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बिहार : 30 से अधिक ज़िलों में फैले सीएए-एनआरसी विरोध प्रदर्शन

वामपंथी पार्टियां 30 जनवरी को सभी ज़िला मुख्यालयों पर सत्याग्रह करने की तैयारी कर रही हैं, जबकि राजद नेता तेजस्वी यादव सीमांचल के ज़िलों में अपनी यात्रा शुरू करने जा रहे हैं।
Protests Against CAA-NRC Spread

हाल के दशकों में इसे अभूतपूर्व घटना कहा जा सकता है, जब सीएए-एनआरसी-एनपीआर के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन बिहार के 30 से अधिक ज़िलों में फैल गए हैं और काफ़ी तेज़ गति पकड़ ली है। विरोध की ऐसी लहर चली है, जिसमें हज़ारों लोग शामिल हो रहे हैं, मुख्य रूप से महिलाओं की इतनी बड़ी भागीदारी पहले कभी नहीं देखी गई है। यह अपने आप में काफ़ी अनूठा है कि लोग भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के ख़िलाफ़ गांधीवादी शैली के प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं।

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अभी तक मिली रिपोर्टों के अनुसार, राज्य भर के 30 से अधिक ज़िलों में 60 से अधिक स्थानों पर शांतिपूर्ण धरने-प्रदर्शन चल रहे हैं। अकेले पटना में ही, सब्ज़ी बाग़, लाल बाग़, आलमगंज, हारून नगर सेक्टर 1, दीघा, खगौल, इशोपुर और समनपुरा सहित आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

पटना में सीएए-एनआरसी का विरोध कर रहे एक समूह की सक्रिय सदस्य चंद्रकांता ने बताया, "शांतिपूर्वक तरीक़े से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है और इसे लोगों ने गांधीवादी अहिंसा की तर्ज पर आयोजित किया है, लोग ख़ुद इसमें शामिल हैं और ख़ुद ही इन्हें चला रहे हैं।"

देश में अन्य जगहों की तरह, ये विरोध प्रदर्शन भी दिल्ली के शाहीन बाग़ में चल रहे प्रतिरोध से प्रेरित हैं, जो शांति और अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांत का पालन कर रहे है। गया शहर के शांति बाग़ में धरना 29 दिनों से चल रहा है, पटना का सब्ज़ी बाग़ दो हफ़्तों से और फुलवारी शरीफ़ के  हारून नगर में 15 दिनों से प्रदर्शन चल रहा है। अन्य धरने/विरोध प्रदर्शन 10 दिनों से लेकर एक सप्ताह से चल रहे हैं और कुछ पिछले सप्ताह शुरू हुए हैं।

हर शाम इन विरोध स्थलों पर हज़ारों लोगों का आना आम बात बन गई है, और आमतौर पर ज़्यादातर भीड़ देर रात तक रहती है। एक सामाजिक कार्यकर्ता ग़ालिब कलीम ने न्यूज़क्लिक को बताया, "दिन के शुरू में, सैकड़ों लोग इन विरोध प्रदर्शनों में पाए जा सकते हैं, लेकिन यह संख्या दोपहर बाद धीरे-धीरे बढ़ने लगती है और शाम तक यह हज़ारों में पहुँच जाती है, चाहे फिर वह शांति बाग़ हो या सब्ज़ी बाग़, लाल बाग़ या किशनगंज, दरभंगा, समस्तीपुर से भागलपुर तक कोई भी स्थान हो।"

गया के एक वामपंथी कार्यकर्ता, भगवान भास्कर ने बताया, "सीएए-एनआरसी-एनपीआर के ख़िलाफ़ गांधीवादी विरोध का शाहीन बाग़ मॉडल बिहार के विभिन्न ज़िला मुख्यालयों से लेकर अर्ध-शहरी और ग्रामीण इलाक़ों तक फैल गया है। कुछ ज़िले ऐसे हैं जहाँ इस तरह के विरोध की संभावना है और वे एक या दो दिन में शुरू हो सकते हैं।"

इन विरोध प्रदर्शनों में एक बात समान है – सभी प्रदर्शनकारी अलग-अलग समुदायों से हैं और वे  सीएए-एनआरसी-एनपीआर के ख़िलाफ़ नारे लगाते हुए, हाथों में राष्ट्रीय झंडे लिए, कुछ अपने सिर और कंधे पर तिरंगा बैज लगाते हैं और घंटों बैठकर देशभक्ति के गीत गाते हैं। साथ ही ये लोग फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, कैफ़ी आज़मी और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे कवियों द्वारा लिखी गई कविताओं का पाठ करते हैं। व्यापक रूप से जो नारे लगाए जाते हैं: उनमें ‘जय भीम', 'इंक़लाब ज़िंदाबाद' और 'हम सब एक हैं’ शामिल हैं।

