अग्निपथ योजना: सेना और युवाओं दोनों से खिलवाड़!
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ‘ऐतिहासिक’ से कम कभी कुछ नहीं करती। अपने पहले कार्यकाल में नोटबंदी और जीएसटी जैसे एकाएक 'ऐतिहासिक' फैसले लेने के बाद अपने दूसरे कार्यकाल में सरकार ने मंगलवार,14 जून को एक और बड़ा ऐलान किया है। ये ऐलान देश की रक्षा-सुरक्षा के साथ ही लाखों युवाओं के भविष्य से भी जुड़ा हुआ है। ये ऐलान है भारतीय सेना में 'अग्निपथ' नाम की योजना का। इस योजना के तहत सेना में छोटी अवधि के लिए नियुक्तियाँ की जाएंगी। एक ओर सरकार इस फैसले को परिवर्तनकारी और क्रांतिकारी बता रही है तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस इसे सेना की कार्यक्षमता और निपुणता से समझौता करने वाली योजना मान रही है।
खबरों के मुताबिक अलग-अलग रैंक और प्रतीक चिह्न लगाने वाली इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में बेरोज़गारी कम करने के साथ ही रक्षा बजट पर वेतन और पेंशन के बोझ को भी घटाना है। हालाँकि, सेना में अहम पदों पर रह चुके कुछ लोगों ने इस योजना पर चिंता जताई है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या वाकई इस योजना को सेना की मजबूती और युवाओं की बेहतरी के लिए लाया गया है या फिर ये सत्ताधारी बीजेपी की 2024 के चुनावों की तैयारी है, जो सेना और युवाओं के जरिए साधने की कोशिश की जा रही है।
अग्निपथ योजना का भारी विरोध, ट्रेन पर पथराव और चक्का जाम
बता दें कि बिहार में इस योजना का भारी विरोध देखने को मिल रहा है। सैकड़ों की संख्या में युवा सड़कों पर हैं, तो वहीं कई जगह ट्रेन पर पथराव, चक्का जाम और घरना प्रदर्शन भी देखने को मिला है। खबर लिखे जाने तक बिहार के बक्सर, मुजफ्फरपुर, आरा समेत कई जिलों से विरोध की खबरें हैं। प्रदर्शन में शामिल नौजवानों का कहना है कि सरकार इस योजना के तहत युवाओं को सेना में भर्ती हो कर देश सेवा का मौका नहीं दे रही बल्कि युवाओं से उनके रोज़गार का हक़ छिन रही है। धीरे-धीरे सारी सरकारी नौकरियां खत्म कर, युवाओं को 4 चाल का लॉलीपॉप दिखा रही है।
इसे भी पढ़ें: बिहारः सेना की अग्निपथ स्कीम का विरोध, बक्सर में ट्रेन पर पथराव
माड़ीपुर के प्रदर्शनकारी राहुल ने न्यूज़क्लिक को फोन पर बताया कि सरकार जैसे सरकारी कंपनियों को प्राइवेट कर रही है, उसी तरह कुछ सालों में रेलवे, कोयला, इंधन और सेना का भी प्राइवटाइजेशन हो जाएगा। इन लोगों को न देश की सुरक्षा की पड़ी है न युवाओं के भविष्य की। इनको सिर्फ पड़ी है तो अपनी कुर्सी की।
बेगूसराय के एक अन्य सैन्य अभ्यार्थी सुनील कहते हैं कि सरकार पेंशन का खर्चा नहीं उठाना चाहती, इसलिए ये योजना लेकर आई है। जब कम से कम 15 साल की नौकरी का पहले से प्रवाधान मौजूद है तो ये 4 साल का नया लॉलीपॉप क्यों? क्या सरकार 4 साल बाद केवल 10वीं या 12वीं पास युवाओं को कहीं और नौकरी दे पायेगी। और अगर सरकार ही नौकरी नहीं देगी तो प्राइवेट सेक्टर क्यों देगा, जहां पहले से ज्यादा पढ़े-लिखे लोग लाइन में हैं।
सुनील के मुताबिक, "सरकार पहले बताए कि हर साल दो करोड़ नौकरियों के वादे का क्या हुआ। क्या ये यही नौकरियां हैं जो, पहले सरकार युवाओें से पकौड़े तलवा रही थी और अब सेना में चार साल की नौकरी के बाद किसी के घर, मोहल्ले या ज्यादा से ज्यादा बैंकों की गार्डगिरी करवाएगी। मतलब 17 साल में नौकरी और 21 या 22 में बेरोज़गार, कुलमिलाकर आप न घर के रहे ना घाट के। ये योजना रोज़गार देने के लिए नहीं है, बल्कि ये पूरी सेना को पेंशन से दूर करने के लिए है।
