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पटनाः सातवें चरण की बहाली की मांग को लेकर विधानसभा जा रहे शिक्षक अभ्यर्थियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया

इन अभ्यर्थियों का कहना है कि वे पिछले तीन वर्षों से बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। हमेशा उन्हें शिक्षा विभाग के तरफ़ से सिर्फ़ आश्वासन ही मिलता रहा है।
lathi charge on teachers
फ़ोटो साभार: नई दुनिया

बिहार में बीटीईटी-सीटीईटी पास अभ्यर्थी सातवें चरण की बहाली की मांग को लेकर बड़ी संख्या में राजधानी पटना की सड़कों पर उतर आए हैं। आज मंगलवार को विधानसभा का घेराव करने जाते हुए शिक्षक अभ्यर्थियों को पुलिस ने डाक बंगला चौराहा पर रोक दिया जिसके बाद वे वहां सड़कों पर बैठ गए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ इन अभ्यर्थियों को सड़क से हटाने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया वहीं कुछ अभ्यर्थियों को हिरासत में ले लिया और चौराहे को ख़ाली करा दिया।

अभ्यर्थियों का कहना है कि वे अपनी मांगों को लेकर पिछले 38 दिनों से गर्दनीबाग में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। सरकार द्वारा सातवीं चरण की बहाली की अधिसूचना जारी नहीं करने से नाराज़ अभ्यर्थी आज विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधानसभा का घेराव करने निकले।

इन अभ्यर्थियों का कहना है कि वे पिछले तीन वर्षों से बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। हमेशा उन्हें शिक्षा विभाग के तरफ़ से सिर्फ़ आश्वासन ही मिलता रहा है।

शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन विधानसभा घेराव करने जा रहे बड़ी संख्या में शिक्षक अभ्यर्थियों को प्रशासन ने डाक बंगला चौराहे पर ही रोक लिया। इन्हें रोकने के लिए यहां बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था। पुलिस के आला अधिकारी भी स्थिति से निपटने के लिए वहां मौजूद रहे। कोई अभ्यर्थी विधानसभा की तरफ़ न जाए इसके लिए पुलिस प्रशासन ने यहां पर बैरिकेडिंग कर दी। हालांकि पुलिस के अधिकारी लगातार शिक्षक अभ्यर्थियों से बातचीत कर उन्हें समझाने की कोशिश करते रहे लेकिन छात्र वापस जाने के लिए तैयार नहीं हुए।

बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव ने प्रभात ख़बर को बताया कि क़रीब चार सालों से शिक्षक अभ्यर्थी सीटेट, बीटेट पास कर सड़क पर आंदोलन को विवश हैं। उन्होंने कहा कि गर्दनीबाग में शांतिपूर्ण ढंग से शिक्षक अभ्यर्थी पिछले 38 दिनों से धरने पर बैठे हैं, बावजूद इसके शिक्षा विभाग के कोई अधिकारी उनकी सुध लेने धरनास्थल पर नहीं पहुंचे। विभाग के उदासीन रवैये के कारण शिक्षक अभ्यर्थियों में काफ़ी रोष है। सरकार को समझना होगा कि छात्र राज्य सरकार का विरोध नहीं कर रहे हैं केवल अपने हक़ का रोज़गार मांग रहे हैं।

ज्ञात हो कि बिहार में शिक्षक नियोजन के सातवें चरण की बहाली के लिए अभ्यर्थी लगातार धरना प्रदर्शन करते रहे हैं। इसी साल मई महीने में शिक्षकों की बहाली की मांग को लेकर राजधानी पटना में बड़ी संख्या में सीटेट और बीटेट पास अभ्यर्थी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे थे। इस दौरान उन्होंने सिर मुंड़वा कर विरोध जताया था।

बता दें कि हाल ही में छठे चरण की बहाली प्रक्रिया इसी साल पूरी हुई थी और सातवें चरण की बहाली को लेकर अभ्यर्थी लगातार मांग कर रहे हैं।

ज्ञात हो कि माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (एसटीईटी) 2019 का नोटिफिकेशन वर्ष 2019 के सितंबर महीने में जारी हुआ था। इसकी ऑफलाइन परीक्षा 28 जनवरी 2020को हुई थी। इस परीक्षा में चार केंद्रों पर आउट ऑफ सिलेबस प्रश्न पूछे जाने पर हंगामा हुआ था। इसके बाद छात्रों ने हाईकोर्ट का रुख़ किया था। अनियमिता पाए जाने पर परीक्षा रद्द कर दी गई थी। तब बिहार बोर्ड ने नोटिफिकेशन के एक साल बाद सितंबर 2020 में ऑनलाइन परीक्षा ली थी। इसमें आउट ऑफ़ सिलेबस का आरोप लगाते हुए कुछ अभ्यर्थियों ने एक बार फिर अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। तब हाईकोर्ट ने 26 नवंबर 2020 को रिजल्ट जारी करने पर रोक लगा दी थी।

अदालत ने सुनवाई के दौरान बोर्ड की ऑनलाइन परीक्षा को सही करार दिया और साथ ही ऑनलाइन एसटीईटी के परिणाम घोषित करने को हरी झंडी दे दी। न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की एकलपीठ ने आदित्य प्रकाश एवं अन्य की ओर से दायर अर्ज़ी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया था।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था। जिसके बाद राज्य में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ़ हो गया था। बिहार में एसटीईटी परीक्षा का आयोजन 8 साल बाद वर्ष 2019 में हुआ था। अदालत के आदेश पर एसटीईटी रिज़ल्ट 2019 घोषित किया गया। राज्य में साल 2020 में 9 से 21सितंबर तक एसटीईटी परीक्षा का आयोजन किया गया था। एसटीईटी की इस परीक्षा से पहले साल 2011 में इस परीक्षा का आयोजन किया गया था।

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