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अमृतपाल सिंह को ''भगोड़ा घोषित'' करने के मायने क्या हैं, जानें अब तक क्या-क्या हुआ?

इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) के मुताबिक़ अगर किसी आरोपी के ख़िलाफ़ कोर्ट द्वारा ग़ैर ज़मानती वारंट जारी हो जाता है, कई बार नोटिस और समन मिलने के बाद भी अगर आरोपी कोर्ट में या पुलिस के सामने सरेंडर नहीं करता है तो आरोपी को ''भगोड़ा'' घोषित कर दिया जाता है।
Amritpal singh
फ़ोटो साभार: PTI

खालिस्तानी नेता और ''वारिस पंजाब दे'' का प्रमुख अमृतपाल सिंह 18 मार्च से पुलिस की पकड़ से बाहर है। इस सिलसिले में ताज़ा अपडेट के मुताबिक़ पंजाब आईजीपी सुखचैन गिल ने मीडिया से कहा कि ''वारिस पंजाब दे'' संगठन से जुड़े कुछ लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है और राज्य में शांति बरकरार है। इसके अलावा सुखचैन सिंह ने अमृतपाल सिंह के 'आईएसआई कनेक्शन' की ओर भी इशारा किया है।

सोमवार 20 मार्च को पंजाब सरकार ने कहा कि राज्य में 21 मार्च, मंगलवार की दोपहर तक सभी इंटरनेट और sms सेवाएं बंद रहेंगी। आपको बता दें, इससे बैंकिंग और मोबाइल रिचार्ज से जुड़ी सेवाएं प्रभावित नहीं होंगी। इसके अलावा पंजाब के कई ज़िलों में धारा 144 भी लागू है।

साथ ही पंजाब के कैबिनेट मंत्री बलबीर सिंह ने जनता से शांति बनाये रखने की अपील की है और कहा है कि अमृतपाल सिंह के अरेस्ट होने पर डीजीपी पंजाब पुलिस मीडिया को सूचित करेंगे।

अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस की कई टीमें लगायी गयीं। 18 मार्च को पंजाब में पुलिस ने बड़ा सर्च ऑपरेशन भी चलाया था। 18 मार्च तक ख़बरें आयीं थीं कि अमृतपाल सिंह को पंजाब पुलिस ने हिरासत में ले लिया है लेकिन शाम होने तक खबर आयी कि अमृतपाल सिंह पुलिस की पकड़ से बाहर है। 

इस प्रकरण में पुलिस ने अमृतपाल सिंह से जुड़े क़रीब 120 लोगों को हिरासत में लिया है। हालाँकि तमाम कोशिशों के बावजूद पंजाब पुलिस अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने में कामयाब नहीं हो सकी और उसे ''भगोड़ा'' घोषित कर दिया गया।

इसे भी पढ़ें : पंजाब का अजनाला प्रकरण : अब आगे क्या?

20 मार्च को SSP जालंधर ने मीडिया को जानकारी दी कि अमृतपाल सिंह के चाचा हरजीत सिंह और ड्राइवर हरप्रीत सिंह ने सरेंडर कर दिया है।

इस बीच अमृतपाल सिंह के 4 साथियों को असम के डिब्रूगढ़ जेल ले जाया गया है।

'भगोड़ा' या फ़रार होने की उद्घोषणा का मतलब क्या है?

इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) के मुताबिक़ अगर किसी आरोपी के ख़िलाफ़ कोर्ट द्वारा ग़ैर ज़मानती वारंट जारी हो जाता है, कई बार नोटिस और समन मिलने के बाद भी अगर आरोपी कोर्ट में या पुलिस के सामने सरेंडर नहीं करता है तो आरोपी को ''भगोड़ा'' घोषित कर दिया जाता है।

हालाँकि क़ानूनी भाषा में ''भगोड़ा'' शब्द का ज़िक्र नहीं है, बल्कि ''फ़रार व्यक्ति की उद्घोषणा'' कहा जाता है। फ़रार या भगोड़ा घोषित किये जाने के बाद, CrPc  की धारा 83 के तहत पुलिस-प्रशासन को आरोपी की चल, अचल संपत्ति कुर्क करने का अधिकार मिल जाता है।

यदि कोई आरोपी भगोड़ा घोषित होता है तो उसे कानूनी अधिकार है कि वह इसके ख़िलाफ़ हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील करे। हालाँकि यह अपील ''भगोड़ा'' घोषित किये जाने के 30 दिन के अंदर ही करनी होगी।

इसे भी पढ़ें : पंजाब : ख्यात सिख संस्थाओं ने शुरू किया अमृतपाल का विरोध

कथित सिख गुरु, कट्टरपंथी खालिस्तानी समर्थक और ''वारिस पंजाब दे'' के प्रमुख अमृतपाल सिंह को 23 फ़रवरी 2023 से मीडिया फ़ुटेज मिलना शुरू हुई जब उसने अपने समर्थकों के साथ अजनाला प्रकरण को अंजाम दिया।

क्या है अजनाला प्रकरण?

