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‘पेचीदा हो गया है मणिपुर मामला’ : राज्य का दौरा कर लौटे संगठन ने सरकार पर उठाए सवाल

पिछले तीन महीने से मणिपुर में चल रहे संघर्ष की ग्राउंड रियलिटी जानने के लिए 'वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया' ने मणिपुर का दौरा किया और शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वहां के हालात के बारे में जानकारी दी।
press confrence

दिल्ली से दूर देश का वो हिस्सा जिसे हम सेवन सिस्टर्स (Seven Sisters) के तौर पर पढ़ते, सुनते और कहते आए हैं, आज जिन हालात में है वो पूरी दुनिया देख रही है। सात बहनों में से एक बहन पिछले तीन महीने से रोती, चीखती, चिल्लाती, गुहार लगाती मदद के लिए उम्मीद भरी नज़रों से देख रही है। महज़ 30 लाख की आबादी वाला ये हिस्सा रह-रहकर सुलग रहा है। हालात कैसे हैं, ये हमें कैसे पता चलेगा? 20 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र को भी 15 दिन होने को आए लेकिन आज भी इस मुद्दे को वहां उठाने के लिए जुगत चल रही है, मणिपुर का मुद्दा संसद में कब और कैसे उठ पाएगा फिलहाल इसका इंतज़ार ही किया जा रहा है।

देश की राजधानी में लगातार मणिपुर के लोग (मैतेई और कुकी दोनों ही समुदाय) धरना-प्रदर्शन, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। लेकिन जैसे ही कुकी महिलाओं के सार्वजनिक अपमान का शर्मनाक वीडियो वायरल हुआ, दुनिया के सामने मणिपुर के खौफनाक हालात सामने आ गए।  

राहुल गांधी और विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' समेत कई नेता और तमाम सामाजिक संगठनों ने भी मणिपुर का दौरा कर हालात बयां करने की कोशिश की।

ऐसे ही एक संगठन 'वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया' ने मणिपुर का दौरा कर ग्राउंड रियलिटी जानने की कोशिश की। इस संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एसक्यूआर इल्यास और नेशनल जनरल सेक्रेटरी सुब्रमणी( Subramani Arumugam ) ने दो दिन (1 और 2 अगस्त) का दौरा किया।

इस दौरे में इन लोगों ने क्या देखा इसे बयां करने के लिए शुक्रवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया।

मणिपुर में इन लोगों ने मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों से मुलाकात की, कैंपों का दौरा किया, हिंसा प्रभावित लोगों से मिले, साथ ही सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकार और राजनेताओं से भी मुलाकात की। इस संगठन ने अपने दौरे में पाया कि "उपद्रवियों और फिर नागरिक सेना के द्वारा सरकारी हथियारों, पुलिस स्टेशन, पुलिस ट्रेनिंग सेंटर से हथियारों को लूटा गया। लोगों ने ख़ुद से हथियार बना लिए हैं। हज़ारों घरों को जला दिया गया है, हज़ारों चर्च ढहा दिए गए हैं। महिलाओं का यौन उत्पीड़न हुआ है।  जान-माल का नुकसान हुआ है, जो दिखाता है कि वहां की स्टेट मशीनरी इन सब पर काबू करने में पूरी तरह से नाकाम रही है।"

इन हालात पर डॉ. इल्यास ने कहा कि "मणिपुर में जो भी हो रहा है अगर ये डबल इंजन की सरकार चाहती तो एक रात में इस समस्या को हल कर लेती लेकिन ऐसा महसूस हो रहा है कि न तो राज्य की सरकार और ना ही केंद्र सरकार मणिपुर संकट को हल करने में दिलचस्पी रखती है, हमने समझने की कोशिश की कि ऐसा क्यों है, हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं मणिपुर का मुद्दा इतना सहज नहीं है, अब वो बहुत ज़्यादा बढ़ गया है, बहुत पेचीदा हो गया है।"

डॉ. इल्यास ने मणिपुर में लोगों से बातचीत के आधार पर कुछ पॉइंट रखे-

पहला: वहां की सरकार हमें ये दिखाने की कोशिश कर रही है कि ये मुद्दा नशीले पदार्थ की खेती और उसको बढ़ावा देने का मुद्दा है लेकिन ऐसा नहीं है। ये सब शुरू हुआ 3 मई को हाईकोर्ट के मैतेई को भी ट्राइबल का दर्जा देने के फैसले के साथ जिसके विरोध में कुकी भी खड़े हो गए और तनाव बढ़ गया। 

दूसरा: कुकी का कहना है कि मैतेई की जनसंख्या ज़्यादा है और विधानसभा में भी उनका दबदबा है, 60 MLA हैं जिसमें 10 कुकी के हैं और 10 नगा, बाकी सब मैतेई हैं। कुकी का ये दावा है कि जब विधानसभा उनके (मैतेई) हाथ में है तो संसाधनों पर भी उनका कंट्रोल है, ट्राइबल एरिया के विकास के लिए जो सुविधा केंद्र से आती है वो भी कुकी लोगों तक नहीं पहुंचती।  

