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मेरठ: अखिलेश-जयंत की पहली संयुक्त रैली में उठा किसान आंदोलन, टीईटी पेपर लीक, लखीमपुर घटना का मुद्दा

समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ मेरठ में हुई एक रैली को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय लोक दल (RLD) प्रमुख ने कहा कि भाजपा को अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में लोगों की ओर से करारा जवाब मिलेगा, क्योंकि वे बीजेपी की नफ़रत की राजनीति को समझ चुके हैं।   
Akhilesh Yadav

लखनऊ: राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के प्रमुख जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को मेरठ के दबथुआ गांव में एक संयुक्त रैली की, जो कि एक तरह से अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश के अहम चुनावों से पहले का शक्ति-प्रदर्शन थी। यह पहला मौक़ा था, जब दोनों नेताओं ने एक ही मंच से किसी रैली को संबोधित किया हो।

चुनाव वाले इस राज्य के मेरठ ज़िले में हुई उस संयुक्त रैली में दोनों नेताओं ने औपचारिक रूप से अपने गठबंधन के फ़ैसले का ऐलान किया।

"किसानों का इंक़लाब होगा, 2022 में बदलाव होगा" का नारा उस मैदान में गूंज उठा, जहां दोनों दलों के समर्थक जोश में नज़र आ रहे थे।

आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी और सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किसानों के मुद्दों पर ज़ोर दिया और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार पर पिछले एक साल से प्रदर्शन कर रहे किसानों को "परेशान" करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों में किसानों का ग़ुस्सा भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए महंगा साबित होगा।

चौधरी ने अपने भाषण की शुरुआत में ही वादा किया कि अगर वे अगले साल उत्तर प्रदेश में सत्ता में आते हैं, तो उनका पहला काम किसानों आंदोलन में हुए "शहीदों" के लिए एक स्मारक बनाने का होगा।

चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी ने कहा, "हमारी डबल इंजन सरकार का पहला काम उन शहीद किसानों के लिए एक स्मारक का निर्माण करना है, जो चौधरी चरण सिंह की इस भूमि में किसान आंदोलन के दौरान मारे गये हैं।" उन्होंने आगे कहा, "अखिलेश जी और मैं एक साथ हैं और मैं इसका ऐलान कर रहा हूं।"

चौधरी ने किसानों के आंदोलन की सराहना करते हुए कहा, "मैं एक बड़ी लड़ाई जीतने और (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदीजी को शायद पहली बार अपने सामने झुकने को लेकर मजबूर करने के लिए किसानों की सराहना करता हूं।" वह उन तीन केंद्रीय कृषि क़ानूनों को निरस्त करने का ज़िक्र कर रहे थे, जिन्होंने एक साल से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन को प्रेरित किया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला करते हुए आरएलडी प्रमुख ने कहा, "बाबाजी बहुत जल्द ग़ुस्सा हो जाते हैं। आपने उन्हें (योगी आदित्यनाथ) कभी मुस्कुराते नहीं देखा होगा। वह तभी मुस्कुराते हैं, जब वह 'बछड़े' के साथ होते हैं। मैं आप लोगों से उन्हें मुक्त कर देने के लिए कहता हूं, ताकि वह 24 घंटे अपने बछड़ों के साथ खेल सकें। वह सरकारी फ़ाइलों को नहीं संभाल पाते हैं।"

उन्होंने हाल ही में यूपीटीईटी के कथित पेपर लीक के मुद्दे को भी उठाया और कहा कि "ऐसी घटनाओं के चलते युवाओं को नियुक्तियां नहीं मिल रही हैं, और उन्हें दूसरी जगहों पर जाकर काम करना पड़ता है।"

समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ मेरठ में हुई इस रैली को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय लोक दल (RLD) प्रमुख ने कहा कि भाजपा को अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में लोगों की ओर से करारा जवाब मिलेगा, क्योंकि वे बीजेपी की नफ़रत की राजनीति को समझ चुके हैं।

