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रेलवे के संकेत व दूरसंचार कर्मचारियों ने मनाया काला दिवस

रेलवे के S&T विभाग में 80 हज़ार पद रिक्त हैं और कर्मचारियों से दोगुना काम लिया जा रहा है। इसके अलावा उनकी सुरक्षा पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता। कर्मचारियों ने रिस्क अलाउंस और नाइट ड्यूटी फेलियर गैंग की स्थापना की भी मांग की है।
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 देश के पूरे रेलवे की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिन संकेत और दूरसंचार कर्मचारियों पर है आज वही बेहाल हैं और आंदोलन की राह पर हैं। ये कर्मचारी रेलवे के सिग्नल का रखरखाव रखते हैं लेकिन इनके रखरखाव का रेलवे को ख़्याल नहीं। इसी सबको लेकर शनिवार को देश के लगभग 50 हज़ार से अधिक संकेत  व दूरसंचार (S&T) विभाग के कर्मचारी  इंडियन रेलवे एस एडं टी मैंटेनरर्स यूनियन’ (IRSTMU) के नेतृत्व में  प्रतिमाह बेसिक वेतन का 10% रिस्क अलाउंस तथा संपूर्ण भारतीय रेलवे के प्रत्येक SSE यूनिट में नाइट ड्यूटी फेलियर गैंग की स्थापना के समर्थन में संपूर्ण भारतीय रेलवे में ब्लैक डे यानी काला दिवस’ के रूप में मनाया।

S&T विभाग के सभी कर्मचारियों ने आज काली पट्टी बांधकर काम किया और अपना विरोध जताया। आप सोच रहे होंगे कि ये कर्मचारी आज 9 फरवरी को ही ब्लैक डे क्यों मना रहे हैंऐसा क्या हुआ है?

तो आपको बता दें कि आज से ठीक एक साल पूर्व 9 फरवरी2018 को इस विभाग के  संजय शर्मा और मनोहर पंथी,  प्वाइंट के फेलियर को ठीक करने के दौरान राजधानी एक्सप्रेस से रन ओवर हो गये थे यानी काम के दौरान ट्रेन उन्हें रौंद गई। कर्मचारियों के मुताबिक इसके बाद भी उनके शवों के ऊपर से 19 ट्रेनें  पास की गईं। इस तरह के अमानवीय कृत्य ने सभी को झकझोर कर रख दिया।

IMG-20190209-WA0026.jpgनोट ;- यही वो जगह है जहाँ संजय शर्मा और मनोहर पंथी एक साल पहले  रन ओवर हुए थे |

IRSTMU का कहना है कि इस घटना से  कर्मचरियों  का मनोबल बहुत ही कम हो चुका है। हर साल औसतन दो दर्जन (24) से अधिक S&T विभाग के कर्मचारी रन ओवर या ड्यूटी के दौरान दुर्घटना में मारे जाते हैं। अभी दो दिन पहले 7 फरवरी को पूर्व तटीय रेलेवे रूट पर एक कर्मचारी रन ओवर हो गया। इतना ही नहीं कर्मचारी LC गेट की मरम्मत या फेलियर के दौरान स्थानीय लोगों की मारपीट का शिकार होते हैं। इसमें भी कई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है।

आधे स्टाफ से चल रहा S&T विभाग  सरकार लोगों की भर्ती के बदले आंकड़ों से खेल रही है

एक S&T कर्मचारी द्वारा पिछले वर्ष लगाए गए आरटीआई के जवाब में रेलवे विभाग ने बताया कि इस विभाग में 80 हज़ार पद रिक्त हैं। यानी जितने कर्मचारी काम कर रहे हैं उससे अभी दोगुने से अधिक कर्मचारियों की आवश्यकता है लेकिन विभाग आधे से भी कम कर्मचारियों से काम करा रहा है।

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यूनियन के नेता का कहना है कि सरकार और रेलवे विभाग इस आंकड़ें को सुधारने के लिए लगातार कर्मचारियों के काम करने की क्षमता को बढ़ा रहा है यानी उनसे अतिरिक्त काम ले रहा हैजिससे कर्मचरियों की आवश्यकता कम दिखे। इसे इस तरह समझिए :-

रेलवे में  S&T विभाग में कितने कर्मचारी चाहिए इसके लिए एक मापदंड या यार्डस्टिक होता है, पहले 1200 डेसू पर 2 हेल्पर2 ईएसएम  और एक जेई होता था लेकिन सरकार ने अपने खाली पड़ पद के आंकड़ें सुधारने के लिए इसे बढ़ाकर 1500 डेसू कर दिया जिससे अब कर्मचारियों की जरूरत पहले से कम हो गई, लेकिन अब भी खाली पड़े पदों की संख्या काफी है। 

railway workers.jpgविरोध के दौरान काली पट्टी बांध कर कार्य करते कर्मचारी 

कर्मचारियों का शोषण जारी

यूनियन के महासचिव आलोक चन्द्र प्रकाश ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि रेल विभाग द्वारा कर्मचारियों से उनकी क्षमता से अधिक कार्य करा रहा है जिस कारण अधिकतर कर्मचारी कई गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। वो आगे कहते हैं S&T कर्मचारियों ड्यूटी का कोई समय निर्धरित नहीं है और अपने कार्य अवधि के बाद कभी भी जब भी सिग्नल फेलियर हो जाता है तब भी हमें जाना पड़ता है। इसके बदले में हमे कोई भत्ता नहीं दिया जाता है जो कि कार्य और आराम की अवधि HOER, 2005 के नियमों का उल्लंघन है  और यदि नींद में किसी कर्मचारी से कोई गलती हो जाती है तो चार्जशीटसस्पेंशन जैसी चीजों का सामना करना पड़ता है  और तो और कई बार तो नौकरी से निकाल दिया गया है।

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यूनियन का कहना है कि हमारे द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के अनुसार S&T विभाग में सबसे ज्यादा चार्जशीट करीब 70% निम्न स्तर के कर्मचारियों को दी जा रही है। इतना ही नहीं S&T विभाग के कर्मचारी की बिना ड्यूटी रोस्टर के काम करने की वज़ह से अनियमित जीवन प्रणाली के कारण संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारी हृदय रोगमधुमेहहाई ब्लड प्रेशरकैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।

संगठन के अध्यक्ष नवीन कुमार ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को बेसिक का 10% प्रतिमाह रिस्क अलाउंस के लिए जब भी रेलवे से बात करते है तो वो बोलते हैं कि यह आपके काम का हिस्सा है। इसके लिए कोई भत्ता क्यों दिया जाए। परन्तु रेलवे के रंनिग स्टाफ को रिस्क अलाउंस मिलता है तो हमें क्यों नहीं, जबकि उनसे ज्यादा ख़तरा हमारे काम में है। यह संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों का अधिकार है।

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आगे वो कहते हैं कि रेलवे तथा यात्रियों की सुरक्षा एवं संरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे के सभी  सीनियर सेक्शन इंजीनयर (SSE) यूनिट में नाईट ड्यूटी फेलियर गैंग की स्थापना तुरन्त की जानी चाहिए।यूनियन ने कहा कि कई सांसदों ने भी रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर S&T विभाग के कर्मचारियों का दर्द बताया है। बावजूद इसके अभी तक प्रशासन के आश्वासन के अलावा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

 

 

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