NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
सिर्फ़ दादी बिल्क़ीस ही नहीं, शाहीन बाग़ आंदोलन की सभी औरतें प्रभावशाली हैं!
टाइम मैग्ज़ीन में दादी बिल्क़ीस का नाम आने के बाद शाहीन बाग़ आंदोलन को याद करना ज़रूरी है। इस आंदेलन ने देश की महिलाओं की वास्तविक शक्ति का एहसास पूरे देश को कराया। आज शाहीनबाग़ का धरना भले ही खत्म हो गया हो लेकिन, शाहीनबाग़ की महिलाएं एक याद बनकर हमेशा-हमेशा के लिए हर भारतीय के जेहन में रच-बस गई हैं।
सोनिया यादव
26 Sep 2020
शाहीन बाग़ आंदोलन

"अगर गृहमंत्री कहते हैं कि वे एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे, तो मैं कहती हूँ कि हम एक बाल बराबर भी नहीं हटेंगे।"

शाहीन बाग़ प्रदर्शन के दौरान गृह मंत्री अमित शाह के नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए पर एक इंच भी पीछे नहीं हटने वाले बयान पर दादी बिल्क़ीस बानो ने पटलवार करते हुए ये बात कही थी। अब टाइम मैग्ज़ीन ने इन्हीं 82 वर्षीय बिल्क़ीस बानो को विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया है। हालांकि बिल्क़ीस का कहना है कि उन्हें ज्यादा खुशी तब होती, अगर सरकार इस कानून को वापस ले लेती।

शाहीन बाग़ आंदोलन का चेहरा रहीं बिल्क़ीस बानो और अन्य महिलाओं ने हाड़ कंपाने वाली सर्द रातों में देश के भीतर क्रांति की एक नई मशाल जलाई थी। सीएए और एनआरसी के विरोध स्वरूप देश भर में कई शाहीन बाग़ बने। कई महीनों तक महिलाओं का सड़कों पर ऐतिहासिक संघर्ष देखने को मिला, जिसकी तारीफ़ पूरी दुनिया में हुई।

क्या लिखा है टाइम ने बिल्क़ीस बानो के लिए?

टाइम मैग्ज़ीन ने बिल्क़ीस बानो के लिए लिखा है कि "वे भारत में वंचितों की आवाज़ बनीं। वे कई बार प्रदर्शन स्थल पर सुबह आठ बजे से रात 12 बजे तक रहा करती थीं। उनके साथ हज़ारों अन्य महिलाएं भी वहाँ मौजूद होती थीं और महिलाओं का इस प्रदर्शन को 'प्रतिरोध का प्रतीक' माना गया।"

IMG-20200926-WA0003.jpg

मैग्ज़ीन ने लिखा है कि बिल्क़ीस बानो ने सामाजिक कार्यकर्ताओं, ख़ासकर छात्र नेताओं को जिन्हें जेल में डाल दिया गया, उन्हें लगातार उम्मीद बंधाई और यह संदेश दिया कि 'लोकतंत्र को बचाये रखना कितना ज़रूरी है।'

कौन हैं बिल्क़ीस बानो?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बिल्क़ीस बानो उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर ज़िले की रहने वाली हैं। उनके पति क़रीब दस साल पहले गुज़र गये थे जो खेती-मज़दूरी करते थे। बिल्क़ीस बानो फ़िलहाल दिल्ली के शाहीन बाग़ इलाके में अपने बहू-बेटों के साथ रहती हैं।

बिल्क़ीस बानो ने टाइम की सूची में शामिल होने पर क्या कहा?

शाहीन बाग़ की दादी बिल्क़ीस ने मीडिया को बताया, “यह मेरे लिए कुछ भी नहीं है। हमारी असली जीत तभी होगी, जब सीएए, एनआरसी और एनपीआर बिल  को वापस ले लिया जाएगा। हम पहले दिन से यही चाहते है कि जो बिल लाया गया, उसे वापस लिया जाए। तभी हमें खुशी होगी।”

बिल्क़ीस ने आगे कहा, “मोदी जी हमारे बेटे जैसे है। जैसे मैंने अपने बेटे को जन्म दिया है, उसी तरह मेरी बहन ने मोदी जी को जन्म दिया। मैं उन्हें धन्यवाद कहना चाहती हूं। हमें पहले की तरह मिल-जुल कर रहना चाहिए। लड़ाई-झगड़े में कुछ नहीं रखा। जैसे पहले नागरिकता मिलती थी, उसी तरह अब मिलनी चाहिए। आगे जब भी एनआरसी और सीएए के विरोध में प्रोटेस्ट होगा, उसमें शामिल रहूंगी। हम अपनी जान भी दे देंगे हिंदुस्तान के लिए।”

प्रोटेस्ट में शामिल हुए छात्रों और एक्टिविस्ट की गिरफ्तारी को गलत ठहराते हुए दादी ने कहा कि हम मोदी जी से कहना चाहते है कि कुछ छात्रों को इसलिए परेशान किया जा रहा है, चूंकि वो प्रोटेस्ट शामिल थे। उन सभी को रिहा किया जाए और उन पर लगाए गए सभी मामले को वापस ले। वो सिर्फ प्रोटेस्ट कर रहे थे, जो हर किसी का मौलिक अधिकार है।

हमारी दादी किसी से कम है क्या!

