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राजस्थान: बीते 23 दिन से जारी महिला नर्सिंग कर्मचारियों का प्रदर्शन, गहलोत सरकार पर अनदेखी का आरोप

बीते एक मई से राज्य की भीषण गर्मी में जारी इन कर्मचारियों की हड़ताल से राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
Nursing Employees Protesting

राजस्थान में इस साल चुनाव होने हैं और ऐसे में राज्य की अशोक गहलोत सरकार की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं। कभी युवा, तो कभी महिलाएं और आए दिन प्रदेश के कर्मचारी अपने विरोध प्रदर्शन से सरकार को चेता रहे हैं। ताज़ा मामला राजस्थान की महिला नर्सिंग कर्मचारियों का है, जो बीते 1 मई से अपनी तीन मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठी हैं और लगातार सरकार से गुहार लगा रही हैं। लेकिन शासन-प्रशासन न तो इस पर कोई संज्ञान ले रहा है और नाही इन महिला कर्मचारियों को कहीं से कोई आश्वासन ही मिल पा रहा है।

बता दें कि जो महिला कर्मचारी प्रदेशव्यापी हड़ताल पर हैं, वो महिला स्वास्थ्य दर्शिका (एलएचवी) और महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एएनएम) हैं। ये बीते लंबे समय से एलएचवी-एएनएम संघ ऑफ राजस्थान के बैनर तले ग्रेड पे बढ़ाने, पदनाम बदलने और बंद किए पदों पर दोबारा भर्ती की मांग को लेकर संघर्ष कर रही हैं। फिलहाल करीब 23 दिन से राज्य की भीषण गर्मी में जारी इन कर्मचारियों की हड़ताल से राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित हो रही है, जिसकी सरकार की ओर से लगातार अनदेखी की जा रही है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक राज्य की महिला नर्सिंग कर्मचारी अपनी समस्याओं को लेकर कई बार प्रदर्शन के साथ ही सरकार और अधिकारियों को ज्ञापन भी दे चुकी हैं। लेकिन सरकार ने अब तक इनके मामले में समाधान की ओर कोई पहल नहीं की। जिसके चलते अब इन कर्मचारियों को सामूहिक हड़ताल के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा है।

एलएचवी और एएनएम एसोसिएशन की उपाध्यक्ष सरोज कुंतल ने अपने एक बयान में बताया कि सरकार हम कर्मचारियों से काम ज्यादा लेती है और बदले में तनख्वाह बहुत कम देती है। जिसके चलते हमें कई आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं नए काम और योजनाओं का का बोझ भी सरकार एलएचवी और एएनएम कर्मचारियों के कंधे पर ही डाल रही है, जिससे काम के घंटे तो बढ़ रहे हैं लेकिन पैसे में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हो रही।

सरोज कुंतल के अनुसार कर्मिकों की मांग है कि ग्रेड पे 28 सौ से बढ़ाकर 36 सौ किया जाए, इसके अलावा पदनाम बदलकर पब्लिक हेल्थ नर्सिंग ऑफिसर, सर्किल हेल्थ नर्सिंग ऑफिसर किया जाए। साथ ही खत्म किए गए पदों पर सरकार दोबारा नियुक्ति करे। उनका कहना है कि एएनएम और एलएचवी कार्मिक सीएचओ के नेतृत्व में कार्य नहीं करेंगे।

प्रदर्शन के अनोखे तरीक़े, लेकिन सब बेकार

धरने पर बैठी कई कर्मचारियों ने न्यूज़क्लिक को फोन पर बताया कि यहां झुलसती गर्मी में बैठना उनकी मर्जी नहीं मजबूरी है। वो सोई हुई सरकार को नींद से जगाना चाहती हैं और इसके लिए बीते 23 दिनों में उन्होंने अलग-अलग उपाय भी किए, जैसे कभी ताली-थाली बजाई तो कभी भैंस के आगे बीन बजाई। कभी पूजा-पाठ का सहारा लिया तो कभी अपनी मांगों को लेकर हाथों पर मेहंदी छपवाई, सड़क पर सब्जियां बेची लेकिन अभी तक सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।

इन कर्मचारियों का साफ तौर पर कहना है कि अगर सरकार की उनके प्रति ऐसी ही बेरूखी रही, तो आने वाले दिनों में सभी काम-काज ठप कर और बड़ा प्रदर्शन कर सकती है। क्योंकि अब ये उनके स्वाभिमान और जीविका दोनों की लड़ाई है और सरकार जो जनता हितैषी होने का दावा करती है, उसके वादों और इरादों की भी परीक्षा है।

कर्मचारी संगठनों के प्रदर्शन और गहलोत सरकार की मुश्किलें

धरने पर बैठी बरां की जिला अध्यक्ष दुर्गेश त्रिपाठी ने मीडिया को बताया कि इस हड़ताल से सरकार का काफी सारा काम बाधित हो रहा है। वर्तमान में मौसमी बीमारियों, टीकाकरण, आईडीएसपी की रिपोर्टिंग, एनसीडी स्क्रीनिंग, गर्भवती महिलाओं से संबंधित कामों के साथ ही महंगाई राहत कैंपों से जुड़े कई अन्य काम भी प्रभावित हो रहे हैं। लेकिन उनकी लड़ाई जारी रहेगी क्योंकि ये काम के हक़ की लड़ाई है और इसे महिलाएं हर हाल में जीतेंगी।

गौरतलब है कि राजस्थान के इस चुनावी साल में अलग-अलग कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को मनवाने के लिए आंदोलन की राह पर है। सरपंच, ग्राम विकास अधिकारी, राजस्व कर्मचारी, आंगनवाडी और आशा कार्यकर्ता के साथ ही मंत्रालयिक कर्मचारी और आईटी कार्मिक भी हड़ताल कर चुके हैं। ऐसे में नर्सिंग कर्मचारियों की इस अनिश्चितकालीन हड़ताल से सरकार के लिए नई मुसीबत खड़ी हो गई है। ऐसे में देखना होगा की गहलोत सरकार जनता से किए अपने वादों में कितना खरा उतरती है और जनता उनपर आगामी चुनावों में किस कदर भरोसा दिखाती है।

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