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फ़ेलोशिप हाइक के लिए रिसर्च स्कॉलर्स को करना होगा अभी और इंतज़ार, DST ने कहा तीन हफ़्ते में करेंगे अपडेट

AIRSA से 12 सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने डीएसटी के सचिव डॉ. श्रीवारी चंद्रशेखर के सामने रिसर्च स्कॉलर्स की समस्याओं और फ़ेलोशिप हाइक के मुद्दे को रखा।
Research scholars

देश के आईआईएसईआर, आईआईटी और एनआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के रिसर्च स्कॉलर्स बीते लंबे समय से फेलोशिप बढ़ोत्तरी सहित अपनी अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, सरकार से गुहार लगा रहे थे। आखिरकार अब करीब नौ महीने बाद भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग यानी डीएसटी ने इन छात्रों के संगठन ऑल इंडिया रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन (AIRSA) के प्रतिनिधियों से गुरुवार, 1 जून को मुलाकात कर उनकी मांगों पर तीन सप्ताह के भीतर अपडेट करने का आश्वासन दिया है।

बता दें कि रिसर्च स्कॉलर्स बीते लंबे समय से फेलोशिप बढ़ोत्तरी सहित अपनी अन्य मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं। ऑल इंडिया रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन (AIRSA) की ओर से इस संबंध में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग यानी डीएसटी और उच्च शिक्षा विभाग को कई ज्ञापन सौंपे गए, शोधार्थियों ने लगातार सोशल मीडिया कैंपेन भी चलाया। साथ ही तख्तियां लेकर अपने संस्थानों में कई बार प्रदर्शन भी किए। हालांकि डीएसटी ने इस दौरान चुप्पी साधे रखी थी।

क्या ख़ास रहा इस मीटिंग में?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक AIRSA से 12 सदस्यों के एक प्रतिनिधि मंडल ने इस मीटिंग में डीएसटी के सचिव डॉ. श्रीवारी चंद्रशेखर के सामने रिसर्च स्कॉलर्स की समस्याओं और फेलोशिप हाइक के मुद्दे को रखा। जिसके बाद डॉ. श्रीवारी ने उनकी मांगों पर अमल करने का आश्वासन देते हुए तीन सप्ताह के भीतर उन्हें अपडेट करने की बात कही। इससे पहले डीएसटी ने अपने एक ट्वीट में फेलोशिप हाइक के मामले को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए शोधार्थियों को धैर्य से काम लेने की बात भी कही थी।

AIRSA के अध्यक्ष लाल चंद्र विश्वकर्मा ने न्यूज़क्लिक को मीटिंग की जानकारी देते हुए कहा कि डीएसटी ने संगठन की तीन मांगों पर संज्ञान लेने की बात कही है, जिसमें फेलोशिप हाईक के साथ इसके हर महीने रेगुलर मिलने और शोधार्थियों के गाइड द्वारा शोषण का मुख्य मुद्दा शामिल है। इसके अलावा डीएसटी की ओर से बेहतर रिसर्च के लिए स्कॉलर्स की समस्याओं को समझने और उनके साथ खड़े रहने की बात भी दोहराई गई है।

हालांकि लाल चंद्र इस मीटिंग के निष्कर्ष से बहुत उत्साहित नज़र नहीं आते। उनके मुताबिक डीएसटी फेलोशिप हाईक की बात तो कर रहा है, लेकिन ये हाईक कितनी होगी इसकी कोई जानकारी नहीं शेयर कर रहा। इसके साथ ही डीएसटी को इस बात की भी खबर नहीं है कि रिसर्च स्कालर्स को हर महीने फेलोशिप के पैसे नहीं मिलते। साथ ही गाइड द्वारा शोषण के खिलाफ मौजूदा समय में कौन सी कमेटी है, इसके डिटेल्स भी नहीं बताए गए।

