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गुजरात: लड़कियों की माहवारी की जबरन जांच मामले में प्रधानाचार्य, रेक्टर समेत चार गिरफ़्तार

श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट में लगभग 68 लड़कियों के अंत:वस्त्र जांचे गए थे। यह शर्मनाक घटना तब घटित हुई जब हॉस्टल रेक्टर ने कॉलेज की प्रधानाचार्य से शिकायत की कि कुछ छात्राएं धार्मिक नियमों का उल्लंघन कर रही हैं, जो खासतौर से मासिक धर्म को लेकर बनाए गए हैं।
Gujrat

छात्राओं की माहवारी जांचने के लिए अंडर गारमेंट्स (अंत:वस्त्र) उतारने पर मजबूर करने के मामले में गुजरात के भुज में स्थित श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट  (एसएसजीआई) के प्रधानाचार्य समेत चार लोगों को पुलिस ने सोमवार, 17 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया।

श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट (एसएसजीआई) में लगभग 68 लड़कियों के अंत:वस्त्र जांचे गए थे। यह शर्मनाक घटना तब घटित हुई जब हॉस्टल रेक्टर ने कॉलेज की प्रधानाचार्य से शिकायत की कि कुछ छात्राएं धार्मिक नियमों का उल्लंघन कर रही हैं, जो खासतौर से मासिक धर्म को लेकर बनाए गए हैं।

श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टिट्यूट (एसएसजीआई) के न्यासी प्रवीण पिंडोरिया ने सोमवार को कहा कि प्रधानाचार्य रीता रानींगा, महिला छात्रावास की रेक्टर रमीलाबेन हीरानी और कॉलेज की चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी नैना गोरासिया को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद शनिवार को निलंबित कर दिया गया है।

भुज पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में इन तीनों के अलावा अनीता चौहान नाम की एक महिला को भी आरोपी के तौर पर नामजद किया गया है। वह कॉलेज से संबंध नहीं रखती है।

एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी भाषा को बताया कि उक्त चारों नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 384, 355 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

बता दें कि एसएसजीआई एक स्व-वित्तपोषित कॉलेज है जिसका अपना महिला छात्रावास है। यह संस्थान भुज के स्वामीनारायण मंदिर के एक न्यास द्वारा चलाया जाता है। कॉलेज क्रांतिगुरु श्यामजी कृष्ण वर्मा कच्छ विश्वविद्यालय से संबद्ध है। इस कॉलेज की स्थापना 2012 में हुई थी।

कॉलेज में बीकॉम, बीए और बीएससी के कोर्स कराए जाते हैं। यहां 1500 छात्राएं पढ़ती हैं। जिसमें से सूदूर गांव में रहने वाली 68 लड़कियां कॉलेज कैंपस में रहती हैं। नियम के अनुसार मासिक धर्म के दौरान लड़कियां किचन या मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। यहां तक की वह साथी छात्राओं को भी नहीं छू सकतीं।

इस मामले में हॉस्टल प्रशासन ने प्रधानाचार्य रीता रानिन्गा से शिकायत की कि मासिक धर्म के दौरान कुछ लड़कियां न केवल साथी लड़कियों के साथ घुलमिल रही हैं बल्कि किचन और मंदिर में प्रवेश कर रही हैं। इसके बाद छात्राओं को जबरन कक्षा छोड़ने के लिए कहा गया। फिर उन्हें वॉशरुम ले जाकर अंत: वस्त्र उतारने के लिए कहा गया और महिला अध्यापकों ने छात्राओं की जांच की।

घटना सामने आने के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग के सात सदस्यों के एक दल ने रविवार 16 फरवरी को छात्रावास में रहने वाली उन छात्राओं से मुलाकात की जिन्हें यह पता लगाने के लिए अंत:वस्त्र उतारने पर मजबूर किया गया था कि कहीं उन्हें माहवारी तो नहीं आ रही। इस संबंध में महिला आयोग ने लिखित आश्वासन की बात भी कही है कि आगे से कॉलेज में ऐसी कोई घटना नहीं होगी।

इससे पहले एक छात्रा ने मीडियाकर्मियों को बताया था कि यह घटना 11 फरवरी को एसएसजीआई परिसर में स्थित हॉस्टल में हुई थी। उसने आरोप लगाया कि करीब 60 छात्राओं को महिला कर्मचारी शौचालय ले गईं और वहां यह जांच करने के लिए उनके अंत:वस्त्र उतरवाए गए कि कहीं उन्हें माहवारी तो नहीं हो रही।

जांच के बाद विश्वविद्यालय की प्रभारी कुलपति दर्शना ढोलकिया ने कहा था कि लड़कियों की जांच की गई क्योंकि छात्रावास में माहवारी के दौरान लड़कियों के अन्य रहवासियों के साथ खाना न खाने का नियम है।

इस मामले पर एसएसजीआई की डीन दर्शना ढोलकिया ने कहा था कि मामला हॉस्टल से संबंधित है। इसका विश्वविद्यालय या कॉलेज से कोई लेना-देना नहीं है। सबकुछ लड़कियों की मर्जी से हुआ। किसी से भी जबरदस्ती नहीं की गई। किसी ने उन्हें नहीं छुआ। इसके बावजूद एक जांच टीम गठित की गई है जो मामले की जांच करेगी।

फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया है और महिला पुलिस अधिकारियों को इसका सदस्य बनाया गया है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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