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यूपी: “अंडे की जमाखोरी और रेट डिक्लेरेशन सिस्टम न होने से पोल्ट्री किसान बदहाल”

कुक्कुट विकास समिति का कहना है कि ज़्यादातर फार्म बंद हो गए हैं जिसका बड़ा कारण है - रेट डिक्लेरेशन सिस्टम न होने के कारण रेट का अंडे के उत्पादन मूल्य से भी नीचे रहना।
Poultry Farming
प्रतीकात्मक तस्वीर

उत्तर प्रदेश में किसानों का कहना है कि रेट डिक्लेरेशन सिस्टम नहीं होने से अंडा उत्पादक किसान संकट का सामना कर रहे हैं। कुक्कुट विकास समिति के अनुसार पोल्ट्री पॉलिसी 2013 के अंतर्गत प्रदेश में 2.5 करोड़ से अधिक की क्षमता के फॉर्म लगे हैं। लेकिन इनमें से अधिकांश फार्म बंद हो गए हैं जिसका बड़ा कारण है - रेट का अंडे के उत्पादन मूल्य से भी नीचे रहना।

इस कारोबार में लगे लोग बताते हैं कि प्रदेश में लगभग 70 पोल्ट्री फार्म बंद हो गए हैं और उनके बैंक खाते नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) हो गए हैं। किसानों का मानना है कि इस हालात का मुख्य कारण प्रदेश में कोई रेट डिक्लेरेशन सिस्टम का नहीं होना है।

अगर पोल्ट्री फार्म से जुड़े किसानों की मानें तो "इसका नकारात्मक असर यह है कि प्रदेश में प्रतिदिन अंडों की खपत औसतन 2.50 करोड़ है जबकि केवल 1.60 करोड़ अंडों का उत्पादन हो रहा है जिसकी पूर्ति अन्य राज्यों से आयात कर की जा रही है।"

उलेखनीय है कि पोल्ट्री सेक्टर ग्रामीण यूपी में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजन का प्रमुख माध्यम है। किसान बताते हैं कि "पोल्ट्री फ़ार्म पॉलिसी 2022 में 1772.93 करोड़ रुपए का निवेश का लक्ष्य सरकार द्वारा रखा गया है जो कि उत्तर प्रदेश की 1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का प्रमुख अंग है।"

ऐसा देखा गया है कि उत्तर प्रदेश के अंडा व्यापारियों और दूसरे राज्यों के व्यापारियों के बीच अक्सर कारोबारी तनाव रहता है। उत्तर प्रदेश के व्यापारियों का आरोप है कि "बाहर के अंडा व्यापारियों के लिए उत्तर प्रदेश एक बड़ा उपभोक्ता बाज़ार है एवं ये व्यापारी बिना उत्पादन की तिथि अंकित किए व बिना बिल के अंडा भेजते हैं, और उपभोक्ताओं को इसकी आड़ में खराब अंडा महीनों तक रखकर बेचते हैं।"

कुटकुट विकास समिति का कहना है कि "इस प्रकार प्रदेश के गुणवत्तायुक्त अंडों की बिक्री व किसानों पर इसका अनुचित आर्थिक प्रभाव पड़ता है।" उपभोक्ता संगठनों एवं कुटकुट विकास समिति ने लगातार सरकार से मांग भी की कि प्रदेश में बिक्री होने वाले अंडों पर उत्पादन तिथि अवश्य अंकित होना चाहिए।"

कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश में पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से अंडों का आयात होता है। कुटकुट विकास समिति का आरोप है कि "यहां के बड़े व्यवसायी चाहते हैं कि बाज़ार की दरें वही लोग तय करें। उनका इरादा इस क्षेत्र पर अपना एकाधिकार करना हैं। बाहर के अंडा व्यापारी रेट गिराकर उत्तर प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज में रखते हैं।"

समिति के अध्यक्ष वीपी सिंह का कहना है, "अंडों की अवैध रूप से जमाखोरी की जाती है। बाहर के व्यापारी यहां जमा किया अंडा, एक दो महीने बाद, क़ीमत बढ़ाकर बेच लेते हैं।" सिंह कहते हैं कि "उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने 2022 में अंडों पर उत्पादन तिथि अंकित करने का शासनादेश जारी किया था। कुक्कुट विकास समिति ने उत्पादन तिथि अंकित अंडों की बिक्री की मांग की थी लेकिन अंडे की जमाखोरी करने वाले इसका विरोध करते हैं।"

उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोरेज विनियमन अधिनियम की बात करते हुए सिंह ने कहा कि "समिति इस के पालन पर भी ज़ोर दे रही है। अधिनियम में, 'रेफ्रीजरेटेड गाड़ियों' से अंडों के परिवहन का भी शासनादेश में ज़िक्र हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश एग ट्रेड्स एसोसिएशन भी इसके समर्थन में है। सिंह का आरोप है कि "अंडे की जमाखोरी करने वाले व्यापारियों ने दबाव डालकर फिलहाल शासनादेश को 3 महीने के लिए स्थगित करा दिया है।"

कुक्कुट विकास समिति का यह भी कहना है कि "उत्तर प्रदेश के अंडा उत्पादक किसानों की खराब आर्थिक हालात एवं बंद होते फार्म के पीछे उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए कोई रेट डिक्लेरेशन सिस्टम नहीं होना है।"

समिति के अध्यक्ष ने बताया कि "हरियाणा में स्थित बरवाला के ट्रेडर्स द्वारा घोषित रेट पर उत्तर प्रदेश के किसान अंडा बेचते हैं। यह रेट उत्तर प्रदेश के किसानों के उत्पादन लागत से नीचे होते हैं जिसके कारण यहां के किसान बदहाल हो रहे हैं।" वे बताते हैं कि "प्रदेश में अंडा किसानों द्वारा शासनादेश के अनुपालन में प्रत्येक अंडे की ट्रे पर उत्पादन तिथि, उत्पादन का स्थान व पिनकोड अंकित कर जनसामान्य को गुणवत्ता युक्त अंडा उपलब्ध कराया जा रहा है।"

वह आगे कहते हैं कि "प्रदेश में अंडा व्यापारियों के पंजीकृत संगठन उत्तर प्रदेश एग ट्रेडर्स एसोसिएशन द्वारा भी प्रदेश सरकार को लिखकर सूचित किया गया है कि वह प्रदेश में गुणवत्तायुक्त अंडा उपलब्ध कराने के लिए सरकार के साथ हैं व हर आदेश को मानेंगे।"

कुक्कुट विकास समिति का आरोप है कि "बाहर के अंडा व्यापारी कभी-कभी 4 से 5 महीने पुराना अंडा जो लगभग खराब हो चुका होता है, वह भी बेचते हैं। इससे प्रदेश के न केवल उपभोक्ता प्रभावित होते हैं बल्कि प्रदेश के अंडा उत्पादकों के गुणवत्ता युक्त अंडों को, प्रदेश के बाहर से सस्ते में खरीद कर लाए गए कोल्डस्टोर में रखे गए अंडे से विक्रय हेतु “प्रतिस्पर्धा” करनी होती है जिससे किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।

जब इस बारे में न्यूज़क्लिक ने प्रदेश के पशुपालन विभाग के विशेष सचिव देवेंद्र पांडे से बात करी तो उन्होंने बताया कि "उनके विभाग को कुछ शिकायतें प्राप्त हुईं हैं।" उन्होंने बताया कि "एक समिति का गठन किया गया है, जिसकी सिफारिशों पर अमल किया जायेगा।"

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