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15 मार्च को भारत के रक्षा कर्मचारी हड़ताल पर जायेंगे

रक्षा क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ इस विरोध कार्रवाई में भारत के चार लाख रक्षा असैनिक कर्मचारियों के भाग लेने की संभावना है।

defence

भारत में चार लाख रक्षा नागरिक कर्मचारी 15 मई 2018 को ध्यान आकर्षित हड़ताल और एक घंटे काम बहिष्कार करने जा रहे हैं, उनकी मांग हैं कि सरकार अपने पुराने वायदे को पूरा करे जिसमें उन्होंने रक्षा के निजीकरण को वापस लेने का वायदा किया था।

रक्षा कर्मचारी लंबे समय इस बात की तरफ ध्यान दिला रहे हैं कि हाल के वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कई निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं।

अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी संघ (एआईडीईएफ), भारतीय राष्ट्रीय रक्षा श्रमिक संघ (इंडडब्ल्यूएफ), और भारतीय प्रत्याक्ष मजदूर संघ (बीपीएमएस) ने कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के लिए तीनों संघों ने जोकि मान्यता प्राप्त संघ हैं ने संयुक्त रूप से निर्णय लिया है।

रक्षा कर्मचारियों द्वारा उठाई गयी चिंताओं में सरकार द्वारा ऑर्डनेंस फैक्ट्री द्वारा निर्मित लगभग 250 वस्तुओं को "गैर-कोर उत्पाद" के रूप में घोषित कर दिया और निजी क्षेत्र में उन वस्तुओं के उत्पादन को आउटसोर्स करने का निर्णय लिया है।

कर्मचारियों के मुताबिक, जब भी "कम प्रौद्योगिकी" के नाम से बाहर से ऐसी वस्तुओं की खरीद की जाती है, आपूर्ति की गई वस्तुओं की अपर्याप्त आपूर्ति और खराब गुणवत्ता होती है।

सरकार का निर्णय पूर्व में रक्षा मंत्रालय द्वारा दिए गए प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन है, कर्मचारियों का कहना है।

सरकार ने सिली हुई वर्दी उपलब्ध कराने के बजाय सैनिकों को उसके समान भत्ते देने का आदेश जारी किया है। यह उत्पादक विरोधी है, और रक्षा कर्मचारियों के अनुसार इससे 2000 महिला कर्मचारियों सहित लगभग 10,000 कर्मचारियों को जो 5 ओईएफ (ऑर्डनेंस उपकरण फैक्टरी) में कार्यरत हैं इससे भविष्य में उनके अस्तित्व को खतरा होगा।

एडीएएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार और अवडी में ऑर्डनेंस क्लॉथ फैक्टरी के एक पूर्व कर्मचारी ने इस संबंध में 26 फरवरी को रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखा था।

श्रीकुमार ने पत्र में कहा, "सशस्त्र बलों की अस्थिर मांग और कभी-कभी सीमित आवश्यकताएं निजी क्षेत्र को सशस्त्र बलों के लिए अपनी यूनिट की क्षमता को समर्पित नहीं करने देती हैं।"

"... निजी उद्योग सस्ते कपड़े की वस्तुओं की आपूर्ति कर सकते हैं क्योंकि वे कम वेतन का भुगतान करते हैं और वे सरकार से प्राप्त विभिन्न रियायतें और कम लागत और घटिया कच्ची सामग्री का उपयोग करते हैं। एक मॉडल नियोक्ता होने के नाते, सरकार मजदूरी के आधार पर कम मजदूरी के आधार की समर्थक पार्टी नहीं हो सकती है, इससे सरकार असंगठित श्रमिकों को कानूनी तौर पर लागू न्यूनतम मजदूरी और अन्य सुविधाओं को नकार सकती है। वर्दी की गुणवत्ता पर समझौता सरकार द्वारा नीति और अभ्यास के मामले के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। "

"यह भी तथ्य है कि कई अवसरों पर, भारतीय सेना ने निजी स्रोतों से कपड़े और वर्दी खरीदी है और उन वस्तुओं की खराब गुणवत्ता के लिए बिना किसी आधार के आयुध कारखानों को  जिम्मेदार ठहराया गया है।"