तीसरा: इसके अलावा उनका (कुकी) कहना है कि मैतेई लोगों को जो ट्राइबल स्टेटस देने की मांग हो रही है वो इस लिए हो रही है क्योंकि वे (मैतेई) चाहते हैं कि हिल्स के इलाकों में उन्हें ज़मीन ख़रीदने की पावर मिल जाए। सरकार फारेस्ट एक्ट को लागू करके भी ज़मीन को हथियाने की कोशिश कर रही है।

चौथा: इस पॉइंट का ज़िक्र करते हुए डॉ. इल्यास ने गंभीर आरोप लगाया और कहा कि हमें ये जानकर बड़ी हैरत हुई चूंकि ये बात हमें हर किसी ने बताई चाहे मैतेई हो, चाहे कुकी हो उन्होंने ये बताए कि मैतेई के जो विद्रोही ग्रुप है और कुकी में जो विद्रोही ग्रुप हैं दोनों को स्टेट गवर्नमेंट स्पांसर कर रही है।

डॉ. इल्यास ने कहा कि एक और बात हमें बताई गई है कि "Poppy (अफीम) की खेती तो कुकी के इलाक़ों में होती है लेकिन वे सिर्फ खेती करने वाले हैं, उसका बिज़नेस, उसका एक्सपोर्ट सब मैतेई लोगों के हाथ में है। लोगों ने आरोप लगाया कि ड्रग्स के कारोबार में सिर्फ कुकी और मैतेई ही नहीं बल्कि सरकार भी शामिल है।"

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस संगठन ने बताया कि "हर संघर्ष की तरह मणिपुर हिंसा का भी सबसे ज़्यादा असर महिलाओं पर पड़ा है, दोनों ही तरफ के लोगों की मौत हुई है, बहुत से बच्चे अनाथ हो गए हैं, बहुत से लोगों ने बताया कि FIR तक दर्ज नहीं हुई है। लोग साफ तौर पर दो हिस्सों में बंट गए हैं, वैली में जो कुकी रह रहे थे उन्हें वहां से निकाल बाहर किया गया है, उनकी संपत्ति लूट ली गई है, उनके चर्च जला दिए, हमने ये समझने की कोशिश की कि क्या ये कम्युनल हिंसा है? लेकिन ऐसा नहीं था क्योंकि हमने देखा कि मैतेई में भी जिनके चर्च थे उन्हें भी तोड़ा गया, उन्हें भी लूटा गया तो मूल रूप से ये नस्लीय हिंसा (Ethnic Violence ) है।"

वहीं इस संगठन के नेशनल जनरल सेक्रेटरी सुब्रमणी (Subramani Arumugam) ने बताया कि "ऐसा नहीं है कि इस हिंसा में एक ही समुदाय प्रभावित हुआ है, दोनों ही समुदाय के लोग हिंसा से प्रभावित हुए हैं, दोनों ही समुदाय एक-दूसरे पर विश्वास खो चुके हैं, न तो मैतेई, कुकी लोगों के इलाकों में जा रहे हैं और ना ही कुकी, मैतेई की तरफ।" 

साथ ही इस दौरे के दौरान संगठन ने पाया कि "कुकी समुदाय का भरोसा पुलिस से भी हट चुका है, वे समझते हैं कि पुलिस एकतरफा काम कर रही है, स्टेट फोर्सेज़ से ज़्यादा लोगों को सेना पर भरोसा है।"

संगठन की तरफ से कुछ मांगें भी रखी गईं:

    • केंद्र और राज्य सरकार को जल्द से जल्द शांति बहाली की कोशिश करनी चाहिए।
    • सीएम को नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए। 
    • मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होना चाहिए। 
    • पीड़ितों का पुनर्वास हो। 
    • सरकार को दोनों तरफ के सिविल सोसाइटी के लोगों के साथ मिलकर शांति के लिए बात करनी चाहिए। 
    • हो रही घुसपैठ पर तुरंत लगाम लगाई जाए।
    • अनाथ हुए बच्चों पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है, उनके भविष्य के बारे में सोचा जाए।
    • दोनों तरफ से लूटे गए हथियारों को जल्द से जल्द बरामद किया जाए ताकि और ख़ून न बहे। 
    • अफीम की खेती और ड्रग्स के व्यापार को तुरंत बंद करवाया जाए।
    • इंटरनेट सेवा बहाल होनी चाहिए।

संगठन ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में मुसलमानों के हालात पर भी बात की, डॉ. इल्यास बताते हैं कि "इस पूरे संघर्ष में कुकी और मैतेई दोनों समुदाय उन पर यकीन कर रहे हैं, हालांकि वहां मुसलमानों की जनसंख्या महज़ आठ फीसदी है।"

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मणिपुर के विष्णुपुर में दोबारा हिंसा भड़की जिसमें सेना की कार्रवाई में 17 लोग घायल हो गए हैं। बार-बार हिंसा भड़क रही है, हालात सुधरने की बजाए बिगड़ते दिख रहे हैं। वॉर ज़ोन में तब्दील होता मणिपुर एक बॉर्डर स्टेट है वहां इतने दिनों से चल रही हिंसा कहीं नई मुश्किलों को दावत ने दे बैठे। 

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