हरियाणा: मज़दूर रैली की ललकार-- मज़दूरों की अनदेखी न करे सरकार!
रविवार 8 अक्टूबर को हरियाणा के करनाल जिले के हुड्डा ग्राउंड में राज्यभर से हजारो मजदूर जुटे। इस रैली को मज़दूरों ने ललकार रैली का नाम दिया था। इस रैली का आयोजन सेंट्रल ट्रेड यूनियन सेंटर ऑफ इन्डियन ट्रेड यूनियन(सीटू) की हरियाणा राज्य कमेटी और खेत मजदूर यूनियन ने किया था। इस रैली में मजदूर नेताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि राज्य के विकास में मजदूरों की निर्णायक भूमिका है लेकिन सरकार मजदूरों की आवाज सुनने की बजाय उसे कुचलने पर तुली है। मजदूर ललकार रैली में सरकार को चेतावनी दी गई कि जिस सरकार ने मजदूरों की अनदेखी की उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ा है।
इस रैली को कई कंपनियों की मजदूर यूनियनों, आशा वर्कर यूनियन, सफाई कर्मचारी यूनियन, खेत मजदूर यूनियन के अलावा कई सरकारी कर्मचारी यूनियन का भी समर्थन था। इस रैली से पहले मजदूरों ने कंपनी गेट पर और जिला और ग्रामीण स्तर पर बैठकें की थीं।
हुड्डा ग्राउंड में आयोजित इस रैली में प्रदेश से हजारों मजदूर, परियोजना कर्मी और कच्चे कर्मचारी पहुंचे। रैली को सीटू की राष्ट्रीय सचिव ए आर सिंधु, प्रदेश महासचिव जय भगवान, अध्यक्ष, सुरेखा, खेत मजदूर यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव ए विजय राघवन, प्रदेश महासचिव प्रेमचंद, अध्यक्ष जगमाल सिंह ने प्रमुख रूप से संबोधित किया।
मजदूर नेताओं ने कहा कि भाजपा सरकार मजदूरों को गुलाम बनाने के लिए चार लेबर कोड लेकर आई है। उन्होंने कहा कि तीन साल पहले न्यूनतम वेतन रिवाइज किया जाना चाहिए था। ऐसा न करके मजदूरों के श्रम की लूट की जा रही है और पूंजीपतियों को फायदे पहुंचाए जा रहे हैं। राज्य में हड़ताली आशा वर्कर्स की मांगो के समाधान की बजाय दमन की कार्यवाही हो रही है जो पूर्व में आंगनवाड़ी कर्मियो पर भी की गई थी। स्कीम वर्कर्स हो चाहे सरकारी विभाग के कच्चे कर्मचारी, उनकी मांगो और समस्याओं को लगातार अनसुना किया जा रहा है। भाजपा सरकार द्वारा मनरेगा में भारी बजट कटौती के चलते न काम मिल रहा और न ही किए काम की मजदूरी। निर्माण श्रमिको के लिए बने बोर्ड को पंगु बना दिया गया है जिसका खामियाजा राज्य के 17 लाख मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है। राज्य में परिवार पहचान पत्र के नाम पर करीब9लाख50हजार परिवारों के बीपीएल राशन कार्ड काट दिए गए जिनमे अधिकतर मजदूर हैं। यह खाद्य सुरक्षा बजट में की गई कटौती का परिणाम है। संगठित हो या असंगठित क्षेत्र प्रवासी मजदूर जिनका राज्य के विकास में बड़ा योगदान है उनके लिए बने कानून को खत्म कर दिया गया और सभी सुविधाओ से वंचित किया जा रहा है। शहरी और ग्रामीण मजदूर आबादी आवास की समस्या झेल रही है।
सीटू के राज्य सचिव ने अपने लिखित बयान में कहा कि भाजपा सरकार देश के सार्वजनिक व सरकारी क्षेत्र को तबाह करने पर उतारू है और इन सबको बड़े पूंजीपतियों के हवाले कर रही है। स्थाई भर्ती न करके ठेके या कौशल विकास निगम के नाम पर पैसे की लूट की जा रही है। नई शिक्षा नीति 2020 देश की बहुमत आबादी को शिक्षा से बेदखल करने का मामला है।
उन्होंने कहा कि आयुष्मान भव जैसी योजना के नाम पर सरकारी खजाने को प्राइवेट अस्पतालों को लुटवाया जा रहा है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के ढांचे को बर्बाद किया जा रहा है। मजदूर नेताओं ने कहा कि बिजली बिल 2023 प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए हैं और आम लोगों की मेहनत की कमाई को लुटवाने के लिए है। राज्य सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए जनता में सांप्रदायिक और जातीय नफरत का वातावरण बनाकर सत्ता में आने की सोच रही है। नूंह में इस साजिश को हरियाणा की जनता ने अस्वीकार कर दिया है। लोकतांत्रिक अधिकारों और स्वतंत्र मीडिया पर हमला बोला जा रहा है। यह सरकार अडानी अंबानी के लिए देश की धन संपदा को लुटवा रही है।
