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मोरक्को में "द डेमोक्रेटिक वे" पर हो रही दमनकारी कार्रवाई

मोरक्को में वामपंथी संगठन द डेमोक्रेटिक वे को एक बेहद अहम कांग्रेस करने से रोक दिया गया है। लंबे समय से राज्य द्वारा इस संगठन के ख़िलाफ़ हो रहे दमन की घटनाओं में यह हालिया घटना है।
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4 सितंबर 2021 को "द डेमोक्रेटिक वे" ने कैसाब्लांका में एक जुलूस निकाला था। यह जुलूस संगठन ने चुनाव बॉयकॉट करने के अभियान के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए निकाला था। फोटो: (डेमोक्रेटिक वे फेसबुक)

मोरक्को के गृह मंत्रालय ने सीधी कार्रवाई करते हुए वामपंथी संगठन "द डेमोक्रेटिक वे" को अपनी पांचवीं राष्ट्रीय कांग्रेस के आयोजन से रोक दिया। यह आयोजन कैसाब्लांका की सरकारी हसन -II यूनिवर्सिटी में होना था। 28 जनवरी को आयोजित होने जा रही इस कांग्रेस में संगठन एक नई स्वतंत्र कामगार वर्ग की पार्टी के गठन का ऐलान करने वाला था। इसके तहत समाज के अलग अलग तबकों से हजारों सदस्यों को एकत्रित किया जाता।

संगठन के महासचिव अब्दल्लाह एल हारिफ ने पीपल्स डिस्पैच को बताया कि उनके कार्यक्रम को रोका जाना "सत्ता द्वारा प्रताड़ना और दमन है।" उन्होंने कहा कि ऐसा मोरक्को सरकार के खिलाफ हमारी क्रांतिकारी राजनीतिक स्थिति, मानवाधिकार हनन के खिलाफ हमारे संघर्ष और आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक लोकप्रिय मांगों के लिए हमारे जूझने के चलते हो रहा है।

बढ़ते दामों की प्रतिक्रिया में द डेमोक्रेटिक वे ने 15 जनवरी को एक अंतरराष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन किया था, जिसका शीर्षक "इंटरनेशनल सॉलिडारिटी: पर्सपेक्टिव, ऑब्जेक्टिव एंड द टूल्स ऑफ यूनाइटेड एंटी इंपरियालिस्ट स्ट्रगल" था। इस कार्यक्रम में दुनियाभर के सामाजिक और राजनीतिक नेताओं ने हिस्सा लिया था। 

भाग लेने वाले नेताओं में ब्राजील की भूमिहीन ग्रामीण कामगार आंदोलन (MST) के जोआओ पेड्रो स्टेडाइल, दक्षिण अफ्रीका के धातु कामगार राष्ट्रीय संघ (NUMSA) के इरविन जिम, पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन के मरयम अबू दाक़ा, पार्टी फॉर सोशलिज्म एंड लिबरेशन की कार्ला रायस और ट्राई कॉन्टिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के विजय प्रसाद के अलावा दूसरे जाने माने लोगों ने हिस्सा लिया था। कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय एकजुटता की जरूरत पर अलग अलग विचार साझा किए गए और द डेमोक्रेटिक वे को समर्थन दिया गया।

मोरक्को के सत्ताधारियों के लिए यह संगठन (जिसे वहां महकझेन नाम से जाना जाता है) शुरू से ही आंख की किरकिरी रहा है। इस संगठन के सह संस्थापक में से एक एल हारिफ को उनकी पिछली राजनीतिक गतिविधियों के चलते 14 साल जेल में रहना पड़ा था।उन्होंने कहा, "हमारे संगठन पर इसकी स्थापना के बाद से ही प्रतिबंध लगते रहे हैं और हमें एक कानूनी संस्था होने के बुनियादी अधिकार से भी वंचित किया गया है।

दो साल पहले गृह मंत्रालय ने एक बैठक में द डेमोक्रेटिक वे को निशाने पर लिया था। इस बैठक में उच्च अधिकारी शामिल हुए थे। बाद में इसमें हुई चर्चा संगठन के साथ साझा की गई थी। संगठन की खास तौर पर सहारवी लोगों के आत्म पहचान के अधिकार की वकालत करने के लिए और एक "इस्लामिक संगठन के साथ अच्छे संबंध" बनाए रखने के लिए निंदा की गई थी। गृह मंत्रालय ने तो संगठन को पूरी तरह प्रतिबंधित करने की तक धमकी दी थी।

हारिफ बताते हैं कि इस बैठक के बाद संगठन पर प्रतिबंध और कड़े कर दिए गए। संगठन को सार्वजानिक जगहों और सार्वजनिक मीडिया तक पहुंच की भी कई बार अनुमति नहीं दी गई। संगठन की युवा इकाई को 2019 में उनकी राष्ट्रीय कांग्रेस के विमोचन सत्र के लिए मेहदी बेन बारका सार्वजानिक कक्ष देने से भी इंकार कर दिया गया। जबकि इसके लिए सारी कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं का पालन किया गया था। उनके कुछ ऑनलाइन उपकरणों पर भी प्रतिबंध लगाया गया। जैसे फेसबुक पर उनकी लाइव ब्रॉडकास्ट और प्रोफ़ाइल को सस्पेंड कर दिया गया।

