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उमर खालिद पर कांस्टीट्यूशन कल्ब के बाहर जानलेवा हमला

हमला उस दौरान हुआ जब उमर कांस्टीट्यूशन क्लब में 'ख़ौफ से आज़ादी' नामक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुँचे थे।
umar khalid

दिल्ली के कांस्टीट्यूशन कल्ब के मुख्य द्वार के बाहर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्दालय के छात्र नेता उमर खालिद पर किसी अज्ञात शख्स ने जानलेवा हमला कर दिया। प्रारंभिक सूचना के आधार पर रफी मार्ग स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब के बाहर किसी व्यक्ति ने उमर खालिद पर गोली चला दी। हाँलाकि इस फायरिंग से उमर बाला-बाल बच गए और उन्हे किसी तरह की कोई क्षति नहीं पहूँची हैं।

दरअसल यह हमला उस दौरान हुआ जब उमर कांस्टीट्यूशन क्लब में  ’ख़ौफ से आज़ादी’ नामक कार्यक्रम में हिस्सा लेने गए थे, जिसका आयोजन ’यूनाइटेड अगेंस्ट हेट’ संगठन ने किया था। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और रोहित वेमुला की माँ को भी आमंत्रित किया गया था।

फायरिंग करने वाले व्यक्ति को उमर के साथियों ने पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह मौके से भागने में कामयाब रहा। खबरों के मुताबिक खालिद पर हमला उस वक्त हुआ जब उमर और उनके साथी कांस्टीट्यूशन क्लब के पास ही मौजूद एक चाय की  दुकान के पास खड़े थे। तभी एक सफेद शर्ट पहने व्यक्ति ने उमर के साथ धक्का मुक्कि की जिसके कारण वह ज़मीन पर गिर गए और हमलावर ने उमर पर गोली चला दी ज़मीन पर गिरने के कारण हमलावर का निशाना चूँक गया।

उमर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ’’पिछले दो सालों से लगातार मीडिया और सरकार की ट्रोल आर्मी के द्वारा उन लोगों के खिलाफ नफरत का  माहौल बनाने की कोशिश हो रही है जो सरकार के विरुद्घ अपनी राय रखते हैं। जिस वक्त मुझ पर बंदूक की नोक थी मुझे गौरी लंकेश की तरह महसूस हो रहा था, अगर मेरे साथी मेरे साथ नहीं  होते तो आज मैं ज़िदा नहीं होता।’’

वहीं इस घटना की हरतरफ  निंदा हो रही है। गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवानी ने ट्वीटर पर वीडियो साझा करते हुए कहा है कि ’’इस हमले को संघ परिवार के अलावा और कोई अंजाम नहीं दे सकता, यह वही लोग है जिन्होने गौरी लंकेश, दाबोलकर और पंसारे को मारा था।

पत्रकार सागरिका घोष ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि यह टी.वी एंकरों के द्वारा फैलाई जा रही नफरत का नतीजा है कि लोग सड़क पर उतर कर एक दूसरे को मार देना चाहते हैं।

ऐसे  में सवाल यह उठता है कि 15 अगस्त से दो दिन पूर्व जब पूरी दिल्ली को छावनी में तबदील कर दिया गया हो, उस दौरान संसद से कुछ दूर कोई व्यक्ति बंदूक के साथ कैसे पहूँचा ?

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