अग्निपथ योजना क्या है?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित भारतीय सेना के तीनों प्रमुखों ने सेना में छोटी अवधि की नियुक्तियों को लेकर 'अग्निपथ' नीति की घोषणा की है। मंगलवार को राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा पर कैबिनेट कमिटी ने ऐतिहासिक फ़ैसला लिया है। रक्षा मंत्री के मुताबिक अग्निपथ एक परिवर्तनकारी योजना है, जो हमारी सशस्त्र बलों में बदलाव लाकर उन्हें और आधुनिक बनाएगी।
रक्षा मंत्री का कहना था कि ''अग्निपथ' योजना में भारतीय युवाओं को, बतौर 'अग्निवीर' सशस्त्र बलों में सेवा का अवसर प्रदान किया जाएगा। यह योजना देश की सुरक्षा को मज़बूत करने और हमारे युवाओं को सैन्य सेवा का अवसर देने के लिए लाई गई है। इससे युवाओं को यह फ़ायदा होगा कि उन्हें नई-नई तकनीक के लिए आसानी से प्रशिक्षित किया जा सकेगा। उनकी सेहत और फिटनेस का स्तर भी बेहतर होगा। अग्निपथ' योजना से रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे। वहीं अग्निवीर सेवा के दौरान अर्जित स्किल और अनुभव से विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार प्राप्त कर सकेंगे।
अग्निवीरों में महिलाएं भी होंगी शामिल
इस योजना का ऐलान करते हुए सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि इस योजना को सभी संबंधित पक्षों के साथ विस्तृत चर्चा और विचार विमर्श के बाद लाया गया है। अगले 90 दिनों यानी तीन माह के अंदर अग्निपथ योजना के तहत भर्तियां शुरू हो जाएंगी। नए अग्निवीरों की उम्र साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच होगी। इस दौरान नेवी चीफ़ एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि इस योजना के तहत चार साल के लिए क़रीब 45000 युवाओं को भर्ती किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सेना के अग्निवीरों में महिलाएं भी शामिल होंगी।
मालूम हो कि 'अग्निपथ' के तहत सेना में युवाओं को चार साल तक काम करने के लिए मौक़ा मिलेगा। इसें जॉइन करने वाले 25 फ़ीसदी युवाओं को बाद में रिटेन किया जाएगा। यानी 100 में से 25 लोगों को पूर्णकालिक सेवा का मौक़ा मिलेगा। इसमें पहले साल 30 हजार रुपए तो वहीं चौथे साल 40 हजार रुपए महीना वेतन मिलेगा। चार साल पूरे होने पर सभी उम्मीदवारों के लिए एक समग्र वित्तीय पैकेज, 'सेवा निधि' का भी प्रावधान है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 'अग्निपथ', थल सेना, वायु सेना और नेवी में भर्ती होने के लिए एक अखिल भारतीय योग्यता-आधारित भर्ती योजना है। यह योजना युवाओं को सशस्त्र बलों के नियमित संवर्ग में सेवा करने का अवसर प्रदान करेगी। अग्निवीरों को प्रशिक्षण अवधि सहित 4 वर्ष की सेवा अवधि के लिए एक अच्छे वित्तीय पैकेज के साथ भर्ती किया जाएगा। चार साल के बाद 25% तक अग्निवीरों को केंद्रीयकृत और पारदर्शी प्रणाली के आधार पर नियमित किया जाएगा। 100% उम्मीदवार नियमित संवर्ग में भर्ती के लिए बतौर वॉलन्टियर आवेदन कर सकते हैं।''
अग्निपथ को लेकर चिंताएं क्या हैं?
