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यूपी: देश के सबसे बड़े राज्य के ‘स्मार्ट युवा’ सड़कों पर प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?

एक ओर रैलियों में बीजेपी की योगी सरकार अपनी उपलब्धियां गिनवा रही है तो वहीं दूसरी ओर चुनाव के मुहाने पर खड़े उत्तर प्रदेश के युवाओं ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
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image credit- Social media

"देश में आबादी के लिहाज से सबसे बड़े राज्य के युवा अब स्मार्ट बनेंगे"

ये लाइनें देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाषण की हैं। सीएम योगी शुक्रवार, 7 जनवरी को गोरखपुर के भरोहिया विकास खंड में राष्ट्र संत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की प्रतिमा का अनावरण और विद्यार्थियों को मुफ्त टैबलेट-स्मार्ट फोन वितरण के कार्यक्रम में पहुंचे थे। उन्होंने यहां कहा कि सरकार युवाओं की पढ़ाईप्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए ऐसे इंतजाम सुनिश्चित कर रही है जिससे उन्हें बाहर जाने की नौबत न आए। हालांकि इन सब के बीच सीएम योगी उन युवाओं को भूल गए जो सरकारी नौकरी की भर्ती परीक्षाओं को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

बता दें कि विधानसभा चुनाव 2022 के ठीक पहले यूपी के लाखों युवा सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैंताली-थाली पीट रहे हैं। पिछले कई महीनों से शिक्षक भर्ती की मांग कर रहे कुछ युवाओं ने इसकी शुरुआत की और फिर इसमें अन्य प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र भी जुड़ने लगे। प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि अब आश्वासन से कुछ नहीं होगाभर्ती नहीं तो वोट नहीं। इनकी मांग है कि आचार संहिता से पहले सरकार ऑफिसियल नोटिफिकेशन जारी करे। साथ ही प्रदेश में समय से परीक्षा हो और नियुक्ति पत्र मिले।

क्या है पूरा मामला?

शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर प्रदेश के युवा कोरोना कहर के बीच भी कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं। बीते जनवरी को प्रयागराज शहर के मोहल्ला सलोरी में आधी रात कुछ ताली-थाली की आवाज गूंजने लगी। जनवरी की ठंड में आधी रात को ताली-थाली बजा रहे ये युवा उत्तर प्रदेश सरकार से भर्तियों को नियमित करने की मांग कर रहे थे। घरों से निकलकर ये आवाज धीरे-धीरे सड़कों की ओर बढ़ने लगी और फिर युवाओं के मार्च में बदल गई।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज तक पहुंचते-पहुंचते ये मार्च हजारों छात्रों की सभा में तब्दील हो गई। इसमें शिक्षक भर्तीलेखपाल भर्तीग्राम विकास भर्ती के अभ्यर्थी सब शामिल थे। जनवरी को प्रयागराज के बाद जनवरी को अयोध्या में युवा ताली-थाली बजाते सड़क पर उतर गए। सभी की यही मांग है कि सरकार भर्ती और नियुक्ति समय से करे।

प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि पिछले तीन साल से वे उत्तर प्रदेश में नई शिक्षक भर्ती की मांग कर रहे हैंलेकिन सरकार इसे लगातार नजरअंदाज कर रही है। 69 हजार शिक्षक भर्ती की सुनवाई के दौरान भी उत्तर प्रदेश सरकार ने मई 2020 में खुद सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर स्वीकार किया था कि प्राथमिक शिक्षकों के 51 हजार पद खाली हैं। बावजूद इसके इन रिक्तियों को भरने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। बीटीसी ट्रेनिंग पूरी कर चुके अभ्यर्थी इन पदों को भरने की मांग कर रहे हैं।

शिक्षक भर्ती परीक्षा: 'योगी सरकार में नहीं आई कोई नई वैकेंसी'