पटना के सब्ज़ी बाग़ में एक प्रदर्शनकारी ने ज़ोर देकर कहा, "हम एक ही मक़सद के लिए लड़ रहे हैं - संविधान को बचाने के लिए। यह केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ आम लोगों का संघर्ष है। हम अपनी लड़ाई तब तक जारी रखेंगे, जब तक सरकार असंवैधानिक सीएए-एनआरसी-एनआरपी को वापस नहीं ले लेती है।" 

गया में मोर्चा के सह-संयोजक सतीश कुमार ने बताया कि गया में दो स्थानों पर, पटना में आठ स्थानों पर, नालंदा के बिहार शरीफ़, नवादा, औरंगाबाद, जहानाबाद, बेगूसराय, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, मुज़फ़्फ़रपुर, दरभंगा, अररिया, कटिहार, छपरा, समस्तीपुर, भागलपुर, अरवल, मुंगेर, सीवान, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, रोहतास, बस्तर, भोजपुर, कैमूर, मधुबनी, सुपौल और सहरसा ज़िले में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। 

भाकपा (एमएल) के नेता धीरेंद्र जान ने कहा कि विरोध प्रदर्शन मज़बूत होते जा रहे हैं और लोग सहजता से इनमें भाग ले रहे हैं। उन्होंने बताया, "यह विरोध न केवल फैल रहा है, बल्कि यह किसी भी अपेक्षा से अधिक तीव्र बन गया है।"

गया में एक सामाजिक कार्यकर्ता मज़हर ख़ान ने कहा, "गया शहर में सीएए-एनआरसी-एनपीआर के विरोध में 26 जनवरी को 20,000 से अधिक लोगों ने 12,000 मीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली थी। बिहार में यह पहला विरोध था, जिस तरह शांति बाग़ भी राज्य में पहला विरोध है।"

धरने के अलावा, पिछले दो हफ़्तों से कई आवासीय इलाक़ों और निकटस्थ इलाक़ों में विभिन्न प्रकार के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

स्थानीय आयोजकों ने लोगों के चंदे से विरोध प्रदर्शनों के लिए छोटे और माध्यम क़िस्म के मंच या टेंट की व्यवस्था की है, ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि लोग, मुख्य रूप से महिलाएं, जनवरी के इस ठंडे महीने में खुले आसमान के नीचे घंटों बिता रही थी।

इन विरोधों का एक अन्य विशिष्ट पहलू यह भी है कि किसी भी राजनीतिक दल के झंडे यहाँ दिखाई नहीं देते हैं। यहाँ पार्टियों के शीर्ष नेताओं की तस्वीरें भी ग़ायब हैं। बल्कि कई विरोध स्थलों पर महात्मा गांधी, बीआर अंबेडकर, मौलाना आज़ाद, भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस की तस्वीरें देखी जा सकती हैं।

हालांकि, राजनीतिक पार्टी के नेता लोगों को संबोधित कर रहे हैं, इन विरोधों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त कर रहे हैं। जिन लोगों ने अब तक प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया है, उनमें भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात और सुभाषिनी अली, स्वराज पार्टी के प्रमुख योगेंद्र यादव, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद, बिहार में विपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव, जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, कांग्रेस विधायक शकील अहमद ख़ान और अन्य नेताओं और कार्यकर्ता शामिल हैं।

विरोध करने वालों की तरफ़ से सबसे अधिक मांग कन्हैया कुमार की है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ अपने प्रसिद्ध "आज़ादी" के गीत और नारों के ज़रिये आक्रामक मौखिक हमले के लिए लोकप्रिय हैं।

इस सब के बीच, भाजपा समर्थित बजरंग दल और अन्य हिंदुत्व संगठन, जो सीएए-एनआरसी समर्थक हैं उनके द्वारा पूर्वी चंपारण, दरभंगा और मोतीहारी में गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश की ख़बर मिली है। लेकिन स्थानीय आयोजकों ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया है।

कई लोक समाज संगठन, जैसे लोकतांत्रिक जन पहल, अब जल्द ही साइकिल यात्रा, पदयात्रा और घर घर यात्रा के ज़रिये लोगों तक पहुंचने के लिए सीएए-एनआरसी-एनपीआर पर जागरुकता अभियान शुरू करने की योजना बना रही हैं।

वामपंथी दलों ने 25 जनवरी को राज्यव्यापी मानव श्रृंखला का सफलतापूर्वक गठन किया है और अब सीएए-एनआरसी-एनपीआर के ख़िलाफ़ 30 जनवरी को सभी ज़िला मुख्यालयों पर सत्याग्रह करने के लिए कमर कस रही हैं। इसके अलावा तेजस्वी यादव सीमांचल ज़िलों में जल्द ही अपनी यात्रा शुरू करने वाले हैं।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Protests Against CAA-NRC Spread to Over 30 Districts in Bihar

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