रैली को सर्व कर्मचारी संघ के राज्य अध्यक्ष धर्मवीर फोगाट, किसान सभा के राज्य अध्यक्ष बलबीर सिंह, मजदूर नेताओं सतवीर सिंह, सुरेंद्र सिंह, सुखबीर सिंह रामकुमार बहबलपुरिया, राजेंद्र छोकर, सतपाल सैनी, जगपाल राणा, यूनियन नेताओं सुनीता, सरोज, उर्मिला रावत, देवीराम, राममेहर, विजय, कलीराम, सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष इशम सिंह, सर्व कर्मचारी संघ जिला अध्यक्ष सुशील आदि ने भी संबोधित किया।
तमाम वक्ताओं ने मांग की कि राज्य सरकार मजदूरों, स्कीम वर्कर्स और कच्चे कर्मचारियों की मांग पत्र पर तुरंत बैठक बुलाकर मांगो का समाधान करे। उन्होंने मांग की कि प्रदेश में न्यूनतम वेतन को रिवाइज कर 26000 रूपये किया जाए, फैमिली आईडी के बहाने बहुमत वंचित तबको की सुविधाएं बहाल हों, ठेका प्रथा खत्म कर सभी कच्चे कर्मचारियों एवं परियोजना कर्मियों को पक्का किया जाए, मनरेगा में 200 दिन काम और600रुपए दिहाड़ी हो। खेत मजदूरों समेत सभी दिहाड़ीदार मजदूर के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कल्याण बोर्ड के गठन किया जाए। लेबर कोड्स, बिजली बिल2023, नई शिक्षा नीति 2020 वापस हो।
ललकार रैली में फैसला किया गया कि 26 से 28 नवंबर को चंडीगढ़ में महापड़ाव होगा जिसमे राज्य से हजारों मजदूर हिस्सेदारी करेंगे। हड़ताली आशा वर्कर्स 18 अक्टूबर को मंत्रियों के दरवाजे पर 24 घंटे का पड़ाव करेंगी। और 30 अक्तूबर को दिल्ली में राष्ट्रीय प्रदर्शन में भाग लेंगी। ग्रामीण सफाई कर्मचारी 10 अक्तूबर से तीन दिवसीय हड़ताल पर जाएंगे। रैली ने हड़ताली आशा वर्कर्स के समर्थन में प्रस्ताव पारित करते हुए मांग की कि राज्य सरकार तुरंत वर्कर्स की मांगो का निपटारा करे। मीडिया व न्यूज क्लिक के संपादक व पत्रकारों पर हमले के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया।
रैली की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
1. राज्य में न्यूनतम वेतन रिवाइज करके ₹26000 मासिक किया जाए।
2. स्कीम वर्कर्स, कच्चे कर्मचारियों, ठेका कर्मियो को स्थाई किया जाए।
3. मजदूर विरोधी लेबर कोड्स रद्द हो और ठेका प्रथा खत्म की जाए।
4. मनरेगा में सालाना 200 दिन काम और ₹600 मजदूरी लागू की जाए।
5. निर्माण मजदूरों के बोर्ड में सभी मजदूरों का पंजीकरण हो और सभी सुविधाओं का समय पर
भुगतान हो।
6. ग्रामीण और शहरी मजदूरों के लिए आवास के लिए 100 गज के प्लॉट तथा मकान बनाने के
लिए अनुदान की गारंटी हो।
7. मजदूरों और किसानों के लिए 60 साल के बाद गुजारे लायक 10000 मासिक पेंशन लागू की
जाए।
8. सबके लिए बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था हो।
9. राज्य के सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर स्थाई भर्ती की जाए।
10. हरियाणा के सभी मजदूरों और गरीब किसानों के कर्ज माफ हो।
11. सभी जरूरतमंदों के बीपीएल कार्ड बना कर सभी जरूरत की वस्तुएं सस्ते रेट पर दी जाएं।
12. सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी हो।
13. लंबे समय से हरियाणा में चल रहे अलग-अलग आंदोलन का वार्ता से तुरंत समाधान किया
जाए।
14. खेत मजदूर की सामाजिक शिक्षा के लिए अलग से कानून बनाया जाए
15. परिवार पहचान पत्र के नाम पर जन सुविधाओं पर हमला बंद हो।
16. बिजली बिल 2023 रद्द किया जाएl
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