अंग्रेज़ी अख़बार द टेलिग्राफ़ की खबर के मुताबिक सेना में अहम पदों पर रह चुके कुछ लोगों ने इस योजना पर चिंता जताई है। अख़बार ने सैन्य अनुभव वाले कुछ लोगों के हवाले से लिखा है कि इस योजना ने कई चिंताएं पैदा कर दी हैं। अव्वल तो इससे समाज के 'सैन्यीकरण' का ख़तरा है। दूसरी बड़ी चिंता ये है कि इस योजना की वजह से भारतीय सेना में 'नौसिखिए' जवानों की संख्या बढ़ जाएगी, जो शत्रु देशों की ओर से मिलने वाली चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ होंगे। तीसरी सबसे बड़ी चिंता ये है कि इस योजना के कारण सशस्त्र बलों की सदियों पुरानी रेजिमेंटल संरचना बाधित हो सकती है।
इस योजना की घोषणा के बाद पूर्व एयर स्टाफ प्रमुख और सेना में अहम पद पर रह चुके बिरेंदर धनोआ ने ट्वीट किया, "पेशेवर सेनाएं आमतौर पर रोज़गार योजनाएं नहीं चलाती.... सिर्फ़ कह रहा हूँ।"
Professional militaries, usually, don’t run employment schemes…just sayin…
— Birender Dhanoa (@bsdhanoa) June 14, 2022
रिटायर्ड लेफ़्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने इस योजना पर लिखा, "सशस्त्र बलों के लिए ख़तरे की घंटी। इसका पायलट प्रोजेक्ट लाए बिना ही लागू कर दिया गया। समाज के सैन्यीकरण का खतरा। हर साल क़रीब 40 हज़ार युवा बेरोज़गार होंगे। ये अग्निवीर हथियार चलाने में पूरी तरह प्रशिक्षित नहीं होंगे, अच्छा विचार नहीं है। इससे किसी को फ़ायदा नहीं होगा।"
Death knell for armed forces, ToD not tested, NO pilot project, straight implementation. Will also lead to Militarization of society, nearly 40,000(75%) youth year on year back rejected & dejected without a job, semi trained in arms ex Agniveers. Not a good idea. No one gains. https://t.co/tmt3qekeup
— Lt Gen Vinod Bhatia Retd (@Ptr6Vb) June 13, 2022
लेफ्टिनेंट जनरल पी. आर. शंकर ने इस परियोजना को 'किंडरगार्टन आर्मी' बताया। उन्होंने कहा कि ये योजना लाना अच्छा विचार नहीं। उन्होंने सावधानी बरतने की वकालत की।
एक आर्टिकल में उन्होंने लिखा, "ये योजना बिना पर्याप्त कर्मचारी और क्षमता के शुरू की जा रही है। इसके तहत कम प्रशिक्षित युवा किसी सबयूनिट का हिस्सा बनेंगे और फिर बिना किसी भावना के ये अपनी नौकरी सुरक्षित रखने की दौड़ में शामिल हो जाएंगे।"
उन्होंने लिखा, "इस सैनिक से ब्रह्मोस/पिनाका/वज्र जैसे हथियार प्रणाली को चलाने की उम्मीद की जाएगी, जिसे वो संभाल नहीं सकता है और पाकिस्तान-चीनियों के सामने अपनी रक्षा करने की भी आशा की जाएगी। हम भले ही अभिमन्यु बना रहे हों लेकिन वो चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकल पाएगा।"
एक सेवानिवृत्त लेफ़्टिनेंट जनरल ने टेलिग्राफ़ को बताया, "ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन लोगों ने इस योजना को लाने का फ़ैसला किया है, उन्हें सेना के बारे में कोई जानकारी नहीं। न तो उन्होंने और न ही उनके बच्चों ने कभी भी सेना में सेवा दी होगी।"
उन्होंने देश में बेरोज़गारी को देखते हुए कहा कि हज़ारों अग्निवीर चार साल तक सशस्त्र बलों में सेवा देंगे, इन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग मिलेगी और इसके बाद जब ये नौकरी से लौटेंगे तब देश में एक अलग तरह की आंतरिक सुरक्षा से संबंधित समस्या पैदा हो जाएगी।
अख़बार ने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा है कि इस योजना का मक़सद लगातार बढ़ रहे वेतन और पेंशन के बोझ को कम करना है। रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने अख़बार को बताया, "इस योजना के तहत सरकार पेंशन के साथ ही अन्य भत्तों पर बचत करेगी. अग्निवीरों के लिए वेतन के लुभावने मोटे पैकेज, पूर्व सैनिकों का दर्जा और स्वास्थ्य स्कीम में अंशदान की ज़रूरत नहीं होगी।"
सेना को रोज़गार की मशीन बनाना कितना जायज़?
गौरतलब है कि सरकार नई अग्निपथ योजना के भले ही कई फायदें गिनवा रही हो लेकिन सेना की ज़मीनी सच्चाई जानने वाले लोग इसे एक चुनौती के रुप में ही देख रहे हैं। अव्वल तो देश की सेना में काम करना कोई फन या एडवेंचर थ्रिल जैसा काम नहीं है न ही ये एक प्राइवेट कंपनी वाली जॉब है। सेना में सैनिकों की कठोर ट्रेनिंग, उनकी निष्ठा, मनोबल, अनुशासन, जोश के साथ होश की ताकत और आला दर्जे की नेतृत्व क्षमता उन्हें दुश्मन से लोहा लेने के लिए तैयार करती है तो वहीं पेंशन की सुविधा उनके परिवार की सेवानिवृत्त के बाद सहारा बनती है। लेकिन अब जब पेंशन ही नहीं मिलेगी और इस योजना से निकले 75% युवा जो कि 25 साल से कम उम्र के बेरोज़गार होंगे, तो इसके क्या नतीजे होंगे ये सोचना ज्यादा मुश्किल नहीं है।
इसे भी पढ़ें: 'टूर ऑफ़ ड्यूटी' सिस्टम से चंद पैसे तो बचाए जा सकते हैं लेकिन सैनिक नहीं तैयार किए जा सकते!
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।