बीटीसी प्रशिक्षु अजय पांडे ने न्यूज़क्लिक को बताया कि पिछले तीन साल से हम लोग नई शिक्षक भर्ती की मांग कर रहे हैं। बीते जून से अब तक हम लोग कई बार इलाहाबाद से लेकर लखनऊ तक प्रदर्शन कर चुके हैं। पीएनपीएससीईआरटीविधान भवन से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक हजारों की संख्या में प्रशिक्षु शिक्षक प्रदर्शन कर चुके हैं। लेकिन कहीं कोई सुनवाई ही नहीं होती। अब हम लोगों ने साफ मन बना लिया है कि अगर सरकार आचार संहिता से पहले ऑफिशियल नोटिफिकेशन जारी नहीं करती तो हम वोट नहीं देंगे।

एक अन्य अभ्यर्थी मधु कहती हैं कि योगी सरकार में कोई नई वैकेंसी नहीं आई। जबकि हर साल करीब लाख प्रशिक्षु ट्रेनिंग लेकर तैयार हो रहे हैं। जब आपको वैकेंसी निकालनी ही नहीं है तो फिर ये सब सपने क्यों दिखा रहे हैं?

मधु के मुताबिक पिछली अखिलेश यादव की सरकार में शिक्षामित्रों को बिना पात्रता परीक्षा कराए समायोजित कर लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद समायोजन को रद्द कर दिया गया था। जिसके बाद सरकार ने दो बार में उन्हीं लाख 37 हजार रिक्त पदों को भरने के लिए वैकेंसी निकाली। पहली वैकेंसी 68500 पदों के लिए निकाली गईजिसमें करीब 22 हजार पद तो खाली ही रह गए थे। और दूसरी 69000 पदों के लिए भर्ती आईजो विवादों में ही रह गई। इसके अलावा कोई और वैकेंसी नहीं निकाली गई है।

बता दें कि शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर पिछले 30 दिनों से लखनऊ के ईको गार्डन में भी बीटीसी प्रशिक्षु धरने पर बैठे हैं। जनवरी को इन प्रशिक्षुओं का एक प्रतिनिधिमंडल बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी से मिलने उनके निर्वाचन क्षेत्र इटवा गया था। लेकिन वहां भी प्रशिक्षुओं को निराशा ही हाथ लगी।

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ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा का निरस्तीकरण

शिक्षक भर्ती परीक्षा की तरह ही ग्राम विकास अधिकारी भर्ती भी सरकार के लिए किरकिरी ही साबित हुई। यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 22 और 23 दिसम्बर 2018 को ग्राम विकास अधिकारीग्राम पंचायत अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षक के पदों पर परीक्षा आयोजित की थी।16 जिलों के 572 परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा हुई। ख़बरों के मुताबिक़ क़रीब लाख अभ्यार्थियों ने इस परीक्षा में हिस्सा लियाजबकि 1953 ही पद थे। इस लिखित परीक्षा का रिजल्ट आया अगस्त 2019 में और रिजल्ट आने के अगले ही दिन योगी सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री राजेंद्र सिंह मोती ने सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिख परीक्षा में धांधली की शिकायत की।

इस बार कटघरे में बेसिक शिक्षा आयोग की जगह यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग था। मंत्री जी की शिकायत के बाद आयोग ने प्रारंभिक जांच कराई। बाद में जांच SIT को सौंप दी गई। SIT जांच में पता चला कि परीक्षा के बाद ओएमआर शीट में गड़बड़ी की गई थी। धांधली करने वाले लोग आयोग के स्कैनिंग रूम से कॉपी निकाल कर बाहर ले गए और उसमें आंसर भरकर वापस रख गए थे। इस मामले में 11 लोग गिरफ्तार किए गए। और मार्च 2021 में UPSSSC ने ग्रामीण विकास अधिकारीग्राम पंचायत अधिकारी की भर्ती के लिए आयोजित हुई परीक्षा को रद्द कर दिया। साल तक छात्र भर्ती का रिजल्ट जारी करने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे। अब परीक्षा ही रद्द हो गई तो दोबारा परीक्षा कराने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।