टाइम मैग्जीन की तरफ से लिस्ट जारी होने के बाद ट्विटर पर 'शाहीन बाग़' एक बार फिर से ट्रेंड करने लगा। किसी ने लिखा दादी इज रॉकिंग तो किसी ने लिखा हमारी दादी किसी से कम है क्या! इन सब के बीच एक बार फिर शाहीन बाग़ को लोगों ने याद किया। प्रदर्शन के दौरान रात में अपने बच्चों के साथ धरने पर बैठी औरतों को याद किया गया।

img20200118011251_1579619470.jpg

“तेरे गुरूर को जलाएगी वो आग हूं, आकर देख मुझे मैं शाहीन बाग़ हूं”

शाहीन बाग़ का आंदोलन पहले दिन से ही सुर्खियों में था। ये एक आंदोलन से ज़्यादा नागरिक चेतना का प्रतीक था, इसकी वजह वहां धरने पर बैठी औरतें थी। वो औरतें जो सीएए-एनआरसी के विरोध में तमाम बंदिशों को तोड़ कर अपने अधिकार और पहचान के लिए सड़कों पर उतरीं थी। कड़ाके की ठंड और पुलिस की लाठियों की परवाह किए बिना उन्होंने अपने संघर्ष को कई महीनों तक लगातार जारी रखा। महिलाएं 'आज़ादी' और 'हम संविधान बचाने निकले हैं, आओ हमारे साथ चलो' जैसे नारे लगाती थी और 'संविधान की प्रस्तावना' को हर दिन पढ़ती थीं। आलम यह हुआ कि दिल्ली से लेकर बंगाल तक, बिहार से लेकर बंबई और अन्य कई राज्यों में महिलाएं लामबंद हुईं और सत्ता की आंखों में आंख डालकर सवाल करने लगीं, उन्हें बाबा साहेब के संविधान की याद दिलाने लगीं।

क्यों ज़रूरी है शाहीन बाग़ आंदोलन को याद करना?

शाहीन बाग़ ने देश की महिलाओं के जीवित होने का एहसास पूरे देश को कराया। इस आंदोलन को बेइंतिहा मोहब्बत के साथ कई गुना नफ़रत भी मिली। महिलाओं के इस संघर्ष को बदनाम करने की खूब कोशिशें हुई। तरह-तरह के फ़ेक फ़ोटो और झूठे दावों के साथ इन महिलाओं का चरित्र-हनन किया गया। कई मुख्यमंत्रियों और बड़े नेताओं द्वारा महिलाओं को अपशब्द कहे गए। लेकिन धरने पर डटी औरतों का हौसला कम नहीं हुआ। वो और उत्साह से इस आंदोलन में शिरकत करने लगीं। टीवी चैनलों के डिबेट से लेकर न्यूज़ एंकरों के सवालों तक सबका बेबाकी से जवाब देने लगीं। आज़ाद भारत में ऐसा पहली बार हुआ जब इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम औरतें अपने हक के लिए सड़कों पर उतरीं।

IMG-20200120-WA0010_0.jpg

पहले ही दिन से बिल्क़ीस बानो इन महिलाओं के लिए एक उदाहरण बनकर सामने आईं। दादी की बूढ़ी हड्डी ठंड से भले ही अकड़ जाए लेकिन उनके हिम्मत कभी कम नहीं हुई। कंपकंपाते होठों से बारिश से बचते हुए एक कोने में बैठकर अपनी आवाज को बुलंद करती बिल्क़ीस दादी अक्सर चर्चा का केंद्र बन जाती थीं। और सिर्फ़ बिल्क़ीस ही नहीं कई और दादियां भी वहां रात दिन डटी रहीं।

शाहीन बाग़ हमेशा के लिए हर भारतीय के जेहन में रच-बस  गया है!