डीएसटी और AIRSA की इस मीटिंग में डिस्कस तो कई बातें हुईं लेकिन तत्काल प्रभाव से किसी का समाधान नहीं हुआ। कई रिसर्च स्कॉलर्स का कहना है कि डीएसटी शोधार्थियों की दिक्कतों से भली भांति अवगत है लेकिन सिर्फ टालमटोल कर रही है। क्योंकि ऐसा कैसे हो सकता है कि स्कॉलर्स की छह-छह महीने फेलोशिप न आए और डीएसटी को इसकी जानकारी तक न हो। इसके अलावा ऐसी कौन सी उत्पीड़न या शोषण से जुड़ी ऐसी कौन सी कमेटी है, जो खुद डीएसटी नहीं बता पा रहा, जो शोधार्थियों को राहत कैसे मिलेगी।

धयान रहे कि शिक्षा मंत्रालय के अनुसार साल 2014-21 में आईआईटी, एनआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और अन्य केंद्रीय संस्थानों के 122 छात्रों ने आत्महत्या की। ये आंकड़े ख़तरनाक इसलिए भी हैं क्योंकि इन संस्थानों तक पहुंचने के लिए छात्र दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं, ऐसेे में इनकी मानसिक स्थिति को संस्थान का वातावरण किस तरह प्रभावित करता है, इस पर सरकार को ध्यान देना होगा। इसके अलावा शिक्षा पर सरकार को अपना बजट भी बढ़ाने की ज़रूरत है, जिससे ज़्यादा से ज़्यादा छात्र शोध कर सकें।

स्कॉलर्स ने आईआईटी समेत अन्य शोध संस्थानों में फीस हाइक का मुद्दा भी उठाया, जो सीधे फेलोशिप से जुड़ा है। AIRSA ने बढ़ती महंगाई और संस्थानों की फीस को लेकर इस बार 60 प्रतिशत फेलोशिप हाइक की डिमांड की है, जिस पर डीएसटी का कोई साफ रुख नहीं है। मीटिंग के निष्कर्षों में डीएसटी केवल बढ़ती महंगाई को आधार बनाकर फेलोशिप बढ़ाना चाहती है लेकिन शोध के बढ़ते खर्च को नजरअंदाज कर रही है।

क्या मांगें हैं रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन की?

* बढ़ती महंगाई और वित्तीय स्थिरता के मद्देनज़र भारत सरकार पूरे देश के पीएचडी शोधार्थियों की फेलोशिप में 62 प्रतिशत की वृद्धि करे।

* बिना किसी व्यवधान के पीएचडी शोधार्थियों को पूरे पांच साल हर महीने फेलोशिप दी जाए। इसके साथ ही टीचिंग असिस्टेंटशिप की राशि भी सुनिश्चित हो और एचआरए यानी हाउस अलाउंस भी वर्तमान दर से लागू किया जाए।

* पीएचडी शोधार्थियों का उत्पीड़न बंद हो। सुपरवाइज़र द्वारा रिसर्च के अलावा कोई अन्य घरेलू, व्यक्तिगत कार्य न दिया जाए। सुपरवाइज़र/संस्थान प्रबंधन द्वारा पीएचडी शोधार्थियों के किसी भी तरह के शोषण पर तुरंत कार्रवाई हो और उन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाए।

गौरतलब है कि फेलोशिप या ग्रांट केंद्र सरकार उन छात्रों को देती है, जो शोध और विकास के काम में जुटे हैं, और उन्हें भी जिनका चयन जूनियर रिसर्च फेलोशिप द्वारा किया जाता है इनमें खासकर वे छात्र शामिल होते हैं जो बेसिक साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। इस फेलोशिप में वे छात्र भी शामिल हैं जो नेट (नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट) और गेट (ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग) की परीक्षा को पास कर किसी प्रोफेशनल कोर्स या फिर पोस्ट ग्रेजुएट या स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। सरकार के आश्वासन के बाद अब इन शोधार्थियों को फेलोशिप हाइक के लिए अभी और इंतज़ार करना होगा।

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