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लेखपाल भर्ती का फ़र्ज़ी मामला

लेखपाल भर्ती के बवाल पर तो योगी सरकार की खूब जगहंसाई हुई। 10 मार्च 2021 को ट्विटर पर योगी आदित्यनाथ के ऑफिस की ओर से एक वीडियो डाला गया। इसमें लेखपाल के पद पर कार्यरत दुर्गेश चौधरी जी समयबद्ध परीक्षा और समयबद्ध परिणामों के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दे रहे थे। वीडियो आया तो अभ्यर्थियों ने पूछना शुरू किया कि जब पिछले साढ़े चार साल में वैकेंसी ही नहीं आई तो फिर दुर्गेश चौधरी की भर्ती कैसे हो गई?

उत्तर प्रदेश में आखिरी लेखपाल भर्ती 2015 में आई थी। 2016 में ये भर्ती पूरी हो गई थीतब अखिलेश यादव की सपा सरकार सत्ता में थी। और दुर्गेश चौधरी को भी तभी नियुक्ति मिली थी। जब सोशल मीडिया पर युवाओं ने घेरना शुरू किया तो वीडियो डिलीट कर दिया गया और दुर्गेश चौधरी घर छोड़कर भाग निकले।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उत्तर प्रदेश में लेखपाल के करीब हजार पद खाली हैं। लंबे समय से अभ्यर्थी इन खाली पदों को भरने की मांग कर रहे हैं। जनवरी को प्रयागराज में हुए विरोध-प्रदर्शन में भी एक बार फिर से लेखपाल भर्ती की मांग उठी और अगले दिन यानी कि जनवरी की शाम उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) की ओर से 8085 पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया। हालांकि ये भर्ती सही तरीके से पूरी होगी या नहीं ये तो केवल आयोग ही बता सकता है। बहरहालये प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थी के लिए एक जीत जरूर है।

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सोशल मीडिया से सड़क तक युवाओं का प्रदर्शन

गौरतलब है कि यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती घोटाला हो या 2018 में UPSSSC द्वारा आयोजित ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती का मामला होहर जगह भ्रष्टाचार सुर्खियों में रहा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के युवा रोज़गार को लेकर लगातार सोशल मीडिया से सड़क तक प्रदर्शन कर रहे हैं। सितंबर 2020 में रोजगार के मुद्दे पर छात्रों ने एक बड़ा कैंपेन चलाया था। सोशल मीडिया से शुरू हुआ ये कैंपेन उत्तर प्रदेश में सड़क तक आ गया था। इसका असर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन यानी 17 सितंबर को और भी अधिक दिखा। इस दिन हजारों युवाओं ने सड़क पर उतर कर अपना विरोध दर्ज कराया था। जिसके एक दिन बाद ही 18 सितंबर को मजबूरन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सभी विभागों से खाली पदों का ब्यौरा मांगना पड़ा था।

सरकार ने अभ्यर्थियों के संघर्ष को अपने अवसर में खूब भुनाने की कोशिश की। सीएम योगी ने तीन महीने में सभी पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने और छह महीने में नियुक्ति पत्र बांटने का आदेश भी दिया। इस फैसले को खूब जोर-शोर से प्रचारित किया गया। लेकिन अब तक इस फैसले का असर कुछ खास नहीं दिखा है। सरकार शिक्षक भर्ती के खाली पदों को स्वीकारने के बाद भी भर्ती नहीं निकाली। लेखपाल के पद लंबे समय से खाली थे लेकिन भर्ती चुनाव से दो महीने पहले आई। ऐसे में अब जब प्रदेश चुनाव के मुहाने पर खड़ा है तोयुवाओं ने भी बीजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर अपना विरोध और तेज़ कर दिया है।

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