यूपी : मिड डे मील नहीं, जन्मदिन पर हुई थी बच्चों के लिए "तिथि भोजन" की व्यवस्था
सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूल को लेकर एक दावा काफी चर्चा में है, सुरदर्शन न्यूज़ के एक पत्रकार द्वारा किए गए ट्वीट में कुछ बच्चे दिखाई दे रहे हैं, बच्चों के हाथ में भोजन की थाली है, जिसमें पनीर-पूड़ी, रसगुल्ले से लेकर मिठाई, फल और आइसक्रीम नज़र आ रही है। ट्वीट में दावा किया गया है की ये भोजन उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूल में बच्चों को मिलने वाला "मिड डे मील" है
ये उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूल में गरीब बच्चों को मिलने वाला मिड डे मिल है ❤️
मेरे जैसे चटोरे के मुँह में भी पानी आ गया देख कर।@myogiadityanath @shalabhmani pic.twitter.com/QC9gHrKsVq
— Sagar Kumar “Sudarshan News” (@KumaarSaagar) September 1, 2022
जबकि इस तस्वीर के कमेंट में UP East Congress के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से किए गए कमेंट में इससे अलग ये दावा किया गया है की ये तस्वीरें "तिथि भोजन" की हैं, कमेंट में ग्राम सरपंच के बयान का स्क्रीनशॉट भी लगाया गया है जिसमें ग्राम प्रधान भोजन की वायरल तस्वीरों को लेकर विनम्र आग्रह करते हुए लिखते हैं कि
“कल दोपहर से ग्राम-पंचायत मलकपुरा के स्कूल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल है। ये तस्वीरें तिथि भोजन के तहत बच्चों को दिए गए भोजन की हैं। ये व्यवस्था हमारी ग्राम पंचायत में जुलाई-22 से चल रही है। जबकि इससे पहले शुरू की गई ऐड ऑन MDM की व्यवस्था 14 फरवरी-22 से जारी है"
मिड डे मील का दावा झूठा, बैंक क्लर्क के जन्मदिन पर हुई थी भोजन की व्यवस्था
यह मामला उत्तरप्रदेश के ज़िला जालौन में ग्राम-पंचायत मलकपुरा का है, हमने ग्राम प्रधान अमित से पूरा मामला जानने के लिए सम्पर्क किया, अमित इस बात से इंकार करते हैं की बच्चों को दिया जा रहा भोजन उत्तर प्रदेश सरकार की "मिड डे मील" के तहत दिया जाता है, वे इस मामले पर अपनी बात रखते हुए तिथि भोजन का ज़िक्र करते है,जिसके तहत बच्चों को यह खाना परोसा गया था
क्या होता है तिथि भोजन का मतलब ?
अमित बताते हैं की तिथि भोजन एक ऐसी व्यवस्था है है जिसके तहत कोई व्यक्ति या समुदाय किसी विशेष तिथि जैसे- किसी का जन्मदिन या त्योहार पर बच्चों के लिए खाना उपलब्ध करा सकता है। गुजरात में सबसे पहले तिथि भोजन योजना को लाया गया था और मोदी सरकार आने पर पूरे देश में इस योजना को लागू करने की योजना बनी थी।
हमें ग्राम प्रधान अमित ने बताया कि वायरल हो रही तस्वीरें 31 अगस्त की हैं, इस दिन पास के इलाके में रहने वाले बैंक क्लर्क सौरभ शुक्ला ने अपने जन्मदिन के अवसर पर स्कूल के बच्चों के लिए तिथि भोजन की व्यवस्था की थी, वायरल हो रही एक तस्वीर में बच्चों के हाथ में एक बोर्ड दिखाई देता है जिस पर लिखा है
"तिथि भोजन, 31-8-2022... जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई सौरभ भैया ! खुशियां बांटने के लिए बहुत धन्यवाद, उच्च प्राथमिक विद्यालय, मलकपुरा जालौन, उत्तर प्रदेश"
आज के आनंद की जय हो!#तिथिभोजन; पूड़ी, मटर-पनीर की सब्जी, सलाद, मिल्क शेक, फल में सेब और मीठे में आइसक्रीम! #AddOnMDM #ग्रामपंचायत_मलकपुरा, जालौन (उ.प्र.) भारत#GPMalakpura, Jalaun (UP) INDIA @DPradhanBJP @OfficeDP @UNinHindi @UNinIndia @UNICEF @UNICEFIndia @AnandMahindra pic.twitter.com/zAey4lG565
— Amit (@AmitBharteey) August 31, 2022
झूठ के सहारे "योगी सरकार" की वाहवाही
सोशल मीडिया पर तेज़ी से फ़ैल रही इन तस्वीरों को पोस्ट करने वाले अधिकतर ट्विटर यूज़र्स ने इसे उत्तर प्रदेश सरकार की उपलब्धि ओर बेहतरीन व्यवस्था बताने का प्रयास किया, बजेपी के नेता अरुण यादव ने ट्वीट कर लिखा "उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूल का मिड डे मील. अगर दिल्ली के किसी विद्यालय में ऐसा होता तो अंतराष्ट्रीय अखबारों में सुर्खियां बनाई जाती"
उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूल का मिड डे मील ❤
अगर दिल्ली के किसी विद्यालय में ऐसा होता तो अंतराष्ट्रीय अखबारों में सुर्खियां बनाई जाती.. pic.twitter.com/dXdFxUy0qL— Arun Yadav 🇮🇳 (@beingarun28) September 1, 2022
इस खबर के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए जब आप गूगल खंगालेंगे तो आपको नवभारत टाइम्स की खबर का यह हेडलाइन नज़र आएगा "होटल हुए फेल! इस सरकारी स्कूल के मिड-डे मील में मिल रहा...फल, पनीर, रसगुल्ला और आइसक्रीम, जानें क्या है माजरा" जोकि ग्राम सरपंच के दावों से विपरीत है, और इसे सरकारी योजना की महान उपलब्धि की तरह परोस रहा है।
एक अन्य ट्वीटर यूज़र एडवोकेट आशुतोष दुबे ने वायरल तस्वीरें ट्वीट कर लिखा है की "महाराज जी के उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक ही ड्रॉबैक है, महाराज योगी आदित्यनाथ जी नहीं जानते है कि प्रचार कैसे किया जाता है"
In Maharaj Ji's Uttar Pradesh There is only 1 drawback, Maharaj @myogiadityanath Ji does not know how to advertise! pic.twitter.com/NihO4NWsgL
— ADV. ASHUTOSH J. DUBEY 🇮🇳 (@AdvAshutoshBJP) September 1, 2022
क्या है तिथि भोजन और मिड डे मील के बीच का फ़र्क़
मिड डे मील भोजन योजना, भारत सरकार की एक योजना है जिसके अंतर्गत पूरे देश के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निःशुल्क प्रदान किया जाता है। नामांकन बढ़ाने, बच्चे स्कूल में टिक सके इसलिए और इसके साथ-साथ बच्चों में पोषण स्तर में सुधार करने के उद्देश्य से 15 अगस्त 1995 को केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम के रूप में प्रारंभिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पौषणिक सहायता कार्यक्रम शुरू किया गया था। अधिकतर बच्चे खाली पेट स्कूल पहुंचते हैं, जो बच्चे स्कूल आने से पहले भोजन करते हैं, उन्हें भी दोपहर तक भूख लग जाती है और वे अपना ध्यान पढाई पर केंद्रित नहीं कर पाते हैं। मिड डे मील भोजन बच्चों के लिए "पूरक पोषण" के स्रोत और उनके स्वस्थ विकास के रूप में भी कार्य करता है
ग्राम प्रधान अमित कहते हैं बच्चों को परोसा गया यह भोजन मिड डे मील नहीं कहा जा सकता। इसे ऐड ऑन मिड डे मील कहेंगे। इसे सिर्फ़ सरकारी मिड डे मील नहीं कह सकते क्योंकि तिथि भोजन की व्यवस्था में आम नागरिक शामिल होते हैं।
मिड डे मील अथॉरिटी, उत्तर प्रदेश की वेबसाइट अनुसार प्रदेश में दिनांक 01 सितम्बर 2004 से पका पकाया भोजन प्राथमिक विद्यालयों में उपलब्ध कराये जाने की योजना शुरू की गई। योजना के अंतर्गत प्रत्येक छात्र को सप्ताह में 4 दिन चावल के बने भोज्य पदार्थ तथा 2 दिन गेहूं से बने भोज्य पदार्थ दिए जाने की व्यवस्था की गयी है। प्राथमिक विद्यालयों में भोजन में कम से कम 450 कैलोरी एनर्जी व 12 ग्राम प्रोटीन एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम 700 कैलोरी एनर्जी व 20 ग्राम प्रोटीन उपलब्ध होना चाहिए। मिड डे मील के लिए सप्ताह में अलग-अलग प्रकार का भोजन (मेन्यू) दिए जाने की व्यवस्था की गयी है, जिससे भोजन के सभी पोषक तत्व उपलब्ध हों।
देवरिया का हाल
ठीक इस ही चर्चा के दौरान सोशल मीडिया पर एक और वीडियो वायरल हो रहा था, जिसमें देवरिया में कुछ स्कूली बच्चे वीडियो के माध्यम से बता रहे हैं की स्कूल में मिड डे मील में मिलने वाला भोजन मेन्यू के हिसाब नहीं मिल रहा है।
देवरिया के इस मामले को न्यूज़क्लिक ने भी रिपोर्ट किया है। UP: Plain Rice Served as Mid-Day Meal to Primary School Students in Deoria, Probe Ordered
तो कहा जा सकता है कि हमें जालौन पर बेवजह ख़ुश होने की बजाय देवरिया को लेकर चिंता और सवाल करने चाहिए।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार है )
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