"कारखानों के ओईएफ समूह का संगठनात्मक आधार विनिर्देशन, बुनियादी सामग्री और अंतिम उत्पाद की गुणवत्ता पर प्रभावी नियंत्रण प्रदान करता है, क्योंकि इसके लिए सशस्त्र बलों की पोशाक और वर्दी विशेष प्रकृति और रणनीतिक लड़ाकू सेना लोगो की वर्दी, चरम जलवायु के कपड़े, तंबू, पैराशूट, कंबल, जूते आदि की गुणवत्ता बेहतर होनी चाहिए। पूरे देश में बिखरे छोटे/ निजी इकाइयों के जरिए गुणवत्ता को लागू करना मुश्किल होगा। "

यद्यपि एक प्रारंभिक मूल्य लाभ होगा यदि सशस्त्र बलों ने यूनिफॉर्म के लिए निजी कंपनियों के साथ अनुबंध किया है, जब आयुध कारखाने में वर्दी का उत्पादन बंद कर देंगे, तो निजी क्षेत्र कीमतों में इजाफा करेगा, श्रीकुमार ने बताया।

सरकार ने गोको (सरकारी-स्वामित्व वाली, अनुबंधित-संचालित) मॉडल के तहत, निजी क्षेत्र को सेना आधार कार्यशालाओं (एबीडब्ल्यू) के संचालन को भी सौंपने का निर्णय लिया है।

सेना के अड्डे की कार्यशालाएं उस कार्य को पूरा करती हैं जो सशस्त्र बलों के लिए महत्वपूर्ण होती हैं - वे टैंक, सेना वाहन इंजन, छोटे हथियार, मोर्टारों, संचार प्रणालियों, रडार, ऑप्टिकल उपकरण, बिजली उपकरण, हवाई रक्षा हथियार प्रणालियों, सैनिक हथियार प्रणाली, बंदूक और विशेषज्ञ वाहनों मरम्मत आदि के लिए महत्त्वपूर्ण है।

कार्यशालाएं दिल्ली, जबलपुर (मध्य प्रदेश), कांकीरा (पश्चिम बंगाल), इलाहाबाद (यूपी), मेरठ (यूपी), किर्कि, पुणे (महाराष्ट्र) और बेंगलुरु में स्थित हैं।

निजी कंपनियों के लिए ऐसी राष्ट्रीय संपत्तियों को सौंपने से सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और उनका करने मुकाबला की क्षमता को खतरे में डाल देगा, रक्षा कर्मचारियों ने कहा है।

सरकार ने 14 स्टेशन कार्यशालाएं, 39 सैन्य फार्मों और आयुध सेवा के महानिदेशक (डीजीओएस) के तहत चार डिपो बंद करने का भी निर्णय लिया है।

यूनियन उन कई फैसलों और प्रथाओं को वापस लेने की मांग कर रही हैं जिसके परिणामस्वरूप नौकरी का नुकसान होगा। इसमें सेना अभियंता के 9,300 कर्मचारी के रूप में और सेना की इकाइयों के 31,012 कर्मचारियों को अतिरिक्त घोषित करने का निर्णय शामिल है, और रक्षा प्रतिष्ठानों में स्थायी और बारहमासी नौकरियों की आउटसोर्सिंग भी शामिल हैं।

मांगों में रक्षा प्रतिष्ठानों में खाली पदों के सभी पदों को भरना शामिल है।

यूनियनों द्वारा घोषित एक्शन कार्यक्रम के मुताबिक, पांच ओईएफ समूह के कारखानों, 8 सेना आधार कार्यशालाएं, 14 स्टेशन कार्यशालाएं, सैन्य अभियंता सेवा के तहत इंजीनियर-इन-चीफ, डीजीओएस के तहत चार डिपो और 39 सैन्य फार्म क्वार्टर मास्टर जनरल (क्यूएमजी) 15 मार्च 2018 को एक दिवसीय "कॉल अटेंडर स्ट्राइक" (ध्यान आकर्षण हड़ताल) पर जायेंगे।

अन्य प्रतिष्ठानों में रक्षा क्षेत्र के गैर-सैनिक कर्मचारियों को एक घंटे "काम बहिष्कार" का पालन करना होगा, सुबह में एक घंटे के लिए एक प्रदर्शन आयोजित करके उसी दिन एक घंटे का बहिष्कार करना होगा।

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