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दिल्ली नागरिक निकायों में वेतन में देरी, क़रीब 1 लाख कर्मचारी हड़ताल पर

जबकि तीनों नागरिक निकायों के कर्मचारी विरोध में शामिल हैं, वहीं उत्तरी दिल्ली नगर निगम में हालत सबसे ख़स्ताहाल नज़र आ रही है।
दिल्ली नागरिक निकायों

दिल्ली के तीनों नगर निगमों - उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली में कार्यरत करीब एक लाख कर्मचारियों ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के साथ मिलकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है उनका आरोप है कि नगर निकाय उनकी बकाया धनराशि का भुगतान करने में सौतेला व्यवहार कर रही हैं

मंगलवार, 10 नवम्बर के दिन को कर्मचारियों द्वारा काम से हड़ताल पर जाने के दूसरे दिन के तौर पर चिन्हित करता है, जिसमें इंजीनियरों, शिक्षकों, बागवानी से जुड़े श्रमिकों एवं डी श्रेणी के श्रमिकों के एक वर्ग के साथ-साथ प्रशासनिक विभाग से जुड़े कर्मचारी और पेंशनधारी भी शामिल हैं इस हड़ताल का आह्वान एमसीडी कर्मचारी संघ के परिसंघ द्वारा किया गया है, जो कि इन तीनों नगर निगमों के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक उपरी संयोजन के तौर पर है 

मंगलवार के दिन एमसीडी सिविक सेंटर के समक्ष एक प्रदर्शन का आयोजन किया गया था, जिसमें अनेकों प्रदर्शनकारियों की भागीदारी देखने को मिली थी इसके अलावा नगर निकायों के विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालयों एवं काम की जगहों पर भी कई कर्मचारियों द्वारा विरोध प्रदर्शन आयोजित किये गए थे, जिन्होंने अपने काम पर नहीं जाने का फैसला किया था

परिसंघ के संयोजक ए पी खान ने न्यूज़क्लिक से बात करने के दौरान बताया कि लगभग सभी आंदोलनरत श्रमिकों को अभी तक सिर्फ जुलाई माह तक का ही वेतन मिला है, जबकि पेंशनधारियों को पिछले छह महीनों से भुगतान नहीं किया गया है उनका कहना था “हम पिछले कई महीनों से अपने विरोध को दर्ज कर रहे हैं अब जबकि दिवाली का समय बेहद करीब है, लेकिन हमारे मुद्दे अभी भी जस के तस हैं ऐसी स्थिति में हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर कर दिए गए हैं

खान ने आगे बताया कि पिछले सप्ताह शनिवार को इस सिलसिले में तीनों नगर निगमों के महापौरों के साथ बैठक हुई थी, जो कि किसी भी ठोस नतीजे तक पहुँच पाने में विफल रही “हमारी शिकायतों के निवारण के लिए वे 30 नवंबर तक का समय चाहते थे लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, ऐसा कर पाना संभव नहीं था” खान ने बताया

वर्तमान में तीनों नागरिक निकायों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का कब्जा है

उनका तर्क था कि जबकि सारे नागरिक निकायों के कर्मचारी इस विरोध में शामिल हैं, लेकिन उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) की हालत सबसे ज्यादा “बदतर” स्थिति में है इस साल जून की शुरुआत में ही एनडीएमसी ने दिल्ली उच्च न्यायालय को, जो उस दौरान शिक्षकों के वेतन के मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी, को सूचित किया था कि उसकी कुल लंबित देनदारी 1,000 करोड़ रूपये से अधिक की हो चुकी है, जो कि नागरिक निकाय के इतिहास में पहली बार देखने को मिली है

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए उत्तरी डीएमसी के महापौर जय प्रकाश ने इस बाबत बताया कि सभी वर्गों के कुल 55,000 कर्मचारियों में से 40,000 तक को सितम्बर माह तक का वेतन वितरित किया जा चुका है उन्होंने बताया कि “इनमें डाक्टरों, नर्सों, सहायक चिकित्सा कर्मियों और सफाई कर्मचारी शामिल हैं” हालाँकि उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि उत्तरी डीएमसी के तहत कार्यरत शिक्षकों के जुलाई माह के वेतन को हाल ही में भुगतान किया जा सका है

यही वजह है कि जिन लोगों को सितम्बर तक की तनख्वाह मिल चुकी है, वे इस अनिश्चितकालीन हड़ताल की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले रहे हैं

मंगलवार की दोपहर को न्यूज़क्लिक से बात करते हुए प्रकाश ने सूचित किया है कि उन्होंने हड़ताल को वापस लेने का अनुरोध करने के लिए आज दोपहर 3 बजे खान को बैठक के लिए आमंत्रित किया है उनका कहना था “हड़ताल वापस लिए जाने के बाद, हम (उत्तरी डीएमसी) अवकाश प्राप्त कर्मचारियों की दो महीने की बकाया पेंशन राशि के साथ-साथ बाकी के बचे 10,000-12,000 कर्मचारियों के जुलाई महीने की तनख्वाह भी जारी कर देंगे हमने श्रमिकों को इस बारे में भी आश्वस्त कर रखा है कि दिवाली के बाद उनके अगस्त माह के वेतन को भी चुकता कर दिया जायेगा

