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न्यायालय ने डीयू के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को किया रद्द

शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय को चार महीने के भीतर मामले पर गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश भी दिया।
supreme court

उच्चतम न्यायालय ने माओवादियों से संबंध के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएनसाईबाबा को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को बुधवार को रद्द कर दिया।

शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय को चार महीने के भीतर मामले पर गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश भी दिया।

न्यायमूर्ति एमआरशाह और न्यायमूर्ति सीटीरविकुमार की पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को साईबाबा की अपील और अन्य अभियुक्तों की अपील उसी पीठ के समक्ष नहीं भेजने का निर्देश दियाजिसने उन्हें आरोपमुक्त किया था और मामले की सुनवाई किसी अन्य पीठ द्वारा कराने को कहा।

न्यायालय ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथामअधिनियम (यूएपीएके तहत प्रतिबंधों को मंजूरी देने सहित कानून से संबंधित सभी प्रश्नों पर उच्च न्यायालय द्वारा फैसले किए जाने का विकल्प खुला रहेगा।

शीर्ष अदालत ने 15 अक्टूबर को इस मामले में साईबाबा और अन्य को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी।

शीर्ष अदालत में महाराष्ट्र सरकार का पक्ष वकील अभिकल्प प्रताप सिंह ने रखा और साईबाबा की ओर से वकील आरबसंत पेश हुए।

साईबाबा की 2014 में गिरफ्तारी के बाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल 14 अक्टूबर को उन्हें व अन्य को मामले में बरी कर जेल से रिहा करने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा कि गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथामअधिनियम (यूएपीएके प्रावधानों के तहत मामले में आरोपी के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी देने का आदेश ‘‘कानून की दृष्टि से गलत एवं अवैध’’ था।

अदालत ने साईबाबा के अलावा महेश करीमन तिर्कीपांडु पोरा नरोते (दोनों किसान), हेम केशवदत्त मिश्रा (छात्र), प्रशांत सांगलीकर (पत्रकारऔर विजय तिर्की (मजदूरको भी बरी कर दिया था। विजय तिर्की को 10 साल की जेल की सजा सुनायी गयीजबकि बाकी लोगों को उम्रकैद की सजा दी गयी थी। नरोते का निधन हो चुका है।

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