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नताशा नरवाल को अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए मिली ज़मानत

नताशा को अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दिल्ली की एक अदालत ने आज सुनवाई के दौरन उन्हें तीन सप्ताह की अंतरिम जामनत दे दी। परिवार के करीबियों ने बताया की महावीर नरवाला का अंतिम संस्कार नताशा के बाहर आने के बाद चंद करीबी लोगों के साथ कोरोना प्रोटोकॉल के साथ किया जाएगा।
नताशा नरवाल को अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए मिली ज़मानत

वरिष्ठ वैज्ञानिक और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ सदस्य महावीर नरवाल का रविवार शाम को कोरोना वायरस से निधन हो गया। कुछ दिनों पहले ही उनके संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। उनकी बेटी नताशा नरवाल स्टूडेंट एक्टिविस्ट हैं जो दिल्ली दंगों में कथित षड्यंत्र करने के आरोप में अभी भी जेल में बंद हैं।  नताशा के एक छोटे भाई आकाश अकेले बचे हैं जो खुद भी कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। अभी वो भी पृथकवास में हैं।  
 
महावीर नरवाल, जो भारत ज्ञान विज्ञान समिति से जुड़े हुए कार्यकर्ता थे, डा. नरवाल छात्र आंदोलन में खुद भी  सक्रिय रहते हुए इमरजेंसी के दौरान 11 महीने तक जेल में रहे। वे वर्तमान में भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राज्य अध्यक्ष थे। वे ताउम्र कम्युनिस्ट पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता रहे। अपनी बेटी नताशा से एक बार भी मुलाकात नहीं कर सके, जिन्होंने कड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार होने के बाद लगभग एक साल जेल में बिताया है। फरवरी 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली हिंसा के सिलसिले में दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट्स के मुताबिक, नरवाल ने शनिवार को एक अदालत से संपर्क कर अपने बीमार पिता से मिलने की अनुमति मांगी थी। इस संबंध में अगली सुनवाई सोमवार को होने वाली थी। आज सुनवाई के दौरन उन्हें तीन सप्ताह की अंतरिम जामनत दे दी गई है और अब वे अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होंगी।  परिवार के करीबियों ने बताया की महावीर नरवाला का अंतिम संस्कार नताशा के बाहर आने के बाद चंद करीबी लोगो के साथ कोरोना प्रोटोकॉल के साथ किया जाएगा।  

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति ए जे भंभानी की पीठ ने ‘पिंजड़ा तोड़’ मुहिम की कार्यकर्ता नरवाल को 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर तीन सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत दी।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की छात्रा नरवाल के भाई भी कोविड-19 से संक्रमित हैं और अदालत ने इसी आधार पर उन्हें यह राहत दी। वकील अदित एस पुजारी की ओर से दाखिल नरवाल की याचिका का सरकार ने भी विरोध नहीं किया।

‘पिंजड़ा तोड़’ मुहिम की शुरुआत 2015 में हुई थी जिसका उद्देश्य छात्रावासों और पेइंग गेस्ट में छात्राओं के लिए पाबंदियों को खत्म करना था।
 

पिछले साल सितंबर में दिल्ली की एक अदालत ने दंगों से जुड़े एक अन्य मामले में नरवाल को जमानत देते हुए कहा था कि दिल्ली पुलिस के पास यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि वह किसी हिंसा को भड़काने में शामिल थी। हालांकि, यूएपीए मामले में उसकी जमानत याचिका इस साल जनवरी में एक अदालत द्वारा खारिज कर दी गई थी।

महावीर नरवाल ने पहले अपनी बेटी, नताशा के लिए बिना शर्त समर्थन व्यक्त किया था, और कहा था कि उन्हें पिंजरा तोड़ के नेता के उत्पीड़न और उत्पीड़ितों के लिए खड़े होने के दृढ़ संकल्प पर गर्व है। अपनी बेटी की गिरफ्तारी के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा था, “जेल में रहने से डरने की कोई बात नहीं है। मेरी बेटी सकारात्मकता का सामना करेगी और मजबूत होकर वापस आएगी।”

नवंबर 2020 से एक दिल तोड़ने वाले वीडियो में, नरवाल को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह डरते हैं कि नताशा - अगर लंबे समय तक कैद रहती हैं, तो वह अपने पिता को फिर कभी नहीं देख पाएगी। उन्होंने कहा था, “कभी-कभी, ये नकारात्मक शक्तियां, बुरी शक्तियां मुझे घेर लेती हैं। वह शायद मुझे देख न सके; आखिरकार, मैं बूढ़ा हो रहा हूं। मैं उसे देखने में सक्षम नहीं हो सकता।”

माकपा ने नरवाल की मौत के बाद शोक व्यक्त किया। इसने एक बयान में कहा, “यह मोदी सरकार का आपराधिक कृत्य है कि उसकी बेटी नताशा नरवाल को पिछले साल यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था और वह अपने पिता से भी नहीं मिल सकी थी। हम सभी राजनीतिक कैदियों को तुरंत रिहा करने की मांग करते हैं।”

पार्टी की हरियाणा शाखा द्वारा पोस्ट किए गए एक संदेश में कहा गया है उनके जाने से समाज ने मानवीय मूल्यों व संवेदना से भरपूर एक बेहतरीन इंसान, वैज्ञानिक और बुद्धिजीवी को खो दिया है।"

लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंडेर ने नरवाल की मृत्यु के बाद अपना दुख व्यक्त करने के लिए ट्विटर पर लिखा:

पूर्व पत्रकार और आरएलडी नेता प्रशांत कनौजिया ने कहा, "नताशा के पिता को इस खूनी प्रणाली द्वारा मार दिया गया और नरेंद्र मोदी के हाथ लाखों लोगों के खून से  सने हुए हैं।"

भाकपा माले की नेता  कविता कृष्णन ने कहा कि फेमिनिस्ट महिलाओं को जबर्दस्ती जेलों में ठूंसा हुआ है, जबकि उनके अपने कोविड के संक्रमण से जान गंवा रहे हैं। कविता कृष्णन ने अपने एक ट्वीट में कहा है- नताशा नरवाल संविधान बचाने के लिए जेल में हैं। उनके पिता महावीर नरवाल कोविड से गुज़र गए। काश हर बच्ची को महावीर जैसे सुन्दर, प्यारे पिता नसीब होते, जिन्हें आंदोलन की सज़ा झेल रही बेटी पर गर्व था।  इस क्रूर शासन ने इस अनमोल रत्न को नताशा से, हम सब से छीन लिया। नताशा को उनसे दूर रखा।''

कई अन्य लोगों ने असंतोष व्यक्त करने के लिए कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए शोक संवेदना पोस्ट करने के लिए ट्विटर पर लिखा।

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