गौरतलब है कि सौ दिन से अधिक चले इस आंदोलन ने देश में विरोध-प्रदर्शन की परिभाषा बदल दी। आज़ाद भारत के नागरिक आंदोलनों में शाहीन बाग़ निश्चित तौर पर उस आंदोलन का प्रतीक है जो किसी एक भौगोलिक सीमा में सिमट कर नहीं रह सका और देश में सैकड़ों आंदोलन स्थलों के रूप में फैल गया। लाख उकसावे और लांछनों के बावजूद इन महिलाओं ने अपना संयम नहीं खोया। आज़ाद भारत में महिलाओं का ऐसा आंदोलन शायद ही पहले देखा गया हो। आज शाहीनबाग़ में भले ही कोई महिला धरने पर नहीं बैठी है। लेकिन, शाहीन बाग़ की दादियां एक विचार बनकर हमेशा-हमेशा के लिए हर भारतीय के जेहन में रच-बस गई हैं।

Narendra modi
Shaheen Bagh
Bilkis Bano
TIME Magazine
NRC CAA protest
Anti CAA Protest
Amit Shah

Trending

बंगाल ब्रिगेड रैली, रसोई गैस के बढ़ते दाम और अन्य
ख़ास मुलाक़ात: बिना लड़े हमें कुछ नहीं मिल सकता - नौदीप कौर
छत्तीसगढ़: माकपा ने कहा यह ज़मीन पर उतारने वाला बजट नहीं
मांगने आए रोज़गार, मिली पुलिस की लाठी–पानी की बौछार
बंगाल: वाम फ्रंट ने ब्रिगेड रैली से किया शक्ति प्रदर्शन, "सांप्रदायिक तृणमूल और भाजपा को हराने’’ का किया आह्वान
रसोई गैस के फिर बढ़े दाम, ‘उज्ज्वला’ से मिले महिलाओं के सम्मान का अब क्या होगा?

Related Stories

कटाक्ष: साहेब, जनता जाग रही है, अब बहका भी दीजिए...!
राजेंद्र शर्मा
कटाक्ष: साहेब, जनता जाग रही है, अब बहका भी दीजिए...!
01 March 2021
मोदी जी किसानों की नहीं सुनेंगे तो चलेगा। मजूरों-वजूरों की, मिडिल क्लास वगैरह की भी नहीं सुनेंगे, तो भी चलेगा। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग वगैर
रसोई गैस
सोनिया यादव
रसोई गैस के फिर बढ़े दाम, ‘उज्ज्वला’ से मिले महिलाओं के सम्मान का अब क्या होगा?
01 March 2021
“महिलाओं को मिला सम्मान, स्वच्छ ईंधन बेहतर जीवन”
cartoon
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
ख़बर भी, नज़र भी: लो अपनी ‘सी’ टीम भी आ गई!
01 March 2021
कांग्रेस में काफ़ी कुछ बदल रहा है, लेकिन कांग्रेस नहीं बदल रही। ख़ैर...अब कांग्रेस का G-23 यानी असंतुष्ट नेताओं का ग्रुप अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहा

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • Daily roundup
    न्यूज़क्लिक टीम
    बंगाल ब्रिगेड रैली, रसोई गैस के बढ़ते दाम और अन्य
    01 Mar 2021
    आज के डेली राउंड-अप में शुरुआत करेंगे कोलकाता में हुई वाम सेक्युलर मोर्चा रैली से, साथ ही सुनेंगे क्या कहना है 23 वर्षीय दलित अधिकार एक्टिविस्ट, नौदीप कौर का। अंत में नज़र डालेंगे बढ़ते रसोई गैस के…
  • नौदीप कौर
    न्यूज़क्लिक टीम
    ख़ास मुलाक़ात: बिना लड़े हमें कुछ नहीं मिल सकता - नौदीप कौर
    01 Mar 2021
    वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बातचीत की भारत की बहादुर बेटी, दलित लेबर एक्टिविस्ट नौदीप कौर से, जिन्हें बहुत गंभीर आरोपों में हरियाणा पुलिस ने 12 जनवरी 2021 को कुंडली से गिरफ्तार किया था। वह…
  • भूपेश बघेल
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़: माकपा ने कहा यह ज़मीन पर उतारने वाला बजट नहीं
    01 Mar 2021
    “पिछले वर्ष मनरेगा में 2600 करोड़ रुपयों का भुगतान किया गया था, लेकिन इस वर्ष के बजट में मात्र 1600 करोड़ रुपये ही आवंटित किये गए हैं। यह कटौती 38% से अधिक है।”
  • भारतीय आर्किटेक्चर के लिए अलग-अलग विषयों के समायोजन का वक़्त?
    सुदेश प्रभाकर
    भारतीय आर्किटेक्चर के लिए अलग-अलग विषयों के समायोजन का वक़्त?
    01 Mar 2021
    यहां राष्ट्रीय महत्व की चार प्रस्तावित परियोजनाओं की स्थापत्य शैली का विश्लेषण किया गया है।
  • मांगने आए रोज़गार, मिली पुलिस की लाठी–पानी की बौछार
    अनिल अंशुमन
    मांगने आए रोज़गार, मिली पुलिस की लाठी–पानी की बौछार
    01 Mar 2021
    पुलिस ने माले विधायक मनोज मंजिल और संदीप सौरभ से भी मार-पीट की, यहां तक कि विधायक अजित कुशवाहा जी के कपड़े भी फाड़ दिए गए। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें