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“ऐतिहासिक होगी जनविश्वास महारैली” 

बिहार महागठबंधन के आह्वान पर 3 मार्च को ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित होने जा रही “जनविश्वास महारैली” को सफल बनाने के लिए जन संस्कृतिकर्मी भी नुक्कड़ों पर उतरे हुए हैं। 
Bihar

राजधानी पटना के विभिन्न चौक-चौराहों पर जन संस्कृति मंच की सांस्कृतिक मंडली के जनगीतों को सुनने के लिए आम लोगों की अच्छी खासी भीड़ जुट रही है। 

3 मार्च को बिहार महागठबंधन के आह्वान पर ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित होने जा रही “जनविश्वास महारैली” को सफल बनाने के लिए जन संस्कृतिकर्मी भी नुक्कड़ों पर उतरे हुए हैं। लोगों से नुक्कड़ों पर जनगीतों की हो रही प्रस्तुति, परचा वितरण और वक्तव्यों के माध्यम से ‘देश के लोकतंत्र और संविधान बचाने’ की मुहिम में शामिल होने की अपील कर रहे हैं। कार्यक्रम में आम लोगों के अलावा विशेष रूप शहरी गरीबों की जमा भीड़ दर्शा रही है कि ‘जनविश्वास महारैली’ को लेकर उनमें एक आकर्षण तो ज़रूर है। 

चर्चा ज़ोरों पर है कि ‘जनविश्वास महारैली’ को लेकर प्रदेश के गांवों-कस्बों से लेकर सभी छोटे-बड़े शहरों तक में आम लोगों की बढ़ती सरगर्मी और तेजस्वी यादव की ‘जनविश्वास यात्रा’ में उमड़ती युवाओं की भीड़ को देखकर भाजपा की बेचैनी बढ़ी हुई है। 

इसे इस रूप में भी देखा-समझा जा सकता है कि हाल के समय में संभवतः ऐसा पहली बार हो रहा है कि खुद प्रधानमंत्री को जनविश्वास महारैली के ठीक एक दिन पहले आकर बिहार में कार्यक्रम करना पड़ रहा है। 2 फ़रवरी को औरंगाबाद-बेगूसराय में रेल-सड़क और पुलों के शिलान्यास कार्यक्रमों के साथ साथ “विकसित बिहार” के नारे के साथ करोड़ों की विकास परियोजनाओं की घोषणा करेंगे।

इसे लेकर भी महागठबंधन समर्थक सार्वजनिक रूप से टिप्पणी कर रहे हैं कि दशकों से ‘विशेष राज्य’ मांग कर रहे बिहार को केंद्र की भाजपा सरकार ने तो कभी कोई तवज्जो नहीं दी। अब जब वोट के लाले पड़े हैं और तमाम तिकड़मों के बाद भी कुछेक विधायकों को तोड़ने के अलावा विशेष कुछ हाथ नहीं लग पा रहा है। तो महागठबंधन के प्रति बिहार के गरीब गुरबों में बढ़ते आकर्षण को लेकर खुद इनके शीर्षस्थ नेता जी को बिहार दौरा करके “करोड़ों की विकास परियोजनाओं” का लॉलीपॉप देना पड़ रहा है। उस पर से इस बार नीतीश कुमार जी के पाला-बदल को लेकर भी व्यापक लोगों में काफी नकारात्मक असर दिख रहा है।   

यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा की बढ़ती बेचैनी के मद्देनज़र ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष नेता मोहन भागवत जी को बिहार में डेरा डालना पड़ रहा है। जो इन दिनों राज्य भर के संघ कार्यकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण देने का सांगठनिक मुहिम चला रहे हैं। 

Biharदूसरी ओर, यह भी जा रहा है कि राजधानी पटना से लेकर पूरे प्रदेश के चौक चौराहे जनविश्वास महारैली के बैनर-पोस्टरों से अटे पड़े हैं। जिनमें महागठबंधन के सभी घटक दलों ने व्यापक रूप से अपने अपने बैनर-पोस्टर टांगे हैं। साथ ही राजद के अलावा लगभग भाकपा माले समेत सभी वामपंथी दलों के साथ साथ कांग्रेस पार्टी इत्यादि ने अपनी प्रचार गाड़ियां निकाली हुई हैं।  भाकपा माले कार्यकर्ता ‘जनविश्वास महारैली” को ज़ोरदार ढंग से सफल बनाने के लिए गांव गांव सघन प्रचार-प्रसार का जन-संकल्प अभियान चला रहे हैं। जिसमें केंद्रीय नेताओं के साथ साथ सारे विधायक भी जगह जगह नुक्कड़ सभाएं कर लोगों से पटना आने का आह्वान कर रहे हैं। 

1 मार्च को पटना में प्रेस वार्ता के माध्यम से भाकपा माले महासचिव ने दावा किया है कि महागठबंधन की जनविश्वास रैली ऐतिहासिक होने वाली है। इसके जरिये बिहार से जो आवाज़ उठेगी उसके राजनीतिक संदेश की अनुगूंज पूरे देश में सुनाई देगी। केंद्र की भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने पर जोर देते हुए आरोप लगाया है कि भाजपा इस क़दर घबराई हुई है कि विपक्ष को कमज़ोर करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती है। उन्होंने कहा, “कुछ को खरीद लो, कुछ को हटा दो। जिसे खरीद या डरा नहीं सकते उन्हें मनोज मंज़िल की तरह झूठे मुक़दमे में फंसाकर जेल की सज़ा करवा दो!”  

कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हाल के समय में नीतीश कुमार का पाला बदल कर फिर से एनडीए गठबंधन में शामिल होने का प्रकरण खुद उनके लिए और उनकी पार्टी जदयू के लिए बहुत फायदे का सौदा नहीं साबित हो रहा है। जो कुछेक विपक्षी विधायक टूटे भी हैं तो उनमें से कोई भी जदयू में शामिल नहीं हुआ है। हर ढंग से भाजपा को ही फायदा मिलता दिख रहा है।  

दूसरी ओर, तेजस्वी यादव की ‘जनविश्वास यात्रा’ के दौरान उमड़ी भीड़ ने दिखा दिया है कि महागठबंधन को लेकर बिहार की जनता कहीं से भी कोई आकर्षण में कमी नहीं आई है बल्कि वह बढ़ती ही जा रही है। हालांकि यह भी सच है कि आने वाला समय ही बतलायेगा कि लोगों और युवाओं की यह उमड़ती भीड़ ‘वोट  में कितना तब्दील’ होती है। 

यह भी सनद रहे कि कल संपन्न हुए बिहार विधानसभा सत्र से विपक्ष की अनुपस्थिति में “अपराध कानून में विशेष संशोधन” जैसे कई जनविरोधी अध्यादेश पारित किये गए हैं जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के हिसाब से एक चिंता का विषय है। जिसके लिए अभी से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि “अपराध कानून संशोधन” जैसे काले अध्यादेशों को लागू करने के नाम पर खुलकर विपक्ष और उसके नेताओं-कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जाएगा। 

सोशल मीडिया में लालू प्रसाद का बयान भी काफी वायरल हो रहा है जिसमें वे बिहार की जनता से अपील कर रहे हैं कि भाइयों और बहनों! 3 मार्च को पटना के गांधी मैदान में जनविश्वास रैली का आयोजन किया गया है। सभी गरीब-गुरबा भाई किसान-मजदूर-नौजवान लोग भारी संख्या में जुटकर केंद्र की भाजपा सरकार को उखाड़ फेकें!

बहरहाल, यह भी देखने वाली बात होगी कि भाजपा और प्रधानमंत्री द्वारा दिए जा रहे “विकसित बिहार" के नारे बनाम महागठबंधन के “हम बनायेंगे बेहतर बिहार” के नारे के बीच मचे सियासी घमासान का क्या परिणाम सामने आता है!    
     

  
   

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