23 फरवरी 2023 को 6 ज़िलों की पुलिस की मौजूदगी में, अमृतपाल सिंह ने अपने हज़ारों साथियों के साथ सिख धर्मग्रन्थ श्री गुरुग्रंथ साहिब की आड़ में, अमृतसर के अजनाला जेल पर कब्ज़ा कर लिया था। अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों की मांग थी अपने साथी लवप्रीत सिंह ''तूफ़ान'' की रिहाई। लवप्रीत सिंह को अपहरण के केस में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में अमृतपाल सिंह पर भी केस हुआ था लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई थी। ''तूफ़ान'' की रिहाई की प्रक्रिया में अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने पुलिस पर तलवार से हमला किया जिसमें 50 से ज़्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए। हिंसक समर्थकों के आगे पंजाब पुलिस तुरंत बैकफुट पर आ गयी और लवप्रीत सिंह "तूफ़ान" को रिहा कर दिया गया।

अमृतपाल सिंह पर दर्ज केस

पंजाब पुलिस के अनुसार, पिछले एक साल के अंतराल में अमृतपाल सिंह के ख़िलाफ़ 4 क्रिमिनल केस दर्ज हुए हैं। इनमें अपहरण और हत्या की साजिश जैसे संगीन आरोप भी शामिल हैं। 

एक नज़र डालते हैं इन मामलों पर: 

  • 20 मार्च, 2023 आर्म्स एक्ट

अमृतपाल सिंह के ख़िलाफ़ अमृतसर के खलचियां पुलिस स्टेशन में आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ।

  • 24 फरवरी, 2023 पुलिसवालों पर हमले के मामले में केस

17 फरवरी को रोपर ज़िले के निवासी वरिंदर सिंह ने लवप्रीत सिंह तूफ़ान, अमृतपाल सिंह और उसके साथियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई थी। वरिंदर ने अमृतपाल सिंह पर अपहरण और मार पीट करने का आरोप लगाया था। अमृतपाल सिंह के ख़िलाफ़ अपहरण का केस दर्ज हुआ।

इसे भी पढ़ें : 'भिंडरावाले 2.0', 'वारिस पंजाब दा' अमृतपाल सिंह कौन है?

पंजाब में कांग्रेस और बीजेपी सरकार के नेताओं ने अमृतपाल पर इस कार्रवाई के लिए पंजाब सरकार का समर्थन किया है। कांग्रेस नेता सुखजीनदार सिंग रंधावा ने कहा है कि देर से कदम उठाया गया मगर स्वागत योग्य कदम है।

हालांकि पंजाब सरकार के इस कदम की आलोचना भी कम नहीं हो रही है। पूरे राज्य में पुलिस के पहरे और अमृतपाल पर शिकंजे का विरोध करते हुए मोहाली में प्रदर्शन किए गए। क़ौमी इंसाफ मोर्चा द्वारा चंडीगढ़ मोहाली बॉर्डर पर पहले से ही बंदी सिंह यानी राजनीतिक क़ैदियों की रिहाई की मांग की जा रही है। 

कौन है अमृतपाल सिंह?

अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह पंजाब के अमृतसर का रहने वाला है जो दुबई में अपने परिवार का ट्रांसपोर्ट का बिज़नेस संभालता था। दिलचस्प बात यह है कि आज खुद को सिख धर्मगुरु कहने वाला खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह दुबई में रूढ़िवादी सिख लाइफस्टाइल को फॉलो नहीं करता था बल्कि छोटे बाल रखता था और पगड़ी भी नहीं पहनता था। पगड़ी पहनना सिखों के 5 मूलभूत प्रतीकों में से एक है। इस वक़्त अमृतपाल सिंह खालिस्तान समर्थक सिख संगठन ''वारिस पंजाब दे'' या 'पंजाब के वारिस' का हेड है। इस संगठन की शुरूआत पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू ने की थी, जिसपर किसान आंदोलन के दौरान 26 जनवरी 2021 को लाल किले पर निशान साहिब (सिखों का झंडा) फहराने का आरोप लगा था। 15 फरवरी 2022 को एक सड़क दुर्घटना में दीप सिद्धू की मौत हो गयी।

9 सितंबर 2022 को मोगा जिले के रोड गांव में आयोजित एक समारोह में जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव में अमृतपाल सिंह को उसके समर्थकों द्वारा 'वारिस पंजाब दे' का अगला प्रमुख नियुक्त किया गया।

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