इसी प्रकार से बाकी के दो नगर निकायों के महापौरों ने भी कथित तौर पर इस बात का दावा किया है कि उनकी ओर से कर्मचारियों के एक वर्ग का सितम्बर माह तक का बकाया चुका दिया गया है

अभी कुछ दिनों पहले ही एनडीएमसी एवं एनडीएमसी मेडिकल कॉलेज द्वारा संचालित हिन्दू राव अस्पताल के रेजिडेंट डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी तनख्वाहों का भुगतान न किये जाने की सूरत में हड़ताल कर दी थी इसने डीएमसी के अंतर्गत आने वाले बाकी के स्वास्थ्य केन्द्रों में भी तारतम्य स्थापित करने में मदद पहुँचाई है 23 अक्टूबर को शुरू होने वाली यह हड़ताल 28 अक्टूबर को जाकर इसी शर्त पर समाप्त की जा सकी थी, कि एनडीएमसी के अंतर्गत आने वाले सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों के डाक्टरों को इस साल के सितम्बर माह तक का वेतन चुकता कर दिया जाएगा

कर्मचारियों की हड़ताल का नेतृत्व कर रहे परिसंघ के कार्यकारी सदस्य दीपक शर्मा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि हालाँकि वर्तमान घटनाक्रम स्वागत योग्य है, लेकिन “ऐसा महसूस हुआ कि जिन कर्मचारियों की तनख्वाह में अभी भी देरी हो रही है, कहीं न कहीं उनके प्रति सौतेला व्यवहार अपनाया गया

इसी प्रकार के आरोप खान ने भी लगाए हैं, कि इस बात की संभावना है कि “डाक्टरों की हड़ताल के चलते दबाव में आने के बाद” नगर निगम के अधिकारियों ने उस मद को “डाइवर्ट” करने का काम किया हो, जिसे अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने के लिए रखा गया था।”

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और सुब्रमणियम प्रसाद की पीठ ने सितम्बर में तीनों निगमों को निर्देशित किया था कि वे सभी संवर्गों के कर्मचारियों के बीच में धनराशि के समान वितरण को लेकर एक नीति तैयार करें और यही वजह है कि, जैसा कि दीपक शर्मा कहते हैं कि हडताली कर्मचारी सिर्फ अपने लंबित वेतन की माँग पर ही नहीं अड़े हुए हैं बल्कि वे नगर निगमों से उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करने को लेकर भी जोर दे रहे हैं

आम आदमी पार्टी (आप) के डीएमसी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने बीजेपी पर “1.25 लाख” डीएमसी कर्मचारियों की तनख्वाहों में देरी करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि “दिल्ली में एमसीडी (नगर निगमों) को पिछले 14 वर्षों से बीजेपी ही चला रही है वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार सिर्फ वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार ही हो सकते हैं, जहाँ नागरिक निकाय के पास अपने कर्मचारियों तक को वेतन का भुगतान करने के लिए पैसे नहीं हैं

मंगलवार को आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में आप नेता ने डीएमसी के उपर 221 करोड़ रुपयों तक के फण्ड को हस्तांतरण करने का आरोप लगाया है पाठक के अनुसार इस फण्ड को “कैशलेस बीमा” पालिसी के एक हिस्से के तौर पर 34,000 सेवानिवृत्त कर्मचारियों से इकट्ठा किया गया था, जिसका उद्देश्य इसके लाभार्थियों को निजी अस्पतालों में मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराना था

इस बीच अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षा संघ (एडीपीएसएस) के उपाध्यक्ष पवन बंसल ने दुःख जताते हुए कहा है कि दिवाली से पहले जुलाई माह का वेतन दे देना ही काफी नहीं है। उनके अनुसार “जो रकम अभी भुगतान के तौर पर हासिल होगी, उसका अधिकांश हिस्सा तो पिछले कर्जों को चुकाने, स्कूल फीस और किराया चुकाने सहित अन्य कामों पर ही चुक जाने वाला है” उन्होंने कहा कि नगर निकाय को चाहिए कि वह “कम से कम” सितम्बर तक के वेतन को चुकता कर दे 

डीएमसी द्वारा संचालित रोहिणी के एक स्कूल में बतौर एक अध्यापक के तौर पर कार्यरत बंसल ने न्यूज़क्लिक के साथ फोन पर बात करने के दौरान कहा कि यद्यपि उनका संगठन इस हड़ताल में भागीदारी नहीं कर रहा है, लेकिन आंदोलनरत कर्मचारियों को उनकी ओर से “नैतिक समर्थन” दिया जा रहा है याचिकाकर्ताओं में एडीपीएसएस भी था जिसने इससे पूर्व एनडीएमसी से सम्बद्ध करीब 9,000 शिक्षकों की बकाया राशि को लेकर उच्च न्यायायल का दरवाजा खटखटाया था

उनका कहना था कि कम से कम नियत समय पर वेतन का भुगतान किये जाने की मांग को पूरा किया जाना चाहिए, खास तौर पर यह देखते हुए कि अभी तक स्कूलों का नियमित कामकाज प्रभावित नहीं हुआ है

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