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रामपुर उपचुनाव : कैसे पलटी बाज़ी?

"पहले पुलिस ने डर का माहौल पैदा किया....... मुस्लिम मतदाताओं ने सोचा कि अगर उन्होंने मतदान किया तो उन्हें प्रशासन की  ज़्यादती का सामना करना पड़ेगा।"
Akhilesh yadav
सांकेतिक तस्वीर, साभार: पीटीआई 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए रामपुर उपचुनाव में मात्र 33.94% मतदान हुआ है। इसको लेकर मतदाताओं को कथित तौर पर डराने-धमकाने के ख़िलाफ़ नाराज़गी पैदा हो गई है। इस उपचुनाव के विपरीत, इस साल हुए विधानसभा चुनाव में इसी निर्वाचन क्षेत्र में 56.61% मतदान हुए थे।

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, उपचुनाव के एक दिन बाद बुधवार को राज्य विधानसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने कम मतदान के लिए कथित पुलिस अत्याचार को ज़िम्मेदार ठहराया और सरकार विरोधी नारे लगाए। सपा विधायक लालजी वर्मा और मनोज पांडे ने आरोप लगाया कि पुलिस ने मतदाताओं पर ''लाठियां बरसाई''। वर्मा ने आरोप लगाया कि, “हमें मतदाताओं पर पुलिस अत्याचार के बारे में निर्वाचन क्षेत्र से रिपोर्ट मिल रही थी। यह लोकतंत्र की हत्या करने जैसा है।"

उन्होंने आरोप लगाया कि कम मतदान होना पुलिस के "डर" का संकेत देता है। वर्मा ने आगे कहा, "यह भाजपा सरकार के इशारे पर किया गया था। भाजपा सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या कर रही है।"

सपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि मुस्लिम मतदाताओं, विशेष रूप से बुर्क़ा पहनी महिलाओं को वोट डालने की अनुमति नहीं दी गई और ज़िला प्रशासन द्वारा की गई जांच प्रक्रिया ने उन्हें घर पर रहने को मजबूर किया।

रामपुर के वरिष्ठ पत्रकार तमकीन फ़ैयाज़ के मुताबिक़, 'पहले तो पुलिस ने डर का माहौल पैदा किया और मुस्लिम वोटरों को वोट डालने से रोका। प्रचार के दौरान आज़म ख़ां ने ख़ुद ख़ौफ़ पैदा किया था। रालोद नेता जयंत चौधरी और भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने भी अपने भाषणों में ज़ोर देकर कहा कि प्रशासन मुसलमानों को डराने में कोई क़सर नहीं छोड़ रहा है।

उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया, "मुस्लिम मतदाताओं ने सोचा कि अगर उन्होंने मतदान किया तो उन्हें प्रशासन की ज़्यादती का सामना करना पड़ेगा।"

दूसरा कारण "उम्मीदवारों का ग़लत चयन" था। फ़ैयाज़ ने आगे कहा कि, “आसीम रज़ा शमशी (पंजाबी मुस्लिम) समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जिसकी मुसलमानों के बीच बहुत कम स्वीकार्यता है। शमशी समुदाय की संख्या केवल 3,000 है जबकि ख़ान 80,000 और सैयद लगभग 17,000 हैं। रामपुर सदर सीट से अब तक कोई ग़ैर-पठान उम्मीदवार नहीं जीता है।" रामपुर सदर में 59% मुस्लिम मतदाता हैं और भाजपा इसे कभी नहीं जीत सकती थी।

पिछले चुनावों और कम मतदान के बारे में उन्होंने कहा, “रामपुर में एक साल के भीतर तीन चुनाव- 2022 विधानसभा चुनाव, लोकसभा उपचुनाव और अब विधानसभा उपचुनाव हुए। रामपुर लोकसभा क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से एक रामपुर है। पिछले लोकसभा उपचुनाव के दौरान, रामपुर सदर सीट पर 31.49% मतदान हुआ था। इस बार इसमें 2.5% की वृद्धि हुई है।

फ़ैयाज़ के मुताबिक़, रामपुर सदर सीट में 454 बूथ थे जिनमें अकेले पुराने शहर में 250 से ज़्यादा थे। अधिकांश बूथों पर औसतन 10%-15% मतदान हुआ। बूथ संख्या 92 में सबसे कम 25 वोट गिरे। ये आंकड़े हैरान करने वाले हैं क्योंकि इन बूथों (पुराना रामपुर) पर हमेशा भारी मतदान होता था। उन्होंने कहा, 'अगर हम आंकड़ों की गिनती करें तो पुराने रामपुर की तुलना में हिंदू इलाक़ों में मतदान का प्रतिशत काफ़ी अधिक है।'

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जिस तरह से ज़िला प्रशासन ने उपचुनाव से पहले मुस्लिम इलाक़ों में बैरिकेडिंग की और रात में गश्त बढ़ाई, उससे समुदाय में डर पैदा हो गया।

रामपुर के एक अन्य पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर न्यूज़क्लिक को बताया कि मुस्लिम महिलाओं को "वोट देने की अनुमति नहीं थी। मैं रिपोर्ट करने के लिए पुराने रामपुर के कई इलाक़ों में गया और महिलाओं को दूर किया जा रहा था और वोट देने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस चुनाव में धांधली हुई थी। आज़म ख़ान के उम्मीदवार को हराने के लिए पूरी सरकारी मशीनरी ने काम किया।"

पत्रकार ने कहा कि, आसीम रज़ा “21वें राउंड तक 9,000 से अधिक वोटों के अंतर से आगे चल रहे थे, लेकिन अचानक रिपोर्ट्स आना बंद हो गई और मीडिया द्वारा जानकारी नहीं दी गई। दो घंटे के बाद अपडेट आया कि आकाश सक्सेना 28वें राउंड में 10,000 वोटों से आगे चल रहे हैं और उन्हें विजेता घोषित किया गया।”

बुधवार को पार्टी की एक विज्ञप्ति के हवाले से पीटीआई ने रिपोर्ट किया कि, सपा नेता राम गोपाल यादव ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को पत्र लिखकर उपचुनाव रद्द करने और दोबारा चुनाव कराने की मांग की है। पार्टी की एक विज्ञप्ति के अनुसार, इस पत्र में उन्होंने राज्य प्रशासन पर बड़े पैमाने पर धांधली करने और मतदाताओं को मतदान से रोकने का आरोप लगाया और सबूत के तौर पर "पुलिस क्रूरता" की तस्वीरें भी संलग्न कीं।

यहां तक कि सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी फिर से मतदान कराने की मांग कर चुके हैं। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को वकील सुलेमान मोहम्मद ख़ान ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की जिसमें आरोप लगाया गया कि पुलिस ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में मतदाताओं को मतदान से "रोकने" के लिए हर तरीक़ों का इस्तेमाल किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने मतदाताओं को पीटा और हज़ारों लोगों को उनके घरों में बंद कर दिया गया।

ख़ान ने न्यूज़क्लिक को बताया, “सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को एक स्थानीय अदालत में सूचीबद्ध करने के लिए कहा क्योंकि ऐसी कोई जल्दबाज़ी नहीं है। हमने ऐसा ही किया है और उम्मीद है कि दिसंबर के आख़िरी सप्ताह में इसका फ़ैसला आएगा।"

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

Samajwadi Party Alleges Police Atrocity, Rigging After Losing Rampur

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