। प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर सरकार और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ को भी इस पूरे विवाद में विरोध का सामना करना पड़ा है। हालांकि अभी लंबा संघर्ष बाकी है।

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