हाल ही में पश्चिम यूपी में एक रैली के दौरान योगी के कैराना पलायन के बयान की ओर इशारा करते हुए जयंत ने कहा, “बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान दावा किया था कि कई हिंदू परिवार अपराधियों के डर से कैराना शहर से पलायन कर गये थे। प्रवासन के इस दावे पर कुछ राजनीतिक दलों ने चुनाव लड़ा है और उन्हें इसके फ़ायदे भी मिले हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। बेरोज़गारी और प्रतियोगिता परीक्षाओं के पेपर लीक होने से नौजवान काफ़ी ग़ुस्से में हैं। यहां के नौजवान भी अवसरों और काम की कमी की वजह से दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं। इस बार वे 'नफ़रत की बातों' के जाल में नहीं फ़ंसेंगे।"

इस बीच उत्तर प्रदेश से भाजपा पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव की हमलावर प्रतिक्रिया उस दिन आयी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर क्षेत्र में विकास परियोजनाओं के उद्घाटन के बाद एक रैली को सम्बोधित कर रहे थे।

अखिलेश ने कहा, "भाजपा का सूरज ढलना तय है, उन्होंने (भाजपा) किसानों पर अत्याचार किया है... उनकी पार्टी के नेताओं ने किसानों को अपनी गाड़ियों के पहियों तले कुचल दिया और उन्हें अब जाना होगा। इस चुनाव में भाजपा का सफ़ाया हो जायेगा।"

उन्होंने किसानों के आंदोलन का भी ज़िक़्र किया और कहा कि उनकी सरकार (सपा-रालोद) अगर सत्ता में आयी, तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में इज़ाफ़ा करेगी और यह भी सुनिश्चित करेगी कि किसानों को अपनी उपज की बिक्री के लिए दर-दर भटकना न पड़े।

यादव ने रैली के बाद चौधरी के साथ हुई रैली की अपनी तस्वीर को शेयर करते हुए एक ट्वीट में कहा, “बीजेपी को महंगाई; बेरोज़गारी; किसान-मज़दूरों की बदहाली; हाथरस, लखीमपुर, महिलाओं और नौजवानों के उत्पीड़न; शिक्षा, व्यवसाय और स्वास्थ्य (क्षेत्रों) में आयी गिरावट के 'रेड अलर्ट' का सामना करना पड़ रहा है और यह जो 'लाल टोपी' है न, वह इस बार भाजपा को सत्ता से बाहर कर देगी।”

समाजवादी पार्टी और रालोद ने इससे पहले भी 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया था। यह गठबंधन अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र को भुनाने का लक्ष्य बना रहा है, जहां निरस्त कर दिये गये कृषि क़ानूनों को लेकर नाराज़गी थी।

अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दोनों दलों ने 23 नवंबर को चुनावी गठबंधन को अंतिम रूप दे दिया था।

इस बीच राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि रालोद-समाजवादी पार्टी के बीच का यह गठबंधन सितंबर 2013 में मुज़फ़्फ़रनगर के उस सांप्रदायिक दंगों के बाद राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों को फिर से निर्धारित करने में मदद करेगा, जिसके चलते रालोद के घरेलू मैदान पर मुस्लिम-जाट विभाजन हुआ था। इस समय भाजपा मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद संभाग के 14 ज़िलों के 71 में से 51 निर्वाचन क्षेत्रों में सत्ता में है।

2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में एसपी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में 298 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 47 सीटें जीती थीं और 2012 के 224 सीटों के आंकड़ों के मुक़ाबले 177 सीटों पर हार गयी थी। जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली रालोद को महज़ एक सीट मिली थी, जो कि 2012 के विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन से आठ कम थी,जबकि भाजपा ने पश्चिमी उत्तरप्रदेश से 130 सीटें जीती थीं।

राजनीतिक विश्लेषक सुमित सिंह कहते हैं, "इस बार रालोद के पास सपा की मदद से अपने प्रदर्शन में सुधार करके उस हार का बदला लेने और जाट वोट को अपने पाले में वापस लाने का मौक़ा है।" वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि जाट मतदाता, जो इस गन्ना क्षेत्र के मतदाताओं के 25 से 28% के बीच हैं, वे अन्य जातियों और समुदायों के साथ-साथ दलितों के अहम तबके के अलावा गुर्जर, त्यागी, ब्राह्मण और मुस्लिम के साथ मिलकर इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Farmers Movement, TET Paper Leak, Lakhimpur Incident Raised In Akhilesh-Jayant’s First Joint Rally in Meerut

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