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नहीं रहे ‘हरित क्रांति’ के प्रणेता, प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन

स्वामीनाथन बीते कुछ वक़्त से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। 28 सितंबर को सुबह सवा 11 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। राजनीतिक जगत से उनके निधन पर शोक जताया गया।
Swaminathan
फाइल फ़ोटो।

चेन्नई: देश की ‘हरित क्रांति’ में अहम योगदान देने वाले प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का बृहस्पतिवार को यहां निधन हो गया।

वह 98 वर्ष के थे। उनके परिवार में तीन बेटियां हैं। उनकी एक बेटी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक हैं।

स्वामीनाथन का कुछ वक्त से उम्र संबंधी बीमारियों के लिए इलाज चल रहा था। उन्होंने आज यहां उनके आवास पर सुबह सवा 11 बजे अंतिम सांस ली।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताया और कहा कि कृषि क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदला और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के निदेशक ए के सिंह ने कहा कि स्वामीनाथन के निधन से कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के एक ऐसे युग का अंत हो गया जो आसान नवाचार से भरा हुआ था।

तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि, मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और पी आर पांडियन सहित किसान संगठनों के नेताओं ने स्वामीनाथन के निधन पर शोक जताया।

कांग्रेस ने उन्हें हरित क्रांति का प्रमुख वैज्ञानिक वास्तुकार बताया और कृषि क्षेत्र में उनके योगदान की प्रशंसा की।

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘‘डॉ एम एस स्वामीनाथन के निधन से गहरा दुख हुआ। हमारे देश के इतिहास में एक बहुत ही नाजुक दौर में, कृषि में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि में अपने क्रांतिकारी योगदान से इतर, स्वामीनाथन नवाचार के ‘पावरहाउस’ और कई लोगों के लिए एक कुशल संरक्षक भी थे।

उन्होंने कहा कि अनुसंधान और लोगों के लिए प्रतिपालक की अपनी भूमिका को लेकर उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने अनगिनत वैज्ञानिकों और अन्वेषकों पर एक अमिट छाप छोड़ी ।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं डॉ स्वामीनाथन के साथ अपनी बातचीत को हमेशा संजोकर रखूंगा। भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना।’’

पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताया और कहा कि उन्हें कई मौकों पर उनकी सलाह से काफी लाभ मिला।

यहां एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना करने वाले स्वामीनाथन को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा हरित क्रांति में उनके नेतृत्व को रेखांकित करते हुए उन्हें ‘‘आर्थिक पारिस्थितिकी का जनक’’ बताया गया है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि स्वामीनाथन ने 70 के दशक के मध्य तक भारत को चावल और गेहूं में आत्मनिर्भर बना दिया था।

उन्हें दुनियाभर के विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की 84 मानद डिग्री प्राप्त हुई थीं। वह ‘रॉयल सोसायटी ऑफ लंदन’ और ‘यूएस नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ समेत कई प्रमुख वैज्ञानिक एकेडमी के फेलो रहे हैं।

अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि उन्हें स्वामीनाथन के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय कृषि में उनके योगदान ने लाखों लोगों की जिंदगी बदल दी। हम उनके दृष्टिकोण को हर अवसर पर आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भी कृषि वैज्ञानिक के निधन पर शोक जताया और कहा कि भारतीय कृषि की प्रगति और अर्थव्यवस्था में उनका योगदान अविस्मरणीय है।

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि भारत खेती और किसानों में लाए सकारात्मक बदलावों तथा खाद्य सुरक्षा में योगदान के लिए स्वामीनाथन को हमेशा याद रखेगा।

स्वामीनाथन खाद्य सुरक्षा और कृषि से जुड़ी हर अहम पहल का हिस्सा थे और उन्होंने पोषण सुरक्षा के लिए मोटे अनाज पर ध्यान केंद्रित करने में भी अहम योगदान दिया।

वह 2007 से 2013 तक राज्यसभा सदस्य भी रहे।

संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव जेवियर पेरेज डी सुइलर ने उन्हें ‘‘ऐसी किवदंती बताया जिनका नाम दुर्लभ विशिष्टता वाले विश्व विख्यात वैज्ञानिक के रूप में इतिहास में दर्ज होगा।’’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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