Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

गुरमीत राम रहीम को पैरोल मिलने पर पंजाब व हरियाणा में उठने लगे विरोध के स्वर 

हरियाणा और पंजाब में राम रहीम को पैरोल मिलने पर राजनैतिक, सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में सख़्त विरोध देखने को मिल रहा है।
Gurmeet Ram Rahim
फ़ोटो साभार: PTI

बलात्कार और हत्या मामलों में सजा भुगत रहा डेरा सच्चा सौदा सिरसा का मुखिया गुरमीत राम रहीम सिंह पिछले 14 महीनों में चौथी बार फिर 21 जनवरी को पैरोल पर 40 दिनों के लिए जेल से बाहर आया है। साथ ही हरियाणा सरकार ने गणतंत्र दिवस पर कैदियों की 30 से 90 दिनों की सज़ा माफ़ की है जिसके तहत गुरमीत राम रहीम की सज़ा भी 90 दिन कम हो जायेगी। दूसरी तरफ पंजाब और हरियाणा में डेरामुखी की पैरोल का पीड़ित परिवार, कई सामाजिक व धार्मिक संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है।  

डेरे के काले कारनामों के विरुद्ध निडरता से आवाज़ उठाते हुए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने डेरा प्रमुख को बार-बार मिल रही पैरोल पर सवाल उठाते हुए कहा है, “यह सरकार की शह पर ही हो रहा है। इससे साफ़ है कि सरकार डेरा मुखिया से राजनैतिक फ़ायदा लेने की कोशिश कर रही है। जब भी किसी राज्य में चुनाव होने वाले होते हैं तो डेरा मुखिया को पैरोल मिल जाती है। हम कानून विशेषज्ञों से सलाह लेकर आगे इस पर कोई कदम उठाएंगे।” डेरा सिरसा के विरुद्ध सी.बी.आई. जाँच को लेकर आंदोलन करने वाले संगठन जन संघर्ष मंच हरियाणा की महासचिव सुदेश कुमारी गुरमीत राम रहीम की पैरोल का विरोध करते हुए कहती है, “एक ओर राम रहीम जैसे कातिल और बलात्कारी को बार-बार पैरोल दी जा रही है दूसरी तरफ देश के जनपक्षीय बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को बिना कोई कसूर जेलों में बंद किया हुआ है और उन्हें जमानत तक नहीं दी जा रही । इससे साफ़ ज़ाहिर है कि सरकारें अपने राजनैतिक फायदों के लिए गुरमीत जैसे दुराचारी, कातिल, पाखंडी बाबाओं को ऐसी रियायतें दे रही हैं और यह पूरी तरह महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को बढ़ावा देना है।” 

याद रहे कि गुरमीत राम रहीम बलात्कार और कत्ल मामले में सज़ायाफ्ता है। 54 दिनों बाद दूसरी बार सुनारिया जेल से बाहर आकर गुरमीत यू.पी. के बागपत स्थित अपने बरनावा आश्रम में पहुंचा। जहाँ से उसने ऑनलाइन होकर अपने श्रद्धालुओं को सम्बोधित किया। भाजपा के कुछ नेता भी उसके ऑनलाइन सत्संग में शामिल हुए। उधर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि डेरा सिरसा के मुखिया को कानूनी नियमों के अनुसार ही पैरोल मिली होगी, पैरोल पर जाना कैदी का अधिकार है। हमारी सरकार ने कभी भी इन मामलों में दखल नहीं दिया।

दूसरी तरफ पंजाब में भी राम रहीम को पैरोल मिलने पर राजनैतिक, सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में सख्त विरोध पाया जा रहा है । किसी समय भाजपा के सहयोगी रहे शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इसका विरोध करते हुए कहा, “एक तरफ डेरा मुखी को बार-बार पैरोल मिल रही है दूसरी तरफ अपनी सज़ा पूरी कर चुके जेलों में बंद सिख कैदियों को इंसाफ नहीं मिल रहा।” शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने इसका विरोध करते हुए इस पैरोल के खिलाफ हाई कोर्ट में पिटीशन डालने की भी बात की है। 

मोहाली में सज़ा पूरी कर चुके सिख कैदियों की रिहाई के लिए चल रहे धरने के नेताओं ने भी राम रहीम की पैरोल का सख्त विरोध किया है। इस धरने के नेता गुरचरन सिंह, जसविंदर और एडवोकेट दिलशेर सिंह ने कहा कि डेरा सिरसा का मुखिया सिख धर्म विरोधी है। केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार बार-बार डेरा प्रमुख पर मेहरबान हो कर सिखों को बेगानगी का एहसास करवा रही हैं। उन्होंने आगे कहा, “एक ओर 30-30 साल हो गए है सिख कैदी जेलों में बंद है सज़ा पूरी होने पर भी उन्हें रिहा नहीं किया जा रहा। दूसरी तरफ राम रहीम जैसे बलात्कारी हैं जिनको सरकारें आराम से जेल से बाहर भी आने देती हैं और वे खुल्लम-खुला सरकारी सुरक्षा लेकर अपने डेरे में जाते हैं और आराम से प्रवचन करते हैं। भाजपा के नेता उनके आगे माथे टेकते हैं। इससे तो साफ ज़ाहिर होता है कि सिखों के लिए इन सरकारों के क़ानून अलग हैं और राम रहीम जैसे पाखंडियों के लिए अलग हैं।” 

काबिल-ए-गौर है कि सन 2015 में पंजाब के ज़िला फरीदकोट में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटी घटना में डेरा सिरसा के मुखी और डेरे के कुछ प्रेमी आरोपों में घिरे हुए हैं। बेअदबी के मामले में घिरे दो डेरा प्रेमियों का पिछले समय में कत्ल भी हो चुका है। गत 20 जनवरी को फरीदकोट के चीफ़ ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट की अदालत में बेअदबी मामले से जुड़े तीन फौजदारी केसों को पंजाब से बाहर ले जाने के लिए डेरा प्रेमियों ने सुप्रीम कोर्ट में पहुँच की है। सुप्रीम कोर्ट में दी अपनी अर्जी में उन्होंने कहा है कि पंजाब में उनकी जान को खतरा है और अदालत में डेरा प्रेमी आज़ाद ढंग से अपना केस नहीं लड़ सकते। सुप्रीम कोर्ट में डेरा प्रेमियों की इस पिटीशन पर आगामी 6 फरवरी को सुनवाई की सम्भावना है।

पंजाब में राम रहीम सिंह के ऑनलाइन सतसंगों का भी विरोध हो रहा है। ज़िला बठिंडा में डेरे के राज्य में सबसे बड़े स्थान ‘सलाबतपुर डेरा’ में गत 29 जनवरी को जब राम रहीम का ऑनलाइन सत्संग होने वाला था तो अकाली दल अमृतसर और कई उग्र सिख संगठनों ने इसका ज़ोरदार विरोध किया। इन सिख संगठनों ने सलाबतपुरा डेरा में जाने वाली सडकों पर धरना लगा कर आवाजाही को रोका। कई जगह सलाबतपुरा जा रही डेरा प्रेमियों की बसों को भी रोका गया। इन प्रदर्शनकारियों का कहना था कि डेरा सिरसा मुखी जान-बूझ कर पंजाब का माहौल खराब कर रहा है। उन्होंने पंजाब सरकार पर भी आरोप लगाया कि जब डेरा मुखी का नाम गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी में आ रहा है तब भी पंजाब सरकार उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने की बजाये पुलिस की निगरानी में उसकी ‘नाम चर्चाएँ’ करवा रही है।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest