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इतवार की कविता: लक्ष्य भेदती औरत...

तीरंदाज़ दीपिका कुमारी ने इतिहास रचा है। विश्व कप के तीसरे चरण में तीन स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की स्टार तीरंदाज़ दीपिका कुमारी एक बार फिर विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर हैं। रांची की रहने वाली इस 27 वर्षीय खिलाड़ी ने पहली बार 2012 में नंबर एक रैंकिंग हासिल की थी। उन्हीं की इस उपलब्धि से प्रेरित होकर वरिष्ठ कवि-लेखक सुमन केशरी ने एक बेहद छोटी लेकिन बेजोड़ कविता लिखी है। आज ‘इतवार की कविता’ में आइए पढ़ते हैं उन्हीं की यह कविता।
Deepika Kumari

दीपिका कुमारी

 

लक्ष्य का संधान कर रही औरत

अपने होठों की खूबसूरती भूल

उसे यूँ भींच लेती है

गोया उसका फड़कना तक

पुतलियों को डिगा न दे

पथ से!

लक्ष्य भेदती औरत की आँखें भेद देती हैं

सभी युगों के तमाम द्रोणाचार्यों के मस्तिष्क!

-    सुमन केशरी

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