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सनाउल्ला मुद्दे पर राज्यसभा में उठी जवाबदेही तय करने की मांग

‘‘30 साल तक देश की सेवा करने वाले फौजी को अगर पुलिस की हिरासत में भेजा जा सकता है तो आम आदमी की क्या स्थिति होगी, यह कल्पना से परे है।’’
(फाइल फोटो)

राज्यसभा में कांग्रेस के एक सदस्य ने करगिल युद्ध के नायक और राष्ट्रपति पदक से सम्मानित मोहम्मद सनाउल्ला को पिछले दिनों विदेशी नागरिक घोषित किए जाने के बाद गिरफ्तार कर हिरासत केंद्र में भेजे जाने का मुद्दा उठाते हुए शुक्रवार को मांग की कि इस पूरे घटनाक्रम की जांच की जानी चाहिए और जवाबदेही भी तय की जानी चाहिए।

उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस के संजय सिंह ने कहा ‘‘मोहम्मद सनाउल्ला ने 30 साल तक देश की सेवा की। देश की सेना में अपनी सेवाएं देने वाले सनाउल्ला ने न केवल करगिल युद्ध में दुश्मन के दांत खट्टे किए थे बल्कि उनको राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किया गया है। ऐसे व्यक्ति को विदेशी नागरिक घोषित किया गया और गुवाहाटी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर गोलपाड़ा हिरासत केंद्र भेज दिया। उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज किया गया।’’

उन्होंने कहा ‘‘30 साल तक देश की सेवा करने वाले फौजी को अगर पुलिस की हिरासत में भेजा जा सकता है तो आम आदमी की क्या स्थिति होगी, यह कल्पना से परे है।’’

सिंह ने कहा ‘‘इस बात की जांच की जानी चाहिए कि जब सनाउल्ला ने अपने दस्तावेज पेश किए तो उन पर तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की गई ?’’

उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम की जांच करने तथा इसके लिए जवाबदेही तय करने की मांग भी की।

विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।

आपको बता दें कि 2008 में सनाउल्लाह का नाम मतदाताओं की सूची में ‘डी’ (संदिग्ध) मतदाता के रूप में दर्ज किया गया था। इसके बाद कामरूप जिले में विदेशियों के लिए बने न्यायाधिकरण ने इसी जिले के बोको पुलिस थाना क्षेत्र के गांव कोलोहिकाश के निवासी मोहम्मद सनाउल्लाह को ‘विदेशी’ घोषित कर दिया।

सनाउल्लाह ने भारतीय सेना में 1987 से 2017 तक इलेक्ट्रोनिक एंड मैकेनिकल इंजीनियर विभाग में सेवाएं दी हैं और उन्हें 2014 में राष्ट्रपति की तरफ से पदक भी मिल चुका है। वह बीते साल से सीमा पुलिस में बतौर सहायक उपनिरीक्षक के पद पर कार्यरत थे।

तीन दशक तक सेना की सेवाएं देने की वजह से जनदबाव बना। मामला हाईकोर्ट पहुंचा और 8 जून को गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश पर मोहम्मद सनाउल्लाह को असम के डिटेंशन सेंटर से जमानत पर छोड़ दिया गया। अपनी रिहाई के बाद सनाउल्लाह ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में अपनी परेशानियां भी साझा कीं।

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मोहम्मद सनाउल्लाह के जरिये छिड़ी बहस बहुतों के लिए इंसाफ का दरवाजा खटखटा रही है। इसे निश्चित तौर पर सुना और समझा जाना चाहिए।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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