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हरियाणा : उपवास के पहले भाजपा नेताओं के ‘‘खाना खाने’’ का वीडियो बनाने वाले पत्रकार पर मामला दर्ज

एसवाईएल नहर मुद्दे पर उपवास के पहले ‘‘खाना खाते’’ हुए भाजपा नेताओं का वीडियो बनाने वाले एक वेब चैनल के पत्रकार के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
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एसवाईएल नहर मुद्दे पर उपवास के पहले ‘‘खाना खाते’’ हुए भाजपा नेताओं का वीडियो बनाने वाले एक वेब चैनल के पत्रकार के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। हालंकि पुलिस ने बताया कि करीब 10 महीने पहले थानेसर बाजार समिति के पूर्व अध्यक्ष सुरेश सैनी द्वारा दी गयी शिकायत के आधार पर पत्रकार राजिंदर स्नेही पर सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 67 के तहत सोमवार को मामला दर्ज किया गया। लेकिन एक सवाल उठता है अगर मामला दस महीने पुराना है तो फिर अचानक उपवास वाली वीडियो के बाद ही मामला दर्ज क्यों हुआ ? मामला दर्ज करने के टाईमिंग पर सवाल उठ रहे है। पुलिस कुछ भी सफ़ाई दे लेकिन लोगो साफ़तौर पर इसे बदले की कार्रवाई बता रहे है।

कुरुक्षेत्र के थाना प्रभारी मंदीप सिंह के मुताबिक, सैनी ने आरोप लगाया था कि पत्रकार ने करीब 10 महीने पहले सोशल मीडिया पर उनके बारे में फर्जी और मनगढंत खबरों को प्रसारित किया था, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची।

पत्रकार ने जो हालिया वीडियो बनाया जो वायरल हुआ था उसमें बीजेपी नेता उपवास के पहले ‘‘खाते’’ हुए नजर आए। हालंकि कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी और थानेसर के विधायक सुभाष सुधा ने दावों से इनकार किया है।

भाजपा नेताओं ने कहा कि उपवास के दिन उन्होंने भोजन नहीं किए थे केवल एक धार्मिक कार्यक्रम में ‘‘प्रसाद’’ ग्रहण किया था।

कुरुक्षेत्र के सांसद ने कहा कि वह सुभाष सुधा के साथ गीता ज्ञानम संस्थान गए थे वहां पर उन्हें ‘प्रसाद’ दिया गया था। उन्होंने कहा कि उपवास के पहले खाने का सवाल ही नहीं उठता।

बहरहाल, कुछ मीडियाकर्मियों ने कुरुक्षेत्र प्रेस क्लब के बैनर तले एसपी कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया और स्नेही के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की।

कुरुक्षेत्र प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश शांडिल्य ने आरोप लगाया कि पुलिस ने भाजपा नेताओं के दबाव के बाद यह कदम उठाया।

आपको बता दें हरियाणा बीजेपी ने किसान अंदोलन के बिच में 19 दिंसबर को सालों से विवादित रहे एसवाईएल नहर मुद्दे को उठाया और इसको लेकर उन्होंने एकदिवसीय उपवास भी किया परन्तु उन्हें इस अभियान में अपेक्षित जनसमर्थन नहीं मिला बल्कि उन्हें स्थानीय लोगो और किसान संगठनों का विरोध झेलना पड़ा। किसानो ने आरोप लगया की बीजेपी यह सब नाटक किसानों की एकता तोड़ने के लिए कर रही है। लेकिन ऐसा नहीं होने जा रहा है, किसान केंद्र को कृषि कानून वापस लेने के लिए राजी करके ही मानेंगे।

एसवाईएल दोनों राज्यों के बीच विवादास्पद मुद्दा रहा है और पंजाब में नहर का हिस्सा अब भी अधूरा है। निर्माण कार्य 1982 में शुरू हुआ था।

पंजाब रावी ब्यास नदी के पानी की मात्रा का फिर से आकलन करने की मांग कर रहा है। हरियाणा अपने हिस्से का 35 लाख एकड़ फुट पानी लेने के लिए एसवाईएल नहर का निर्माण कार्य पूरा करने की मांग कर रहा है।(

समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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