इतना ही नहीं, पूरे मोरक्को के शहरों और गांवों में उनकी स्थानीय इकाइयों को तब बाधा पहुंचाई गई जब वे "आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन (पंजीयन कराने के लिए दस्तावेज की एक जरूरी अनिवार्यता)" दायर करने की कोशिश कर रहे थे।

यह हमले सिर्फ संगठन के ढांचे तक सीमित नहीं है। ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जब स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर फैक्ट्री और फार्म मालिकों ने डेमोक्रेटिक वे से जुड़े लोगों को ब्लैक लिस्ट किया। हारिफ कहते हैं "वे हमारे उन कार्यकर्ताओं को रोजगार देने से इंकार करते हैं, जो उनकी सूची में शामिल हैं। यह संगठन के लोगों पर अवैधानिक हमला है।"

नियोक्ताओं द्वारा सदस्यों के "काम के अधिकार" पर दमित कार्रवाई के अलावा, संगठन के नेताओं और सदस्यों पर राज्य द्वारा डर और उत्पीड़न का अभियान चलाया गया है। यह उत्पीड़न तब चरम पर पहुंच गया, जब संगठन ने 8 सितंबर 2021 को होने वाले चुनाव का बॉयकॉट करने का अभियान चलाया।

चुनाव बॉयकॉट करने के अभियान का बेहद दमन किया गया। उप महासचिव के मुताबिक बॉयकॉट करने का फैसला इसलिए लिया गया था, क्योंकि "कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका की सारी शक्तियां राजा के हाथ में है। सरकार और संसद के पास असल शक्तियां हैं ही नहीं। चुनाव में हिस्सा लेने का मतलब है कि आप कठपुतली का किरदार निभा रहे हैं।"

चुनावों के पहले डेमोक्रेटिक वे के सदस्यों ने कैसाब्लांका, टेंगियर, मुहम्मदी और केनित्रा जैसे शहरों में जागरूकता फैलाने और अलोकतांत्रिक प्रक्रिया की निन्दा करने के लिए अभियान चलाया।

राज्य ने इन प्रदर्शनों का क्रूरता से दमन किया। संगठन के सदस्यों को पीटा गया, गिरफ्तार किया गया और उनकी निजी जानकारी को रिकॉर्ड किया गया। डेमोक्रेटिक वे ने बताया कि संगठन के महासचिव मुस्तफा ब्रह्मा और इसके सदस्यों ज़हरा अस्लाफ, यासीन जाउहिर, चाफिक बहमद, मौलाजिम लकदर और दूसरे सदस्यों को हिरासत में लिया गया। मोरक्को मानवाधिकार संगठन के कुछ सदस्यों को भी प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिया गया।

संगठन पर उनकी पार्टी के बैनर और झंडे के सार्वजनिक इस्तेमाल पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया गया था। फिर प्रदर्शनों के दौरान इन प्रतिबंधों को और भी ज्यादा हिंसा के साथ लागू किया गया।

उस वक़्त डेमोक्रेटिक वे ने कहा कि ना तो उनका प्रदर्शन और ना ही उनका अभियान कानून का उल्लघंन है। इस तरह तब हुई गिरफ्तारियां अवैधानिक थीं। उन्होंने कहा कि यह दमन उन्हें डराने और बॉयकॉट अभियान को कुचलने के लिए किया गया था।

डेमोक्रेटिक वे दुनिया में जिन संगठनों और व्यक्तियों के साथ काम करता है, उनके प्रतिनिधियों से भी मिलने से संगठन को रोका गया। फिलीस्तीन, जांबिया समाजवादी पार्टी और दक्षिण अफ्रीका की सोशलिस्ट रेवोल्यूशनरी वर्कर्स पार्टी के कार्यकर्ताओं को मोरक्को में संगठन के सदस्यों से मिलने के लिए वीज़ा नहीं दिया गया।

लेकिन इन तमाम दिक्कतों के बावजूद, डेमोक्रेटिक वे यह साफ तौर पर मानता है कि उनके ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई डर और सत्ता की प्रबल विरोधी को कुचलने की जरूरत के चलते की गई हैं।

एल हारिफ कहते हैं कि यह वह तरीके हैं जो वे दशकों से राजशाही को बरकरार रखने, पश्चिमी सहारा के ऊपर नियंत्रण करने और लोकतांत्रिक समाज की मांग करने वाली आवाजों के दमन के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। द डेमोक्रेटिक वे का कहना है कि वैश्विक जन आंदोलनों की मदद कामगार वर्ग की पार्टी बनाने और मोरक्को के लोगों की मानवीय, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक अधिकारों की रक्षा का काम दोगुनी ताकत से करेंगे।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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