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संकट में महिला खिलाड़ी: अब छत्तीसगढ़ में कराटे संघ अध्यक्ष पर उत्पीड़न के आरोप

राजधानी दिल्ली में पहलवान पहले से ही भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे हैं। हरियाणा में कैबिनेट मंत्री संदीप सिंह पर भी यौन उत्पीड़न के आरोप हैं।
karate players

छत्तीसगढ़ में कराटे खिलाड़ियों के मानसिक उत्पीड़न का सनसनीखेज़ मामला सामने आया है। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले की आदिवासी लड़कियों ने इस मामले में छत्तीसगढ़ कराटे एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सुशील चंद्रा के खिलाफ कलेक्टर को लिखित शिकायत और ज्ञापन सौंपा है। जिला कलेक्टर प्रियंका ऋषि महोबिया ने खिलाड़ियों को निष्पक्ष जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया है। वहीं इस मामले में आरोपी अध्यक्ष का कहना है कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है और उन्हें फंसाया गया है। फिलहाल मामले में शासन-प्रशासन की चुप्पी ही नज़र आ रही है, लेकिन लड़कियों ने अध्यक्ष पर कार्रवाई न होने की दशा में उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

बता दें कि इससे पहले भी राज्य के खेल संघ पदाधिकारियों पर और आयोजनों में छेड़छाड़ और यौन शौषण के आरोप लगते रहे हैं। साल 2014 में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर खो-खो खेल चुकी आदिवासी लड़कियों ने खो-खो संघ के सचिव, कोषाध्यक्ष व बालक वर्ग के कोच के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। वहीं कुछ ही साल पहले जूडो की खिलाड़ी के साथ कोच द्वारा दुष्कर्म का मामला सामने आया था। इसमें कोच को 7 साल की सजा सुनाई गई थी।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक बीते बुधवार, 17 मई को करीब 70 महिला खिलाड़ियों द्वारा हस्ताक्षरित एक शिकायत जिला कलेक्टर प्रियंका ऋषि महोबिया को सौंपी गई है, जिसमें कहा गया है कि सुशील चंद्रा उनसे फोन पर अश्लील बातें करते हैं और गंदे फोटो-वीडियो भेजते हैं। लड़कियों का ये भी कहना है कि वे एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष की गंदी और अश्लील हरकतों से तंग आ चुकी हैं।

खिलाड़ियों ने लिखित ज्ञापन में सुशील चंद्रा के लिए कहा है, “उनके द्वारा हम आदिवासी बालिकाओं को रात्रिकालीन 11 बजे के बाद फोन कर हमारे प्रशिक्षक के विरूद्ध होने के लिए धमकाया जाता है। पैसे व पद का लालच देकर फंसाने के लिए उकसाकर हमारे साथ अश्लीलतापूर्वक बातचीत कर मानसिक रूप से शोषण किया जाता है। हम लोग सुशील चंद्रा के अश्लीलता पूर्वक कृत्य से पीड़ित हैं। उनका यह कृत्य हमारी निजता के अधिकार का उल्लंघन कर हमारा शोषण है, जो कि दण्डनीय है।"

इसमें आगे खेल नीतियों का हवाला देते हुए ये भी कहा गया है कि शासकीय कर्मचारी किसी भी खेल संघ का अध्यक्ष या सचिव नहीं हो सकता परंतु सुशील चंद्रा जोकि शासकीय सेवा एस.ई.सी.एल विभाग में पदस्थ कर्मचारी होने के बाद भी अपने राजनीतिक पहुंच और दादागिरी से विगत 3 वर्षों से राज्य के कराटे संघ पर कब्जा कर बालक व बालिकाओं का शोषण कर रहे हैं एवं कराटे खेल को बदनाम कर रहे हैं।

चार पेज की ये लिखित शिकायत जिले के पुलिस अधीक्षक के नाम लिखी गई है और इसमें संघ के कई और पदाधिकारियों के नाम भी शामिल हैं। लड़कियों के मुख्य ट्रेनर अशोक वर्मा को प्रशिक्षण से हटाने और उनका अपमान करने सहित कई बातें इस पत्र में शामिल की गई हैं। साथ ही बिंदुवार तरीके से लड़कियों की ट्रेनिंग में आ रही समस्याओं को भी उजागर किया गया है।

सुशील चंद्रा ने सभी आरोपों को बताया निराधार

छत्तीसगढ़ कराटे एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सुशील चंद्रा ने अपना पक्ष रखते हुए न्यूज़क्लिक को बताया कि उनपर लगे सभी आरोप बेबुनियाद हैं और शिकायत करने वाली किसी भी बालिका से वे कभी नहीं मिले, न ही उनकी किसी से भी कोई भी बात फोन पर हुई है। उन्होंने इस पूरे मामले को अपने खिलाफ एक झूठी साजिश करार दिया। उन्होंने भी इस संबंध में गुरुवार, 18 मई की शाम कलेक्टरेट में एक ज्ञापन सौंपा है।

वहीं इस मामले में अहम रोल रखने वाले प्रशिक्षक अशोक वर्मा ने बताया कि वो बीते 8 साल से आदिवासी बहुल पेंड्रा इलाके में बालिकाओं को आत्मरक्षा हेतु सशक्त बनाने के लिए प्रशिक्षण देने का काम कर रहे हैं। लेकिन उन्हें राजनीति और पावर की धोंस दिखाकर यहां से हटाने की साजिश की जा रही है, जिससे आदिवासी लड़कियों की ट्रेनिंग पर काफी असर पड़ रहा है।

अशोक वर्मा न्यूज़क्लिक से कहते हैं कि सुशील चंद्रा का व्यवहार आदिवासी लड़कियों के साथ भेदभाव वाला रहा है। वे कई बार टूर्नामेंट के दौरान लड़कियों को अलग से बुलाकर उन्हें असहज करते हैं, इसके अलावा फोन नंबर बदल-बदल कर लड़कियों से देर रात बात करते हैं, उन्हें मैसेज भेजते हैं। इसके अलावा खेल आयोजनों में उनके चयन को लेकर भी लालच देने और दबाव बनाने की कोशिश करते हैं।

लड़कियों को धमकाने की कोशिश

अशोक वर्मा आरोप भी लगाते हैं कि जबसे लड़कियों ने शिकायत ज्ञापन सौंपा है, उन्हें धमकाने का काम शुरू हो गया है। उनके घरों का पता ढूंढकर उनपर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है, जिसके चलते लड़कियों के मन में डर बैठ गया है और इसका असर उनके खेल पर भी पड़ रहा है। लड़कियां घबराई हुई हैं और मौजूदा समय में अपने घरों से दूर रहने को मजबूर हैं।

गौरतलब है कि छात्राओं को सेल्फ डिफेंस के गुर सिखाने और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से राज्य में शुरू की गई रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा योजना फिलहाल राजनीति और आपसी रंजिश के भेंट चढ़ती हुई नज़र आ रही है। बहुत मुमकिन है कि इस घटना का असर दूसरे खेलों में शामिल महिला खिलाड़ियों पर भी पड़ेगा और उनके अभिभावकों का भी विश्वास टूटेगा।

ध्यान रहे कि राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवान पहले से ही भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे हैं। हरियाणा में कैबिनेट मंत्री संदीप सिंह जो पहले खेल मंत्री भी थे, उन पर भी यौन उत्पीड़न के आरोप हैं। ऐसे में पहले से ही खेलों में मुश्किल से अपनी राह बनाने वाली लड़कियों को और अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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