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तीस्ता और श्रीकुमार के समर्थन में देश भर में हो रहे हैं प्रदर्शन

पत्रकार-सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ और गुजरात के पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार को शनिवार को गिरफ़्तार किया गया था। उन्हें मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 2 जुलाई तक की पुलिस हिरासत में भेज दिया है।
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गुजरात 2002 दंगों के पीड़ितों के साथ लंबे समय तक काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता को गुजरात के मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 2 जुलाई तक की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। तीस्ता को शनिवार 25 जून को मुंबई के जुहू में उनके घर से गिरफ़्तार किया गया था। इसी दिन गुजरात के पूर्व डीजीपी रहे आरबी श्रीकुमार को भी अहमदाबाद से गिरफ़्तार किया गया था। तीस्ता और श्रीकुमार की गिरफ़्तारी का विरोध राजनीतिक संगठनों, नागरिक समाज, छात्र संगठनों ने किया है और सोमवार 27 जून को अलग-अलग जगहों पर उनके समर्थन में प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

बता दें कि शुक्रवार 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए पूर्व लोकसभा सांसद एहसान जाफ़री की पत्नी ज़ाकिया जाफ़री की याचिका को रद्द करते हुए तीस्ता सेतलवाड़ और अन्य पर टिप्पणी की थी। इसके बाद तीस्ता, आरबी श्रीकुमार और जेल में बंद पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को नामज़द करते हुए एफ़आईआर दायर की गई थी। इन तीनों पर सबूतों से छेड़छाड़ करने, झूठे आरोप लगाने और आपराधिक साज़िश करने के मामले दर्ज हैं। बता दें कि ज़ाकिया जाफ़री और तीस्ता सेतलवाड़ ने सुप्रीम कोर्ट में 2002 दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को दी गई क्लीन चिट के विरोध में याचिका दर्ज की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को ख़ारिज कर दिया है।

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दिल्ली के जंतर मंतर पर नागरिक समाज, छात्र संगठनों ने तीस्ता और श्रीकुमार की गिरफ़्तारी के विरोध में प्रदर्शन का ऐलान किया है।

इसी तरह के प्रदर्शन, पटना, लखनऊ, कोलकाता, प्रयागराज, वाराणसी, मुंबई और अन्य जगहों पर किए जा रहे हैं।

सीपीआईएम पोलिट ब्यूरो सदस्य बृंदा करात ने एक वीडियो जारी कर तीस्ता की गिरफ़्तारी की निंदा की है।

इसके साथ ही मुंबई प्रेस क्लब ने भी बयान जारी किया है और कहा है, "बदले की राजनीति का हम विरोध करते हैं। तीस्ता ने लंबे समय से मानवाधिकार के हितों में काम किया है।"

बता दें कि तीस्ता के बारे में गृह मंत्री अमित शाह ने भी 25 जून को दिये इंटरव्यू में बयान दिया है। उन्होंने एएनआई से बात करते हुए तीस्ता और उनके एनजीओ, सिटीज़न्स फॉर जस्टिस एंड पीस पर आरोप लगाया था कि उनके निर्देशों पर ज़ाकिया ने पीएम मोदी को टार्गेट किया था।

गुलबर्ग सोसाइटी में 60 से ज़्यादा लोग रहते थे जो अहमदाबाद में दंगों के वक़्त शरण लेने के लिए पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री के घर आए थे। एहसान साहित 60 से ज़्यादा लोगों की हत्या कर दी थी गई थी। गुजरात के दंगों में एक हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए थे और करीब ढाई हज़ार लोग घायल हुए थे।

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