जम्मू-कश्मीर: पुलिस द्वारा छापेमारी, बेटे को घसीट कर ले जाते देख दिल का दौरा पड़ने से महिला की मौत
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श्रीनगर: परिवार में से एक प्रत्यक्षदर्शी के साथ बातचीत में पता चला है कि जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों द्वारा बृहस्पतिवार की रात करीब 2:30 बजे छापे के दौरान अपने बेटे को घसीट कर ले जाता देख एक 60 वर्षीय महिला की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।
चार बच्चों की माँ, ख़दीजा अपने परिवार के सामने ही धड़ाम से गिर पड़ीं थीं और बाद में उन्हें अस्पताल में लाने पर मृत घोषित कर दिया गया, जिसके कारण वहां पर लोगों में बेहद असंतोष व्याप्त हो गया।
ख़दीजा की बेटी रुबीना ने न्यूज़क्लिक को बताया “शोरगुल से हम जाग गए और फिर हमें अहसास हुआ कि सुरक्षा बलों द्वारा हमारे घर पर छापा मारा जा रहा है।”
रुबीना जो नेत्र हैं, रेड डाले जाते वक्त अपनी माँ के साथ सो रही थी। वे कहती हैं कि वे यह सब देख पूरी तरफ से हक्का-बक्का रह गई थीं, लेकिन उनके भाई जावेद अहमद को जब पुलिस वहां से ले जाने लगी तो उसने रोकने की कोशिश की, तो एक पुलिस वाले ने उसे “धक्का” मारकर पीछे धकेल दिया था।
रुबीना का कहना था “मैं पूरी तरह से आतंकित हो गई थी और मेरा परिवार पुलिस के सामने गिडगिडा रहा था और उनसे पूछ रहा था कि वे क्यों हमारे भाई को ले जा रही थे...उन्होंने आधी रात को क्यों हमारे यहाँ छापा मारा है?
जब जावेद को जबरन वहां से ले जाया जा रहा था तो उसी दौरान उसकी माँ नीचे गिर पड़ीं, और उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। परिवार का कहना है कि जब खदीजा की मौत हुई, तो वे अपनी रिश्तेदार हलीमा को पुकार रही थीं। रुबीना ने बताया कि जब वह दर्जनों पुलिसकर्मियों के बीच खड़ी थीं, तो उनके अंतिम शब्द थे “हलीमा, मेहरबानी करके यहाँ आ जाओ।”
परिवार के एक अन्य सदस्य ने बताया कि हलीमा की बांहों में उनकी मौत हो गई जिसके बाद जाकर पुलिस ने जावेद को वापस भेज दिया, लेकिन उससे ज़कुरा पुलिस थाने में सुबह रिपोर्ट करने के लिए कहा।
जैसे ही स्थानीय निवासी उनके घर पर इकट्ठा होना शुरू हुए, महिलाओं का विलाप शुरू हो गया और आसपास खड़े पुरुषों में रोष व्याप्त होने लगा था। एक शोकाकुल रिश्तेदार का कहना था “यहाँ कश्मीर में अब कोई जिंदगी नहीं बची। भले ही आप बहुत सारा रुपया कमा लो, इसके बावजूद कोई भी आपके घर में रात को धड़धडाते हुए दाखिल हो सकता है और आपका किस्सा वहीं खत्म हो जाता है।”
पीड़ित का परिवार हबाक के बाटापोरा के मिरकशाह इलाके में रहता है जो कश्मीर विश्वविद्यालय के करीब है। खदीजा के पति लकड़ी पर नक्काशी का काम करते हैं और उनका बेटा जावेद शीशे के काम से जुड़ा है। इलाके के स्थानीय निवासियों ने पीड़ित के घर के बाहर प्रशासन के खिलाफ एक छोटा विरोध प्रदर्शन किया जिसमें कथित अपराधियों के खिलाफ सजा की मांग की गई थी।
रुबीना की दो बहनें हैं और वे दोनों शादीशुदा हैं। उनका कहना था कि उनकी माँ की “हत्या” ने समूचे परिवार को प्रभावित किया है लेकिन इसके कारण विशेष रूप से उनकी अंधी बहन को बीच मझधार में छोड़ दिया है। रुबीना की बड़ी बहन के अनुसार “घर के दोनों पुरुष सदस्य काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं, ऐसे में उसे अपनी और परिवार की देखभाल करनी पड़ती है। अब वह बिल्कुल तन्हा है...उन्होंने माँ के साथ कई बाकियों को भी मार डाला है।”
परिवार का कहना है कि यह पहली बार है जब पुलिस बल ने जावेद को समन किया है, जिसके बारे में उनका दावा है कि वह किसी भी प्रकार की “शत्रुतापूर्ण गतिविधि” में शामिल नहीं रहा है।
हालाँकि रात्रि के दौरान छापेमारी कश्मीर में आम बात है। पिछले कई वर्षों से, विशेषकर रात के समय पुलिस द्वारा सैकड़ों लोगों को उठा लिया जाता है। और ऐसा सिर्फ श्रीनगर में ही नहीं है, बल्कि समूचे कश्मीर घाटी में रहने वाले परिवारों ने पुलिस और कभी-कभार भारतीय सेना पर नागरिकों के खिलाफ मनमाने तरीके से बल प्रयोग का आरोप लगाया है।
परिवार के एक रिश्तेदार अब्दुल हामिद मीर के अनुसार उन्होंने इस घटना के सन्दर्भ में वे एसएचओ निगीन, पुलिस अधीक्षक (एसपी) हज़रत बल और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) श्रीनगर सहित तमाम पुलिस अधिकारियों से मुलाक़ात की है। मीर ने बताया कि “उनका कहना था कि वे इस मामले की पड़ताल करेंगे।”
इस सन्दर्भ में जब एसएसपी श्रीनगर, संदीप चौधरी और आईजीपी कश्मीर, विजय कुमार से उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की गई तो उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिल सका है, जिसे मिलने पर तदनुसार अपडेट कर दिया जाएगा।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें
Woman in Srinagar Dies of Heart Attack as Son is Dragged Away During Night Raid by J&K Police
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