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बैलाडीला : 15 दिन के अल्टीमेटम के साथ आदिवासियों का आंदोलन ख़त्म

आदिवासी नेताओं और पंचों सरपंचों ने ने कहा है कि अगर 15 दिनों के अंदर इस मामले में सकारात्मक कार्रवाई नहीं होती है तो फिर वह लोग एनएमडीसी के गेट पर दोबारा धरना देंगे, और इसके बाद वे सडक़ से सदन तक इस आंदोलन को लेकर जाएंगे।
अपने घरों को लौटते आंदोलनकारी आदिवासी।
अपने घरों को लौटते आंदोलनकारी आदिवासी।

दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में देव पहाड़ी नंदराज को बचाने के लिए सरकार से संघर्ष कर रहे आदिवासियों का आंदोलन 7वें दिन खत्म हो गया है। आदिवासी अपने घर लौटने लगे हैं। दंतेवाड़ा के किरंदुल में एनएमडीसी के चेकपोस्ट के सामने 6 जून की रात से आदिवासी धरना देकर आंदोलन कर रहे थे। राज्य सरकार द्वारा उनकी मांगें मानने के बाद गुरुवार को आंदोलन खत्म करने का निर्णय लिया गया और आदिवासी अपने गांव लौटने लगे हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से आश्वासन मिलने के बाद पिछले सात दिनों से आंदोलन कर रहे आदिवासियों ने राज्य सरकार को 15 दिन का अल्टीमेट देते हुए आंदोलन खत्म कर दिया है पंचायत संघर्ष समिति ने अपना आंदोलन वापस लेने का एलान किया है।

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बता दें कि जल, जंगल, जमीन के लिए सालों से लड़ाई लड़ रहे है आदिवासी समाज ने अब अपनी इष्ट देव पहाड़ी पहाड़ को बचाने के लिए अडानी की कंपनी को एनएमडीसी के 13 नंबर लोह अस्यक खदान देने के विरोध में पिछले सात दिनों से आंदोलन कर रहे थे। हजारों के तादाद में आदिवासियों ने एनएमडीसी के चेकपोस्ट को घेरा हुआ था और वहां धरना प्रदर्शन किया जा रहा था।

बुधवार की देर शाम एसडीएम नूतन कंवर ने नोटिस जारी कर रात 12 बजे तक धरना स्थल खाली करने का निर्देश दिया था। कहा जा रहा था कि यदि रात 12 बजे तक धरना स्थल खाली नहीं किया गया तो प्रशासन द्वारा बल का प्रयोग कर खाली करवाया जा सकता है।

आंदोलन ख़त्म करते हुए आदिवासी नेताओं और पंचों सरपंचों ने शासन-प्रशासन को 15 दिनों की मोहलत दी है। इन लोगों ने कहा है कि अगर 15 दिनों के अंदर इस मामले पर सकारात्मक कार्यवाही नहीं होती है तो फिर वह लोग एनएमडीसी के गेट पर दोबारा धरना देंगे, और इसके बाद वे सडक़ से सदन तक इस आंदोलन को लेकर जाएंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी। आदिवासी नंदराज पहाड़ को लेकर ज्यादा चिंतित है। इसके अलावा वनों की अंधाधुंध कटाई से भी इनको शिकायत है।

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