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यादें; मंगलेश डबरालः घरों-रिश्तों और विचारों में जगमगाती ‘पहाड़ पर लालटेन’

हिंदी के वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल का जाना समूचे साहित्यिक जगत के लिए आघात है, खासतौर से वाम-प्रगतिशील धारा के लिए अपूर्णीय क्षति है। न्यूज़क्लिक के लिए वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने मंगलेश जी के घर जाकर उनकी पत्नी-बेटी से बात की—घर का ताना बाना टटोला, जिसके कण-कण में बसा हुआ है प्रेम-संगीत-पेंटिग और बिखरी हुई हैं कविताओं की पृष्ठभूमि। मंगलेश जी के कुछ दोस्तों से बातचीत के बहाने खींचा वितान उनके जीवन के संघर्षशील दौर का।

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